अपनी अदाकारी के दम पर बॉलीवुड में 'ट्रैजेडी किंग' का खिताब पाने वाले अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) इस दुनिया को अलविदा कह गए. दिलीप कुमार ने एक अभिनेता के तौर पर उस मुकाम को पा लिया था, जहां तक पहुंचना आजकल के कलाकारों के लिए नामुमकिन सा लगता है. दिलीप कुमार के निधन से पूरे देश के सिनेप्रेमियों में शोक की लहर है. दिलीप कुमार के इंतकाल (Dilip Kumar death) पर नेताओं से लेकर बॉलीवुड के तमाम लोगों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की. सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनल्स की टीवी स्क्रीन तक अलविदा...दिलीप साहब के संदेशों से पटी पड़ी हुई हैं. कई लोगों ने दिलीप कुमार को उनके फिल्मी नाम की जगह असली नाम यूसुफ खान (Muhammed Yusuf Khan) के साथ भी अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट कीं.
इन श्रद्धांजलियों में 'स्वर कोकिला' लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने भी दिलीप कुमार के साथ अपने स्नेह से परिपूर्ण रिश्ते को ट्वीट के जरिये जाहिर करते हुए सिलसिलेवार लिखा कि यूसुफ भाई आज अपनी छोटी सी बहन को छोड़ के चले गए. यूसुफ भाई क्या गए, एक युग का अंत हो गया. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा. मैं बहुत दुखी हूं, नि:शब्द हूं. कई बातें, कई यादें हमें देके चले गए. यूसुफ भाई पिछले कई सालों से बीमार थे, किसी को पहचान नहीं पाते थे. ऐसे वक्त सायरा भाभी ने सब छोड़कर उनकी दिन-रात सेवा की है. उनके लिए दूसरा कुछ जीवन नहीं था. ऐसी औरत को मैं प्रणाम करती हूं और यूसुफ भाई की आत्मा को शांति मिले ये दुआ करती हूं. लता मंगेशकर ने दिलीप कुमार के साथ बिताए कुछ आत्मीय पलों की तस्वीरें भी साझा की.
लेकिन, जैसा कि हमेशा होता आया है. हर चीज पर हिंदू-मुसलमान करने वाले लोगों को लता...
अपनी अदाकारी के दम पर बॉलीवुड में 'ट्रैजेडी किंग' का खिताब पाने वाले अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) इस दुनिया को अलविदा कह गए. दिलीप कुमार ने एक अभिनेता के तौर पर उस मुकाम को पा लिया था, जहां तक पहुंचना आजकल के कलाकारों के लिए नामुमकिन सा लगता है. दिलीप कुमार के निधन से पूरे देश के सिनेप्रेमियों में शोक की लहर है. दिलीप कुमार के इंतकाल (Dilip Kumar death) पर नेताओं से लेकर बॉलीवुड के तमाम लोगों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की. सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनल्स की टीवी स्क्रीन तक अलविदा...दिलीप साहब के संदेशों से पटी पड़ी हुई हैं. कई लोगों ने दिलीप कुमार को उनके फिल्मी नाम की जगह असली नाम यूसुफ खान (Muhammed Yusuf Khan) के साथ भी अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट कीं.
इन श्रद्धांजलियों में 'स्वर कोकिला' लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने भी दिलीप कुमार के साथ अपने स्नेह से परिपूर्ण रिश्ते को ट्वीट के जरिये जाहिर करते हुए सिलसिलेवार लिखा कि यूसुफ भाई आज अपनी छोटी सी बहन को छोड़ के चले गए. यूसुफ भाई क्या गए, एक युग का अंत हो गया. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा. मैं बहुत दुखी हूं, नि:शब्द हूं. कई बातें, कई यादें हमें देके चले गए. यूसुफ भाई पिछले कई सालों से बीमार थे, किसी को पहचान नहीं पाते थे. ऐसे वक्त सायरा भाभी ने सब छोड़कर उनकी दिन-रात सेवा की है. उनके लिए दूसरा कुछ जीवन नहीं था. ऐसी औरत को मैं प्रणाम करती हूं और यूसुफ भाई की आत्मा को शांति मिले ये दुआ करती हूं. लता मंगेशकर ने दिलीप कुमार के साथ बिताए कुछ आत्मीय पलों की तस्वीरें भी साझा की.
लेकिन, जैसा कि हमेशा होता आया है. हर चीज पर हिंदू-मुसलमान करने वाले लोगों को लता मंगेशकर का ये ट्वीट पसंद आ गया. सोशल मीडिया की भाषा में ट्रोलर्स (Trollers) कहे जाने वाले इन लोगों को लता मंगेशकर के ट्वीट में भाई के लिए दर्शाया गया स्नेह दिखाई नहीं दिया. उन्हें लता मंगेशकर का दु:ख महसूस नहीं हुआ. इन ट्रोलर्स को सायरा बानो को भाभी कहना नहीं दिखा. इन खाली वक्त वालों को सायरा बानो की दिलीप कुमार से बेपनाह मोहब्बत को दिया गया सम्मान नहीं दिखा. दिखा, तो केवल 'यूसुफ' और यूसुफ के साथ जुड़ा शब्द भाई भी नहीं दिखा. बताना जरूरी है कि लता मंगेशकर लंबे समय से दिलीप कुमार को राखी बांधती रही हैं और उन्हें अपने बड़ा भाई का दर्जा दिया था.
दिलीप कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि फिल्मों में आने के लिए उन्हें अपना नाम बदलना पड़ा. मोहम्मद यूसुफ खान (Muhammed Yusuf Khan) से दिलीप कुमार बनने के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा था कि पिता के नाराज होने के डर की वजह से उन्होंने अपना नाम बदल लिया था. दरअसल, यूसुफ खान के पिता फिल्मों के सख्त खिलाफ थे. वो नहीं चाहते थे कि एक पठान का बेटा भांडगिरी करे. पिता के डर से यूसुफ खान नाम बदलकर दिलीप कुमार हो गए. दिलीप कुमार के इस किस्से से लेकर आज तक उनसे जुड़े किसी किस्से में उनके नाम को लेकर कोई बवाल होता नहीं दिखा.
महान नाटककार विलियम शेक्सपियर (William Shakespeare) ने कहा था कि नाम में क्या रखा है. अगर गुलाब को कुछ और कहा जाए, तो भी उसकी सुगंध उतनी ही मधुर होगी. लेकिन, भारत में ऐसा नहीं होता है. बीते कुछ सालों में देश की राजनीति ने लोगों के नामों का महत्व बढ़ा दिया है. बॉलीवुड के दर्जनों मुस्लिम सितारों को उनके हिंदू नामों के साथ लोगों ने अपनाया है. लेकिन, हाल के सालों में ये अपनत्व कही खोता जा रहा है. इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि रिश्ते में बसी सुंदरता को देखने की जगह कुछ लोगों का ध्यान हिंदू-मुसलमान से लेकर राजनीतिक विचारधारा तक चला जाता है. लोगों को किसी की मौत पर उसके नाम पर विवाद पैदा करने वालों लोगों को ऐसा बनाने के लिए इस देश की जाति और धर्म आधारित राजनीति को प्रणाम करते हुए मैं अपनी बात खत्म करता हूं. अलविदा यूसुफ साहब...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.