जैसे-जैसे दिन बढ़ रहे हैं भारत (India) में कोरोना वायरस (Coronavirus) अपना उग्र रूप लेता जा रहा है. देश के सामने चुनैती कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत में जहां एक तरफ़ कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों की संख्या 27000 को पार कर गई है तो वहीं बीमारी से मर रहे लोगों का आंकड़ा भी देश की जनता और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को विचलित कर रहा है. भारत में लॉकडाउन (Lockdown) है. 3 मई के बाद लॉक डाउन खत्म किया जाए या नहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर अलग अलग राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस (Video Conference) के जरिये बैठक की है. बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉक डाउन को लेकर राज्य सरकारों के प्रयासों से संतुष्ट नजर आए. पीएम ने कहा कि हमारे सामूहिक प्रयासों का कुछ हद तक असर दिख रहा है. लॉकडाउन का भी प्रभाव पड़ा है, जिसका हमें लाभ देखने को मिला है.
बता दें कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ये पीएम मोदी का चौथा संवाद था जिसमें तमाम रणनीतियों के अलावा इस बात को लेकर चर्चा हुई कि भारत से लॉक डाउन हटाया जाए या नहीं. ध्यान रहे कि वर्तमान में तमाम राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना वायरस दोगुनी रफ्तार में अपने पैर पसार रहा है तो वहीं ऐसे भी राज्य हैं जिन्होंने सूझ बूझ का परिचय देते हुए अपने को कोरोना मुक्त कर लिया है.
देश के पीएम के साथ हुई इस बैठक में मेघालय, गुजरात, बिहार जैसे 9 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने अपने राज्यों की रिपोर्ट पीएम मोदी को दी है और बताया है कि लॉक डाउन के मद्देनजर अभी और क्या रणनीति बनाई जा सकती है.
वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई इस बैठक में पीएम मोदी के साथ देश के गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे जिन्होंने तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि यदि उनके राज्य में लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो इसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ ये लड़ाई लंबी है और हमें साथ...
जैसे-जैसे दिन बढ़ रहे हैं भारत (India) में कोरोना वायरस (Coronavirus) अपना उग्र रूप लेता जा रहा है. देश के सामने चुनैती कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत में जहां एक तरफ़ कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों की संख्या 27000 को पार कर गई है तो वहीं बीमारी से मर रहे लोगों का आंकड़ा भी देश की जनता और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को विचलित कर रहा है. भारत में लॉकडाउन (Lockdown) है. 3 मई के बाद लॉक डाउन खत्म किया जाए या नहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर अलग अलग राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस (Video Conference) के जरिये बैठक की है. बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉक डाउन को लेकर राज्य सरकारों के प्रयासों से संतुष्ट नजर आए. पीएम ने कहा कि हमारे सामूहिक प्रयासों का कुछ हद तक असर दिख रहा है. लॉकडाउन का भी प्रभाव पड़ा है, जिसका हमें लाभ देखने को मिला है.
बता दें कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ये पीएम मोदी का चौथा संवाद था जिसमें तमाम रणनीतियों के अलावा इस बात को लेकर चर्चा हुई कि भारत से लॉक डाउन हटाया जाए या नहीं. ध्यान रहे कि वर्तमान में तमाम राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना वायरस दोगुनी रफ्तार में अपने पैर पसार रहा है तो वहीं ऐसे भी राज्य हैं जिन्होंने सूझ बूझ का परिचय देते हुए अपने को कोरोना मुक्त कर लिया है.
देश के पीएम के साथ हुई इस बैठक में मेघालय, गुजरात, बिहार जैसे 9 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने अपने राज्यों की रिपोर्ट पीएम मोदी को दी है और बताया है कि लॉक डाउन के मद्देनजर अभी और क्या रणनीति बनाई जा सकती है.
वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई इस बैठक में पीएम मोदी के साथ देश के गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे जिन्होंने तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि यदि उनके राज्य में लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो इसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ ये लड़ाई लंबी है और हमें साथ आने और धैर्य रखने की ज़रूरत है.
