बड़े लंबे समय बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने राजभवन का रुख किया और राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की. ममता बनर्जी से पहले राजभवन में एक और महत्वपूर्ण मुलाकात हुई थी - राज्यपाल जगदीप धनखड़ और बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली (Saurav Ganguli) की. तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण सौरव गांगुली को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था, लेकिन अब पूरी तरह ठीक होकर वो घर लौट चुके हैं. सौरव गांगुली के अस्पताल में भर्ती होते ही सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल रहीं. अस्पताल में सौरव गांगुली से मिलने और बात करने के बाद ममता बनर्जी ने डॉक्टरों के प्रति आभार भी प्रकट किया था. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी अस्पताल पहुंच कर सौरव गांगुली का हालचाल लिया था.
अस्पताल जाकर सौरव गांगुली से मिलने वालों में मुख्यमंत्री के अलावा पश्चिम बंगाल के तत्कालीन खेल मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला (Laxmi Ratan Shukla) भी शामिल थे. बाद में लक्ष्मी रतन शुक्ला ने ममता बनर्जी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया - और एक ऐसा ट्वीट किया जो पश्चिम बंगाल के लिए सबसे बड़ी राजनीतिक पहेली बन चुका है.
दरअसल, लक्ष्मी रतन शुक्ला ने ट्विटर पर अपनी टिप्पणी के साथ एक पेंटिंग शेयर किया है - और उसमें सौरव गांगुली का नाम लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक चर्चा का सबसे हॉट टॉपिक बना दिया है - वो सिंपल सी पेंटिंग पश्चिम बंगाल की चुनावी राजनीति में 'द दा विंची कोड' जैसी महसूस की जाने लगी है. हो सकता है ममता बनर्जी के लिए ये समझना आसान हो क्योंकि वो खुद भी तो पेंटर हैं.
बंगाल का 'द दा विंची कोड' ट्विटर पर
पश्चिम बंगाल के गर्मागर्म चुनावी माहौल में ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वालों में लक्ष्मी रतन शुक्ला का भी नाम जुड़ गया है. पूर्व क्रिकेटर और बंगाल की रणजी टीम के कप्तान रहे लक्ष्मी रतन शुक्ला हावड़ा उत्तर से तृणमूल कांग्रेस के विधायक हैं. लक्ष्मी रतन शुक्ला ने 2016 में टीएमसी ज्वाइन किया था और चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने कैबिनेट...
बड़े लंबे समय बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने राजभवन का रुख किया और राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की. ममता बनर्जी से पहले राजभवन में एक और महत्वपूर्ण मुलाकात हुई थी - राज्यपाल जगदीप धनखड़ और बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली (Saurav Ganguli) की. तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण सौरव गांगुली को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था, लेकिन अब पूरी तरह ठीक होकर वो घर लौट चुके हैं. सौरव गांगुली के अस्पताल में भर्ती होते ही सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल रहीं. अस्पताल में सौरव गांगुली से मिलने और बात करने के बाद ममता बनर्जी ने डॉक्टरों के प्रति आभार भी प्रकट किया था. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी अस्पताल पहुंच कर सौरव गांगुली का हालचाल लिया था.
अस्पताल जाकर सौरव गांगुली से मिलने वालों में मुख्यमंत्री के अलावा पश्चिम बंगाल के तत्कालीन खेल मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला (Laxmi Ratan Shukla) भी शामिल थे. बाद में लक्ष्मी रतन शुक्ला ने ममता बनर्जी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया - और एक ऐसा ट्वीट किया जो पश्चिम बंगाल के लिए सबसे बड़ी राजनीतिक पहेली बन चुका है.
दरअसल, लक्ष्मी रतन शुक्ला ने ट्विटर पर अपनी टिप्पणी के साथ एक पेंटिंग शेयर किया है - और उसमें सौरव गांगुली का नाम लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक चर्चा का सबसे हॉट टॉपिक बना दिया है - वो सिंपल सी पेंटिंग पश्चिम बंगाल की चुनावी राजनीति में 'द दा विंची कोड' जैसी महसूस की जाने लगी है. हो सकता है ममता बनर्जी के लिए ये समझना आसान हो क्योंकि वो खुद भी तो पेंटर हैं.
