लॉकडाउन 2.0 (Lockdown 2.0) में सरकार (Narendra Modi and Amit Shah) को लोगों से ज्यादा अपेक्षा है. कोरोना वायरस से बचाव के लिए 21 दिन के बाद बढ़ाये गये लॉकडाउन में 20 अप्रैल लोगोों को जो छूट मिलनी है, उसके लिए भी गाइडलाइन जारी हो चुकी है.
गृह मंत्रालय के गाइडलाइन का लब्बोलुआब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन 2.0 की घोषणा के साथ ही कर दिया था - और अब तो वो सब सामने ही आ चुका है. कहने को तो ये लॉकडाउन के दौरान अनुपालन के दिशानिर्देश हैं, लेकिन ये काफी हद तक किसी लोक लुभावन बजट जैसा फील दे रहे हैं.
समझने वाली बात ये है कि दिशानिर्देश में बतायी गयी छूट तभी मिलेगी जब लोग शर्तें पूरी करेंगे. लोगों को सरकार की इन शर्तों पर खरा उतरना होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने भी यही कहा था कि सख्ती के साथ लागू होगा. अगर लोगों ने जरा भी चालाकी बरतने की कोशिश की तो हासिल जीरो तय मान कर चलना होगा.
सरकार 20 अप्रैल तक अपने तरीके से हर छोटी बड़ी गतिविधियों पर बारीकी से गौर करेगी. प्रोग्रेस रिपोर्ट की समीक्षा भी वैसे ही होगी जैसे सर्जरी होती है.
जो लोग हॉट-स्पॉट इलाकों के दायरे से बाहर हैं, शर्तों का पूरी तरह पालन किये जाने पर ही ये सुविधाएं मिल सकती हैं - वरना, कोई गफलत नहीं होनी चाहिये क्योंकि नाकामियों के लिए खुद को ही कोसना पड़ेगा. सरकार ने इस बार ये जिम्मेदारी पूरी तरह लोगों पर डाल दी है.
और हां - अमित शाह फिर से मोर्चे पर आ डटे हैं और विपक्ष (Opposition) पर सीधा और कड़ा प्रहार किया है.
अमित शाह का विपक्ष पर सीधा प्रहार
लॉकडाउन बढ़ाये जाने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विस्तार से ये भी बताया था कि कोरोना वायरस दुनिया में फैलने के साथ ही किस तरह केंद्र सरकार शुरू से ही एक्टिव रही. एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग से लेकर लॉकडाउन लागू किये जाने तक. दरअसल, ये बातें विपक्ष खासकर कांग्रेस नेतृत्व के सवालों का जवाब रहीं.
लॉकडाउन बढ़ाये जाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बाद विपक्ष...
लॉकडाउन 2.0 (Lockdown 2.0) में सरकार (Narendra Modi and Amit Shah) को लोगों से ज्यादा अपेक्षा है. कोरोना वायरस से बचाव के लिए 21 दिन के बाद बढ़ाये गये लॉकडाउन में 20 अप्रैल लोगोों को जो छूट मिलनी है, उसके लिए भी गाइडलाइन जारी हो चुकी है.
गृह मंत्रालय के गाइडलाइन का लब्बोलुआब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन 2.0 की घोषणा के साथ ही कर दिया था - और अब तो वो सब सामने ही आ चुका है. कहने को तो ये लॉकडाउन के दौरान अनुपालन के दिशानिर्देश हैं, लेकिन ये काफी हद तक किसी लोक लुभावन बजट जैसा फील दे रहे हैं.
समझने वाली बात ये है कि दिशानिर्देश में बतायी गयी छूट तभी मिलेगी जब लोग शर्तें पूरी करेंगे. लोगों को सरकार की इन शर्तों पर खरा उतरना होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने भी यही कहा था कि सख्ती के साथ लागू होगा. अगर लोगों ने जरा भी चालाकी बरतने की कोशिश की तो हासिल जीरो तय मान कर चलना होगा.
सरकार 20 अप्रैल तक अपने तरीके से हर छोटी बड़ी गतिविधियों पर बारीकी से गौर करेगी. प्रोग्रेस रिपोर्ट की समीक्षा भी वैसे ही होगी जैसे सर्जरी होती है.
