कम से कम हर भारतीय तो इस बात को समझता है कि बढ़़ती उम्र के पहिये धर्म की तरफ ले जाते हैं. धार्मिक कर्म कांड या धार्मिक यात्रायें हमारे भारतीय बुजुर्गों को शारीरिक शक्ति भी देते हैं और मन की शांति भी. तो फिर राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) के सुपर हीरो लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) और मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) राम मंदिर भूमि पूजन कार्यारम्भ में क्यों नहीं जा रहे हैं? क्यों इनकी उम्र आड़े आ रही है? बताया जा रहा है कि आडवाणी, जोशी और कल्याण सिंह (Kalyan Singh) जैसे राम मंदिर आंदोलन के नायक राम मंदिर (Ram Temple) ना जाकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे. सब जानते हैं कि लाल कृष्ण आडवाणी जैसी हस्ती जिनके जीवन की सबसे बड़ी इच्छा और सपना राम मंदिर निर्माण था. जब ये इच्छा पूरी हो रही. ये सपना पूरा हो रहा तो आडवाणी यदि मंदिर के कार्यक्रम में उपस्थित होते तो उनको स्वास्थ्य लाभ होता.
ये मनोवैज्ञानिक सत्य भी है. लेकिन इस वैज्ञानिक सत्य को महसूस किये बिना अयोध्या में राम मंदिर के कार्यारंभ और भूमि पूजन में लाल कृष्ण आडवाणी का उपस्थित का कार्यक्रम मुल्तवी कर दिया गया. ये फैसला लोगों को नागवार गुजर रहा है. राम मंदिर कार्यारंभ कार्यक्रम में राम आन्दोलन के खास सेनानियों की अनुपस्थिति से लोगों की खुशी किरकिरी हो रही है.
उम्र के आखिरी पड़ाव में जिस्म इस बात की इजाजत नहीं देता कि कहीं जाया जाये. शादी-ब्याह, मरना-जीना. कहीं कुछ हो जाये पर उम्र दराज बुजुर्गों को कहीं नहीं भेजा जाता. बस एक बात इसके विपरीत होती है। धार्मिक स्थल कितना भी दूर हो, तीर्थ यात्रा जाना जितना भी मुश्किल हो पर बुजुर्गों को उनके इस गंतव्य स्थान तक ज़रुर पंहुचाया जाता है....
कम से कम हर भारतीय तो इस बात को समझता है कि बढ़़ती उम्र के पहिये धर्म की तरफ ले जाते हैं. धार्मिक कर्म कांड या धार्मिक यात्रायें हमारे भारतीय बुजुर्गों को शारीरिक शक्ति भी देते हैं और मन की शांति भी. तो फिर राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) के सुपर हीरो लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) और मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) राम मंदिर भूमि पूजन कार्यारम्भ में क्यों नहीं जा रहे हैं? क्यों इनकी उम्र आड़े आ रही है? बताया जा रहा है कि आडवाणी, जोशी और कल्याण सिंह (Kalyan Singh) जैसे राम मंदिर आंदोलन के नायक राम मंदिर (Ram Temple) ना जाकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे. सब जानते हैं कि लाल कृष्ण आडवाणी जैसी हस्ती जिनके जीवन की सबसे बड़ी इच्छा और सपना राम मंदिर निर्माण था. जब ये इच्छा पूरी हो रही. ये सपना पूरा हो रहा तो आडवाणी यदि मंदिर के कार्यक्रम में उपस्थित होते तो उनको स्वास्थ्य लाभ होता.
ये मनोवैज्ञानिक सत्य भी है. लेकिन इस वैज्ञानिक सत्य को महसूस किये बिना अयोध्या में राम मंदिर के कार्यारंभ और भूमि पूजन में लाल कृष्ण आडवाणी का उपस्थित का कार्यक्रम मुल्तवी कर दिया गया. ये फैसला लोगों को नागवार गुजर रहा है. राम मंदिर कार्यारंभ कार्यक्रम में राम आन्दोलन के खास सेनानियों की अनुपस्थिति से लोगों की खुशी किरकिरी हो रही है.
उम्र के आखिरी पड़ाव में जिस्म इस बात की इजाजत नहीं देता कि कहीं जाया जाये. शादी-ब्याह, मरना-जीना. कहीं कुछ हो जाये पर उम्र दराज बुजुर्गों को कहीं नहीं भेजा जाता. बस एक बात इसके विपरीत होती है। धार्मिक स्थल कितना भी दूर हो, तीर्थ यात्रा जाना जितना भी मुश्किल हो पर बुजुर्गों को उनके इस गंतव्य स्थान तक ज़रुर पंहुचाया जाता है. कोई बुजुर्ग जब धार्मिक स्थल में तीर्थ यात्रा पर निकलता है तो उसके मन की शक्ति उसके तन को मजबूत बना देती है. जर्जर शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा की तरंगे उत्पन्न हो जाती हैं.
ये सब क्या है! मनोविज्ञान है, आध्यात्मिक ताकत है या मन की आस्था है, कुछ साफ नहीं बताया जा सकता. किंतु धर्म और धार्मिक अनुष्ठानों की शक्ति पर विश्वास रखने वाले बहुत सारे बुजुर्गों का कहना है कि कमजोर शरीर कहीं निकलने की इजाजत नहीं देता लेकिन मंदिर या पूजा-पाठ में जाने की बात हो तो शरीर हष्टपुष्ट लगने लगता है, स्वास्थ्य चंगा हो जाता है.
देश के धन्नासेठ, इक़बाल अंसारी और तमाम लोग राम मंदिर की भूमि पूजन में हों और लाल कृष्ण आडवाणी नहीं हों तो लगेगा कि पूरी बारात है पर दूल्हा ही नहीं है.
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