बंगाल का 'द दा विंची कोड' ट्विटर पर
पश्चिम बंगाल के गर्मागर्म चुनावी माहौल में ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वालों में लक्ष्मी रतन शुक्ला का भी नाम जुड़ गया है. पूर्व क्रिकेटर और बंगाल की रणजी टीम के कप्तान रहे लक्ष्मी रतन शुक्ला हावड़ा उत्तर से तृणमूल कांग्रेस के विधायक हैं. लक्ष्मी रतन शुक्ला ने 2016 में टीएमसी ज्वाइन किया था और चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने कैबिनेट में शामिल करते हुए उनको खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दे रखी थी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लक्ष्मी रतन शुक्ला ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र में लिखा था, 'मैं फिलहाल राजनीति छोड़ रहा हूं... अगर आप मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लेती हैं तो मैं आपका आभारी रहूंगा - और मुझे हावड़ा जिला तृणमूल कांग्रेस (सदर) के अध्यक्ष पद सहित सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दें... मुझे अपने रूचि के क्षेत्र पर ध्यान देने की अनुमति दें - मैं अपना कार्यकाल खत्म होने तक विधायक के तौर पर सेवा देता रहूंगा.'
लक्ष्मी रतन शुक्ला से पहले शुभेंदु अधिकारी ने भी ऐसे ही पहली बार में सिर्फ मंत्रिमंडल छोड़ा था - और 19 दिसंबर, 2020 को अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी ज्वाइन करने के ऐन पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. लक्ष्मी रतन शुक्ला फिलहाल जो भी दावा करें, लेकिन शुभेंदु की ही तरह उनका भी झुकाव बीजेपी की तरफ लगने लगा है.
असल में लक्ष्मी रतन शुक्ला ने ट्विटर पर एक पेंटिंग शेयर किया है जिसमें वो सौरव गांगुली के साथ क्रिकेट यूनिफॉर्म में नजर आते हैं - और सौरव गांगुली उनके कंधे पर हाथ रखे हुए हैं. सौरव गांगुली और लक्ष्मी रतन शुक्ला बंगाल के साथ साथ टीम इंडिया में भी एक साथ क्रिकेट खेल चुके हैं.
पेंटिंग के साथ अपनी पोस्ट में लक्ष्मी रतन शुक्ला ने सौरव गांगुली को दोस्त कहते हुए शुक्रिया अदा किया है - और जो लिखा है वो बहुत बड़ी बात है जिसमें कोई गहरा राज छिपा हुआ लगता है, 'एक सच्चा नेता/कैप्टन सिर्फ अपने ही नहीं खेलते हैं, बल्कि टीम को भी खेलने का मौका देते हैं.'
ये तो साफ है कि लक्ष्मी रतन शुक्ला की एक ही लाइन में सौरव गांगुली के लिए तारीफ भी है और ममता बनर्जी के लिए तंज भी. देखा जाये तो लक्ष्मी रतन शुक्ला भी ममता बनर्जी पर शुभेंदु अधिकारी जैसे ही इल्जाम लगाते नजर आ रहे हैं.
लक्ष्मी रतन शुक्ला का ये ट्वीट इसलिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है क्योंकि तबीयत खराब होने से कुछ ही दिन पहले सौरव गांगुली कोलकाता में राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिले और उसके ठीक बाद दिल्ली में एक कार्यक्रम में बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ देखे गये. कार्यक्रम क्रिकेट और राजनीति से एक साथ जुड़ा था - ये डीडीसीए के कार्यक्रम में अरुण जेटली की मूर्ति का अनावरण का आयोजन था.
अब लक्ष्मी रतन शुक्ला के ट्वीट में पेंटिंग एक पहली जैसा हो गया है जिसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं - स्वाभाविक सा सवाल है कि क्या लक्ष्मी रतन शुक्ला के ट्वीट के जरिये वास्तव में कोई राजनीतिक संदेश देने की कोशिश हुई है?
कौन होगा बंगाल में बीजेपी का मुख्यमंत्री चेहरा?
जिस तरीके से लक्ष्मी रतन शुक्ला ने बीसीसीआई अध्यक्ष को कैप्टन के तौर पर प्रोजेक्ट किया है, उससे तो यही लगता है कि सौरव गांगुली कि नयी पारी राजनीतिक होने वाली है.
पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि लक्ष्मी रतन शुक्ला ने इस्तीफा इसलिए दिया है - क्योंकि वो अपने खेल पर ध्यान देना चाहते हैं. अगर ममता बनर्जी सोचती भी ऐसा ही हैं, तो काफी अजीब लगता है. जिसका क्रिकेट कॅरियर बरसों पहले खत्म हो चुका हो - और पांच साल से वो सक्रिय राजनीति और राज्य सरकार में मंत्री रहा हो वो अब खेल पर किस तरह का फोकस करना चाहता है. हो सकता है कि लक्ष्मी रतन शुक्ला की नजर क्रिकेट बोर्ड की पॉलिटिक्स पर हो, लेकिन जब सूबे में चुनाव सिर पर हों, ऐसे में खेल पर फोकस करना क्या इतना आसान होगा?