जो लोग हॉट-स्पॉट इलाकों के दायरे से बाहर हैं, शर्तों का पूरी तरह पालन किये जाने पर ही ये सुविधाएं मिल सकती हैं - वरना, कोई गफलत नहीं होनी चाहिये क्योंकि नाकामियों के लिए खुद को ही कोसना पड़ेगा. सरकार ने इस बार ये जिम्मेदारी पूरी तरह लोगों पर डाल दी है.
और हां - अमित शाह फिर से मोर्चे पर आ डटे हैं और विपक्ष (Opposition) पर सीधा और कड़ा प्रहार किया है.
अमित शाह का विपक्ष पर सीधा प्रहार
लॉकडाउन बढ़ाये जाने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विस्तार से ये भी बताया था कि कोरोना वायरस दुनिया में फैलने के साथ ही किस तरह केंद्र सरकार शुरू से ही एक्टिव रही. एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग से लेकर लॉकडाउन लागू किये जाने तक. दरअसल, ये बातें विपक्ष खासकर कांग्रेस नेतृत्व के सवालों का जवाब रहीं.
लॉकडाउन बढ़ाये जाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बाद विपक्ष फिर से एक्टिव हो गया था - और वैसे ही रिएक्शन आने लगे थे जैसे आम बजट के बाद आते हैं. लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस नेतृत्व और पी. चिदंबरम जैसे नेता मोदी सरकार पर हमलावर रहे कि बगैर जरूर उपाय किये ही लॉकडाउन की घोषणा कर दी गयी - और अब जब लॉकडाउन बढ़ाये जाने की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने की तो भी प्रतिक्रिया वैसी ही रही.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का मोदी सरकार से सवाल रहा - गरीबों और मजदूरों को भगवान भरोसे क्यों छोड़ दिया जाता है?
ये गाइडलाइन केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी की गयी है. मतलब, इसे गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में तैयार किया गया है. हाल फिलहाल ये भी देखा जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ हर मोर्चे पर सामने से डटे रहने वाले अमित शाह कम दिखायी दे रहे थे. राजनाथ सिंह के ज्यादा सक्रिय नजर आने की वजह ये भी रही कि उनके नेतृत्व में ही मंत्री-समूह बनाया गया था तो जो लॉकडाउन बढ़ाये जाने को लेकर स्थिति की गहन समीक्षा कर रहा था.
लॉकडाउन की गाइडलाइंस के साथ एक बार फिर अमित शाह अपने अंदाज में प्रकट हुए लगते हैं. ऐसा लगता है जैसे दिशानिर्देश तैयार करते वक्त भी देशहित और जनहित के साथ साथ राजनीतिक रणनीति भी ठीक से अपनायी गयी हो. गरीब और मजदूरों पर फोकस दिशानिर्देश एक तरीके से विपक्षी हमलों का सीधा जवाब भी हैं.
1. मनरेगा के कामों की छूट देना तो यही बता रहा है कि प्रियंका गांधी को अब फिक्र करने की जरूरत नहीं है - और अमित शाह ने गरीब और मजदूर तबके के लिए इतना इंतजाम तो कर ही दिया है कि उनको भगवान भरोसे रहने की जरूरत न पड़े.
2. किसान हमेशा से राहुल गांधी की राजनीति के केंद्र में रहे हैं और अगर नये सिरे से वायनाड के अलावा किसानों को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सवाल उठाते हैं तो खेती-बाड़ी को लॉकडाउन में मिली छूट राजनीतिक हिसाब से सेफगार्ड का काम करेगी.
3. सड़क निर्माण और शहरी इलाकों में कंस्ट्रक्शन साइटों पर काम की छूट देकर अमित शाह ने उन उठते सवालों को खामोश करने की कोशिश की है जो बाहरी और दिहाड़ी मजदूरों के पलायन से जुड़े हुए हैं.
कुल मिलाकर ऐसा लगता है जैसे मोदी-शाह मिल कर विपक्ष की मंशा पर सीधा प्रहार कर रहे हों - और गैर-बीजेपी शासित राज्यों में पहले लॉकडाउन की घोषणा करके दबाव बनाने की कोशिश या भीलवाड़ा मॉडल का क्रेडिट राहुल गांधी को देने की सोनिया गांधी के प्रयासों पर पानी फेरने लगे हों.
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