चारा घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद लालू प्रसाद की तात्कालिक चिंता सजा नहीं, बल्कि उसकी अवधि को लेकर है. दरअसल, सजा की अवधि ही वो फैक्टर है जिसको लेकर फिलहाल लालू प्रसाद, उनका परिवार और राष्ट्रीय जनता दल के बाकी नेता परेशान हैं.
ये सही है कि सजा के खिलाफ लालू पक्ष के लोग हाई कोर्ट में अपील करेंगे, जैसा कि आरजेडी नेताओं ने पहले ही कह रखा है. सबसे बड़ी आशंका इस बात को लेकर है कि अगर सजा की अवधि लंबी हुई और उसकी वजह से जमानत नहीं मिल पायी तो लालू को लंबे वक्त तक जेल में रहना पड़ेगा. एक संभावना ये भी है कि आम चुनाव 2019 से पहले भी कराये जा सकते हैं, ऐसे में अगर लालू जेल से बाहर नहीं आ पाये तो चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट कौन बांटेगा?
सिर्फ एक दिन की राहत
चारा घोटाले में दोषी लालू की सजा सिर्फ एक दिन के लिए टल गयी. खबरों के मुताबिक स्पेशल कोर्ट ने एक के निधन की वजह से 3 जनवरी को सजा नहीं सुनाई. अब लालू को कितनी सजा मिलेगी इस बात घोषणा विशेष अदालत 4 जनवरी को करेगी.
एक बात और - लालू प्रसाद को दोषी करार दिये जाने के बाद आरजेडी नेताओं के बयान कोर्ट को नागवार गुजरी है. कोर्ट ने अदालत के फैसले के खिलाफ बयान देने पर अवमानना का नोटिस जारी किया है. अवमानना का नोटिस तेजस्वी के अलावा रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी के नाम भी जारी हुआ है.
जेल और सजा नहीं, चिंता ये है -
तीन महीने पहले जब आरजेडी के अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा हुई तो कुछ लोगों ने संभावना जतायी थी कि लालू अध्यक्ष पद छोड़ सकते हैं. या, तेजस्वी को आरजेडी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है. या फिर, तेजस्वी कार्यकारी अध्यक्ष हो सकते हैं. मगर, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. चुनाव हुआ और लालू प्रसाद फिर से...
चारा घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद लालू प्रसाद की तात्कालिक चिंता सजा नहीं, बल्कि उसकी अवधि को लेकर है. दरअसल, सजा की अवधि ही वो फैक्टर है जिसको लेकर फिलहाल लालू प्रसाद, उनका परिवार और राष्ट्रीय जनता दल के बाकी नेता परेशान हैं.
ये सही है कि सजा के खिलाफ लालू पक्ष के लोग हाई कोर्ट में अपील करेंगे, जैसा कि आरजेडी नेताओं ने पहले ही कह रखा है. सबसे बड़ी आशंका इस बात को लेकर है कि अगर सजा की अवधि लंबी हुई और उसकी वजह से जमानत नहीं मिल पायी तो लालू को लंबे वक्त तक जेल में रहना पड़ेगा. एक संभावना ये भी है कि आम चुनाव 2019 से पहले भी कराये जा सकते हैं, ऐसे में अगर लालू जेल से बाहर नहीं आ पाये तो चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट कौन बांटेगा?
सिर्फ एक दिन की राहत
चारा घोटाले में दोषी लालू की सजा सिर्फ एक दिन के लिए टल गयी. खबरों के मुताबिक स्पेशल कोर्ट ने एक के निधन की वजह से 3 जनवरी को सजा नहीं सुनाई. अब लालू को कितनी सजा मिलेगी इस बात घोषणा विशेष अदालत 4 जनवरी को करेगी.
एक बात और - लालू प्रसाद को दोषी करार दिये जाने के बाद आरजेडी नेताओं के बयान कोर्ट को नागवार गुजरी है. कोर्ट ने अदालत के फैसले के खिलाफ बयान देने पर अवमानना का नोटिस जारी किया है. अवमानना का नोटिस तेजस्वी के अलावा रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी के नाम भी जारी हुआ है.
जेल और सजा नहीं, चिंता ये है -
तीन महीने पहले जब आरजेडी के अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा हुई तो कुछ लोगों ने संभावना जतायी थी कि लालू अध्यक्ष पद छोड़ सकते हैं. या, तेजस्वी को आरजेडी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है. या फिर, तेजस्वी कार्यकारी अध्यक्ष हो सकते हैं. मगर, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. चुनाव हुआ और लालू प्रसाद फिर से आरजेडी के अध्यक्ष बने - और तेजस्वी या किसी और को कार्यकारी अध्यक्ष नहीं बनाया गया. ये संभावनाएं तब चारा घोटाले में आने वाले फैसले को लेकर ही जतायी जा रही थीं. लोगों के कयासों से इतर लालू ने अलग रणनीति अपनायी और खुद 10वीं बार निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिये गये.
जिन बातों को लेकर तमाम संभावनाओं पर विचार हो रहा था, वक्त ने एक बार फिर लालू परिवार और पार्टी को उसी स्थिति में ला दिया है. लालू ने इतना तो कर दिया कि तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया, लेकिन इतने भर से तकनीकी मामले नहीं सुलझ पाते.
लालू के सभी शुभेच्छु जानते हैं कि चारा घोटाले से जुड़े और भी मामलों में फैसला आने में ज्यादा देर नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने ही तो इस मामले की नौ महीने में सुनवाई पूरी करने की हिदायत दी थी. अगर बाकी मामलों में भी फैसले आये और कोर्ट ने सजा सुना दी, फिर तो मुश्किलों का अंबार लग जाएगा.
अभी तो सबकी टेंशन ये है कि सजा की अवधि कम रही तो जमानत की कुछ उम्मीद की जा सकती है. अगर सजा पांच साल से ऊपर हुई तो जमानत भी जल्द मिलने से रही. अगर सजा की अवधि लंबी न भी हुई तो हर मामले में अलग अलग जमानत लेनी होगी और उसमें वक्त कितना लगेगा कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता.
दरअसल, चुनावों में उम्मीदवारों को सिंबल पार्टी अध्यक्ष ही देता है जो फिलहाल लालू प्रसाद हैं. सबसे बड़ी मुश्किल तब होगी जब आम चुनाव की तारीख संभावित वक्त से पहले आ जाये - और लालू की जेल अवधि लंबी खिंच जाये. ऐसी हालत में आरजेडी को नया अध्यक्ष या कम से कम कार्यकारी अध्यक्ष चुनना होगा. फिलहाल, लालू और उनसे जुड़े सभी लोगों की सबसे बड़ी चिंता इसी बात को लेकर है.
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