"भाजपा को नए Alliance partners मुबारक हों. लालू प्रसाद झुकने और डरने वाला नहीं हैं. जबतक आखिरी सांस है फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ता रहूंगा."
"ज्यादा लार मत टपकाओ. गठबंधन अटूट है. अभी तो समान विचारधारा के और दलों को साथ जोड़ना है. मैं BJP के सरकारी तंत्र और सरकारी सहयोगियों से नहीं डरता."
ये ट्वीट्स हैं आरजेडी चीफ लालू प्रसाद के. ये ट्वीट्स लालू प्रसाद ने अपने परिवार के ठिकानों पर आयकर विभाग द्वारा मारे गये छापे के बाद किए हैं. इन ट्वीट्स के बाद बिहार ही नहीं देश का राजनीतिक पारा एकाएक बढ़ गया है. ऐसे ट्वीट्स से राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि क्या लालू प्रसाद ने अपना संदेश दे दिया है?
अब सवाल ये भी उठ रहा है कि कैसे नीतीश कुमार लालू प्रसाद और उनके बेटों का बचाव कर पाएंगे. अगर बचाव नहीं भी करते तो क्या सुशासन बाबू नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल में लालू के दोनों दागदार बेटों को अगर बनाये रखते हैं तो उनकी नीयत पर सवाल खड़ा नहीं होगा?
एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर बेनामी संपत्ति का आरोप लगने के बाद कहा था है कि अगर बीजेपी के पास लालू की संपत्ति को लेकर सबूत हैं तो उन्हें कोर्ट जाना चाहिए, जांच करानी चाहिए. नीतीश कुमार ने कहा था कि इन आरोपों की जांच कराने की शक्ति राज्य सरकार के पास नहीं है, केंद्र ही इस मामले पर जांच करा सकती है. उसी वक्त से राजनीतिक गलियारों में यह कयास लगाए जाने लगे थे कि दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. और ठीक अगले ही दिन लालू प्रसाद यादव से जुड़े 22 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे.
लालू प्रसाद पर क्या हैं आरोप
- लालू प्रसाद यादव के पुत्रों तेजस्वी तथा तेजप्रताप पर भी फर्ज़ी...
"भाजपा को नए Alliance partners मुबारक हों. लालू प्रसाद झुकने और डरने वाला नहीं हैं. जबतक आखिरी सांस है फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ता रहूंगा."
"ज्यादा लार मत टपकाओ. गठबंधन अटूट है. अभी तो समान विचारधारा के और दलों को साथ जोड़ना है. मैं BJP के सरकारी तंत्र और सरकारी सहयोगियों से नहीं डरता."
ये ट्वीट्स हैं आरजेडी चीफ लालू प्रसाद के. ये ट्वीट्स लालू प्रसाद ने अपने परिवार के ठिकानों पर आयकर विभाग द्वारा मारे गये छापे के बाद किए हैं. इन ट्वीट्स के बाद बिहार ही नहीं देश का राजनीतिक पारा एकाएक बढ़ गया है. ऐसे ट्वीट्स से राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि क्या लालू प्रसाद ने अपना संदेश दे दिया है?
अब सवाल ये भी उठ रहा है कि कैसे नीतीश कुमार लालू प्रसाद और उनके बेटों का बचाव कर पाएंगे. अगर बचाव नहीं भी करते तो क्या सुशासन बाबू नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल में लालू के दोनों दागदार बेटों को अगर बनाये रखते हैं तो उनकी नीयत पर सवाल खड़ा नहीं होगा?
एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर बेनामी संपत्ति का आरोप लगने के बाद कहा था है कि अगर बीजेपी के पास लालू की संपत्ति को लेकर सबूत हैं तो उन्हें कोर्ट जाना चाहिए, जांच करानी चाहिए. नीतीश कुमार ने कहा था कि इन आरोपों की जांच कराने की शक्ति राज्य सरकार के पास नहीं है, केंद्र ही इस मामले पर जांच करा सकती है. उसी वक्त से राजनीतिक गलियारों में यह कयास लगाए जाने लगे थे कि दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. और ठीक अगले ही दिन लालू प्रसाद यादव से जुड़े 22 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे.