वैसे चर्चाएं तेज होने और धीरे धीरे अफवाहों के रूप ले लेने के डर से लक्ष्मी रतन शुक्ला खुद ही मीडिया के सामने आये हैं... और सफाई भी दी है - 'न मैं मैदान छोड़ा हूं, न भाग रहा हूं, कुछ समय के लिए राजनीति छोड़ रहा हूं.' ये बातें लक्ष्मी रतन शुक्ला ने हावड़ा के एलआरएस स्पोर्ट्स अकादमी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही.
लक्ष्मी रतन शुक्ला ने जोर देकर कहा कि वो स्पोर्ट्स पर फोकस करना चाहते हैं और उनकी लाइफ में कोई एजेंडा नहीं है. वो विधायक का अपना कार्यकाल पूरा करेंगे लेकिन ध्यान खेल पर रहेगा. लगे हाथ एक और महत्वपूर्ण बात भी कही, 'मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ संबंध थे, हैं - और रहेंगे.'
अच्छी बात है. हर किसी को अपनी बात कहने और दूसरों के समझ में न आने पर सफाई देने का भी हक हासिल है, लेकिन सफाई भी ऐसी ही होनी चाहिये जो आसानी से गले के नीचे उतर जाये.
अगर लक्ष्मी रतन शुक्ला की लाइफ में कोई एजेंडा नहीं है तो वो सौरव गांगुली को किस चीज का कैप्टन बता रहे हैं? सिर्फ कैप्टन ही नहीं साथ साथ नेता भी बता रहे हैं. बेशक कैप्टन वही होता है जिसमें लीडरशिप क्वालिटी होती है - और सौरव गांगुली देश के सफल क्रिकेट कैप्टन में से एक माने जाते हैं. बल्कि ऐसे कैप्टन के तौर पर याद किये जाते हैं जिसने जीतने का स्वाद चखाया और मैच जीतने में राजनीति के फॉर्मूले साम-दाम-दंड-भेद का भी खुलेआम इस्तेमाल किया - सौरव गांगुली का टी-शर्ट खोल कर झंडे की तरफ फहराना भी क्रिकेट की दुनिया में एक पॉलिटिकली करेक्ट कदम के तौर पर देखा गया. एक ऐसा कदम जो प्रतिद्वंद्वी को सबक और भय का संकेत भी देता हो और टीम का जोश भी हाई रखता हो.
सौरव गांगुली की जो खासियतें हैं, लक्ष्मी रतन शुक्ला का ट्वीट भी उससे पूरी तरह मेल खाता है - और ट्वीट में जिन शब्दों का इस्तेमाल हुआ है, वो डिकोड किये जाने पर राजनीति के उस खेल के भी संकेत साफ साफ दे रहे हैं जिन पर लक्ष्मी रतन शुक्ला फोकस करने का दावा कर रहे हैं. लक्ष्मी रतन शुक्ला ने भले ही राजनीति से दूर रहने की बात कही है, लेकिन फिर भी उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि ट्विटर पर पहेली जो छोड़ रखी है.
पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी ने अभी तक मुख्यमंत्री के अपने चेहरे को लेकर परदा नहीं हटाया है - और सौरव गांगुली ने भी अभी तक बीजेपी ज्वाइन करने तक की बात कंफर्म नहीं की है, फिर भी लक्ष्मी रतन शुक्ला का ट्वीट जो औपचारिक तौर पर बताया जा रहा है, उसे यूं ही न मान लेने के लिए मजबूर कर रहा है.
बीजेपी के मुख्यमंत्री को लेकर अमित शाह ने अब तक सिर्फ इतना ही बताया है कि सत्ता में आने पर जो भी मुख्यमंत्री होगा वो बंगाल की मिट्टी से ही होगा. वैसे चेहरा घोषित न किये जाने की सूरत में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ती आयी है. दिल्ली चुनाव में इस बार बीजेपी ने ऐसा ही किया था. पांच साल पहले किरण बेदी को अचानक बीजेपी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर बीजेपी प्रयोग भी कर चुकी है और नतीजे का भी अनुभव कर चुकी है. 2015 में दिल्ली चुनाव में बीजेपी की हार की वजह पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी ही मानी गयी थी.
बंगाल की बात अलग हो सकती है - पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कई नेता एक्टिव हैं, बाबुल सुप्रियो भी एक हैं, लेकिन लगता है बीजेपी उनको मनोज तिवारी जैसा ही समझती है. वैसे बाबुल सुप्रियो भी ममता बनर्जी के खिलाफ वैसे ही आक्रामक नजर आते हैं जैसे मनोज तिवारी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ.
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