कर्नाटक को लेकर कांग्रेस का स्टैंड हिमाचल प्रदेश से बिलकुल अलग है. हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कांग्रेस डिफेंसिव तो रही ही, कई बार तो ऐसा लगा जैसे उनसे पीछे छुड़ाने के लिए चुनाव हार जाना चाहती हो. कुछ कुछ वैसे ही जैसे पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी का रवैया देखने को मिला था.
कर्नाटक को लेकर कांग्रेस तो गंभीर है ही, बीजेपी की भी कोशिश चुनाव जीत कर गुजरात का हिसाब बराबर करने की है. गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी की राह में कदम कदम पर मुश्किलें तो पैदा की है, उसे 100 सीटों के आंकड़े तक न पहुंचने दिया.
'विकास तो पागल...'
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भले ही विकास की बात और चुनावी वादे पूरे कर लेने का दावा करें, लेकिन लगता नहीं कि बीजेपी ऐसी बातों को चुनावी मुद्दा बनने देगी. पश्चिम बंगाल में बीजेपी भले ही मुस्लिम सम्मेलन कराती फिरे, लेकिन कर्नाटक में वो हिंदू एजेंडे के साथ ही आगे बढ़ रही है - और इसके पीछे वजह बीजेपी की एक बड़ी कमजोरी है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक भेज कर बीजेपी ने पहले ही अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं. खबरों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बीजेपी के एजेंडे में फंसने की बजाये विकास के अपने एजेंडे पर कायम रहने के निर्देश दिये गये थे, लेकिन योगी के दौरे के साथ ही मुद्दा पलट गया.
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लोकपाल की नियुक्ति का मसला उठाया था. लोकपाल के जिक्र का मतलब भ्रष्टाचार का मुद्दा उछालना हुआ. राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव से पहले जानबूझ कर ये मुद्दा उठाया था. बीजेपी को ये बात समझ आ गयी और...
कर्नाटक को लेकर कांग्रेस का स्टैंड हिमाचल प्रदेश से बिलकुल अलग है. हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कांग्रेस डिफेंसिव तो रही ही, कई बार तो ऐसा लगा जैसे उनसे पीछे छुड़ाने के लिए चुनाव हार जाना चाहती हो. कुछ कुछ वैसे ही जैसे पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी का रवैया देखने को मिला था.
कर्नाटक को लेकर कांग्रेस तो गंभीर है ही, बीजेपी की भी कोशिश चुनाव जीत कर गुजरात का हिसाब बराबर करने की है. गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी की राह में कदम कदम पर मुश्किलें तो पैदा की है, उसे 100 सीटों के आंकड़े तक न पहुंचने दिया.
'विकास तो पागल...'
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भले ही विकास की बात और चुनावी वादे पूरे कर लेने का दावा करें, लेकिन लगता नहीं कि बीजेपी ऐसी बातों को चुनावी मुद्दा बनने देगी. पश्चिम बंगाल में बीजेपी भले ही मुस्लिम सम्मेलन कराती फिरे, लेकिन कर्नाटक में वो हिंदू एजेंडे के साथ ही आगे बढ़ रही है - और इसके पीछे वजह बीजेपी की एक बड़ी कमजोरी है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक भेज कर बीजेपी ने पहले ही अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं. खबरों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बीजेपी के एजेंडे में फंसने की बजाये विकास के अपने एजेंडे पर कायम रहने के निर्देश दिये गये थे, लेकिन योगी के दौरे के साथ ही मुद्दा पलट गया.
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लोकपाल की नियुक्ति का मसला उठाया था. लोकपाल के जिक्र का मतलब भ्रष्टाचार का मुद्दा उछालना हुआ. राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव से पहले जानबूझ कर ये मुद्दा उठाया था. बीजेपी को ये बात समझ आ गयी और उसने फौरन ही मुद्दा पलट दिया.
असल में, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को भ्रष्टाचार के आरोपों में कुर्सी छोड़नी पड़ी और 2011 में जेल तक जाना पड़ा. 2013 में चुनाव हुए और कांग्रेस ने बीजेपी को बेदखल कर दिया. फिलहाल येदियुरप्पा ही बीजेपी का मुख्यमंत्री चेहरा हैं, हालांकि, अभी तक ऐसी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है.