लालू प्रसाद पर क्या हैं आरोप
- लालू प्रसाद यादव के पुत्रों तेजस्वी तथा तेजप्रताप पर भी फर्ज़ी कंपनियों की मदद से 1,000 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति बनाने का आरोप है.
- राज्यसभा प्रतिनिधि मीसा भारती काले धन को अपनी कंपनियों मिशैल पैकर्स एंड प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों की संदिग्ध खरीद-फरोख्त के ज़रिये सफेद बनाया.
- मीसा और उनके पति शैलेश कुमार अक्टूबर 2008 में अपनी कंपनी के 10 रुपये फेस वैल्यू वाले शेयर वीरेंद्र जैन की शालिनी होल्डिंग्स को 100 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर बेचे, और 1.20 करोड़ रुपये हासिल किए. 11 महीने बाद मीसा ने सभी शेयर 10 रुपये की कीमत पर ही वीरेंद्र जैन से वापस खरीद लिए.
- साल 2008-09 में मीसा भारती ने दिल्ली के बिजवासन इलाके में 1.41 करोड़ रुपये में एक फार्महाउस खरीदा, जिसका मौजूदा बाज़ार मूल्य लगभग 50 करोड़ रुपये है.
- लालू के बेटों पर आरजेडी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह से तीन मंजिला घर गिफ्ट के रूप में लेना का आरोप है.
- सुशील कुमार मोदी ने लालू प्रसाद यादव के परिवार पर मिट्टी घोटाले का भी आरोप लगाया है. उनका दावा था कि मॉल की मिट्टी गलत तरीके से चिड़िया घर को बेची गई.
- सुशील मोदी ने तेज प्रताप पर आरोप लगाया था कि औरंगाबाद में 20 हजार स्क्वायर फीट जमीन 53 लाख रुपए में खरीदी. बाद में इस जमीन के नाम पर सवा दो करोड़ का बैंक लोन लिया.
हालांकि ये बात और है कि महागंठबंधन के दोनों बड़े नेता नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यह हमेशा ही दोहराते रहे हैं कि उनका गठबंधन अटूट है और यह कायम रहेगा. लेकिन, दोनों नेताओं व उनके दलों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार रहे हैं. मसलन-
दोनों पार्टियों के बीच मतभेद
- शराबबंदी को लेकर दोनों नेताओं के मत अलग अलग रहे हैं.
- नोटबंदी पर जहां नितीश कुमार मोदी को साथ दे रहे थे लालू इसके विरोध में थे.
- हाल में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में गठबंधन को लेकर दोनों नेताओं के मत अलग अलग थे. एक ओर जहां नितीश गठबंधन के समर्थक थे तो लालू इसके विरोध में थे.
- राजद बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को लेकर भी दोनों की राय भिन्न थे चाहे वो फ़ोन पर लालू के साथ जेल से बात का प्रकरण हो या जेल से रिहा होने के विवाद.
- इससे पहले राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का बयान आया था कि नितीश कुमार तो मज़बूरी के नेता हैं और असली नेता तो लालूजी हैं.
- अगस्त महीने में लालू द्वारा प्रायोजित " भाजपा हटाओ, देश बचाओ" रैली में शामिल होने को लेकर नितीश कुमार अभी अपने पते नहीं खोले हैं.
वर्तमान में बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से आरजेडी के पास 80, जेडीयू के 71, बीजेपी के पास 53, कांग्रेस के 27, भाकपा माले के 3, लोजपा के 2, रालोसपा के पास भी 2, हम के 1, और निर्दलीय के पास 4 सदस्य हैं.
पहले चारा घोटाला, शहाबुद्दीन का मामला और फिर बेनामी संपत्ति मामले में जहां लालू प्रसाद की परेशानियां बढ़ती जा रही है वहीं, विपक्ष उनके सहयोगी नीतीश कुमार को भी घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. मुख्य विपक्षी बीजेपी लगातार नीतीश पर लालू से गठबंधन तोड़ने का दबाव बना रहा है. आनेवाले समय में बिहार के साथ-साथ इसका असर पूरे देश की राजनीति में देखने को मिल सकता है.
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