गौरतलब है कि इस वक़्त देश और देश के प्रधानमंत्री दोनों ही मुश्किल वक़्त का सामना कर रहे हैं बात अगर अर्थ व्यवस्था की हो तो जहां एक तरफ कोरोना वायरस ने देश को गर्त के अंधेरों में डाल दिया है तो वहीं आगे के जो हालात हैं वो भी बेहद पेचीदा हैं. कहा यहां तक जा रहा है कि आने वाले वक्त में ये जानलेवा बीमारी साफ तौर से देश के विकास को प्रभावित करेगी.
बात एकदम सीधी एयर साफ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्रियों के बीच हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का नतीजा जो भी हो, बेहतर यही होगा कि सरकार विशेषकर पीएम मोदी समझदारी का परिचय देते हुए लॉक डाउन को जारी रखें. हो सकता है इसे सुनने के बाद तमाम तरह के तर्क आएं लेकिन हमें ये बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए कि ये एक ऐसा वक़्त है जब हमारे जरिये की गई एक छोटी सी नादानी या फिर लापरवाही हमें एक बड़ी मुसीबत में डाल सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और दीगर शोध में ये बात निकल कर सामने आई है कि भारत जिसने कोरोना के संदर्भ में बेमिसाल काम किया है यदि लॉक डाउन हटा देता है तो स्थिति प्रलय वाली होगी और भारत में कोरोना का प्रसार दो गुनी या तीन गुनी रफ्तार में होगा.
वर्तमान में पीएम मोदी के पास लॉक डाउन को आगे बढ़ाने के अलावा कोई और चारा नहीं है. पीएम की चुनौतियां कितनी जटिल हैं इसका अंदाजा इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि अलग अलग राज्यों की सरकारें भी उनपर आर्थिक मदद का दबाव बना रही होंगी. साथ ही चूंकि प्रोडक्शन भी बंद है इसलिए इंडस्ट्री के अलग अलग सेक्टर्स भी पीएम से कुछ ऐसी ही मिलती जुलती गुजारिश करेंगे.
अलग अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में पीएम मोदी ने क्या फैसला लिया है? लॉक डाउन आगे बढ़ता है या कुछ सख्तियों के साथ इसे खत्म कर दिया जाएगा इन सभी सवालों के जवाब वक़्त की गर्त में छुपे हैं लेकिन इस मीटिंग को लेकर जो तत्परता देश के प्रधानमंत्री ने दिखाई है और जिस तरह उन्होंने कई कठोर फैसले हाल फिलहाल में लिए हैं उनसे देश की जनता को सीख लेनी चाहिए. हम मुश्किल दौर का सामना कर रहे हैं कोरोना के विरुद्ध ये लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब देश की जनता और विपक्ष सारे गतिरोध भुलाकर एक मंच पर आए और एक होकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़े.
जिक्र गतिरोध का हुआ है तो बताते चलें कि पीएम के साथ हुई इस बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने हिस्सा नहीं लिया है. उनके बदले में राज्य के चीफ सेक्रेटरी ने बैठक में हिस्सा लिया. वहीं जब इस बात को लेकर सवाल हुआ तो केरल की सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, हमें कहा गया था कि पिछली दो बैठकें काफी अहम हैं, क्योंकि कोरोना को रोकने के लिए विचार करना है. लेकिन इस बार हमें कहा गया कि नॉर्थ ईस्ट और अन्य राज्यों पर फोकस रहना है. ध्यान रहे कि केरल में बीते कुछ दिनों में कोरोना वायरस के मामलों में कमी आई है.
बहरहाल, जैसा कि हम बता चुके हैं मीटिंग में क्या हुआ इसका फैसला आने वाला समय कर देगा मगर जिस तेजी से बीमारों की संख्या और मौत का ग्राफ बढ़ रहा है ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि अगर इस जानलेवा बीमारी का जड़ से खत्म करना है तो हर सूरत में सबको साथ आना ही होगा और खुद इस बात को लेकर गंभीर होना होगा कि क्या हम वाक़ई लॉकडाउन का पालन सही से कर रहे हैं या नहीं।
वहीं अगर जिक्र देश के पीएम का हो तो ये महामारी उनके लिए भी एक ऐसा टेस्ट है. जिसमें अभी तक जैसा प्रदर्शन उन्होंने किया है उसमें वो सफल ही नजर आ रहे हैं. अगर सब ने साथ दे दिया तो इसमें कोई शक नहीं है वो बीमारी को उखाड़ फेंकते हुए टॉप करेंगे और समझदारी और सूझ बूझ की एक नयी परिभाषा की रचना करेंगे.
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