मगर, हिंदुत्व हावी है...
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तीन दिन के दौरे पर कर्नाटक जा रहे हैं. चुनाव प्रचार के पहले दौर में वो 10 फरवरी से 12 फरवरी के बीच कर्नाटक में रहेंगे. इस दौरान वो कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग के अलावा राज्य के बुद्धिजीवियों, किसानों, महिलाओं और छात्रों से बातचीत करेंगे. राहुल गांधी का गुजरात में भी ऐसा ही कार्यक्रम बना था. राहुल के दौरे से पहले कर्नाटक में कांग्रेस की चुनाव रणनीति पर विचार के लिए दिल्ली में मीटिंग रखी गयी थी जिसमें हिस्सा लेने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी पहुंचे थे. मीटिेंग के बाद सिद्धारमैया ने कहा कि बीजेपी बेतुके मुद्दों को उठा रही है - क्योंकि उनके पास को मुद्दा ही नहीं है. सिद्धारमैया ने कहा कि योगी आदित्यनाथ और अमित शाह वैसे ही मुद्दे उछाल रहे हैं - और नरेंद्र मोदी भी ऐसा ही करेंगे. दिल्ली में सिद्धारमैया ने कहा कि राहुल गांधी इस बात से खुश हैं कि कर्नाटक में सत्ता विरोधी लहर नहीं है - और चुनाव मैनिफेस्टो में हमने जो वादे किये थे वे पूरे हो गये. माना जा रहा है कि राहुल गांधी के दौरे में उन्हें गुजरात वाले ही अंदाज में देखा जा सकता है. कर्नाटक में भी राहुल गांधी का जोर मंदिर और धार्मिक स्थलों के दर्शन पर ही रहेगा.
गुजरात में राहुल के इस एक्सपेरिमेंट को सॉफ्ट हिंदुत्व के नजरिये से देखा गया था. गुजरात में तो चल गया लेकिन कर्नाटक में इसे नाकाम करने के लिए बीजेपी ने बड़ी ही सधी चाल चल दी. बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एंटी-हिंदू साबित करने की पूरी कोशिश होने लगी. जब अमित शाह का ऐसा बयान आया तो सिद्धारमैया ने आरएसएस और दूसरे हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं में कइयों को आतंकी बता डाला. जब विवाद शुरू हुआ तो सिद्धारमैया पलट गये और सफाई दी कि उन्होंने आतंकी नहीं बल्कि कुछ को हिंदू उग्रवादी बताया था.
वैसे विवाद की शुरुआत तब हुई जब यूपी के सीएम योगी कर्नाटक के दौरे पर जाने वाले थे. योगी के पहुंचने से पहले ही सिद्धारमैया ने ट्विटर पर एक वेलकम नोट पोस्ट कर दी - ये काफी हद तक वैसा ही रहा जैसा केरल के मुख्यमंत्री ने योगी के दौरे से पहले बयान दिया था. तब गोरखपुर में बच्चों की मौत के हवाले से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की ओर यूपी सरकार का ध्यान दिलाने की कोशिश की गयी थी. सिद्धारमैया के कटाक्ष भरे ट्वीट को योगी आदित्यनाथ ने भी काफी गंभीरता से लिया और उन्हें टैग करते हुए जवाबी हमला भी बोल दिया.
देखते ही देखते ट्विटर विवाद ने वीडियो युद्ध का रूप ले लिया. कांग्रेस ने एक वीडियो बनाकर योगी के खिलाफ आपराधिक मामलों और उनसे जुड़ी बातों पर निजी हमले किये. अब बीजेपी ने भी जवाबी वीडियो तैयार किया है - और उसमें सीधे सीधे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को टारगेट किया है.
बीजेपी के इस गुरिल्ला अप्रोच को देखते हुए ऐसा तो नहीं लगता कि कांग्रेस अपने सॉफ्ट हिंदुत्व के बूते उससे मुकाबला कर पाएगी. कर्नाटक में बीजेपी को काउंटर करने के लिए कांग्रेस को कोई नया रास्ता निकालना होगा.
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