जारी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सियासत के दो बड़े दलों सपा और बसपा के साथ किसी तरह का गठबंधन नहीं किया है. चुनावों से पहले माना जा रहा था कि कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसपा के साथ गठबंधन कर सकती है तो वहीं मध्य प्रदेश में सपा भी इसका हिस्सा होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अजित जोगी के साथ चुनाव लड़ा, जहां मतदान हो चुके हैं. मध्य प्रदेश में 28 नवंबर और राजस्थान में 7 दिसंबर को मतदान होना है. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने सपा और बसपा से चुनावी समझौते की बहुत कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बन पाई. उसके बाद कांग्रेस ने अकेले लड़ने का फैसला किया है, जिससे ये साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव में ये दोनों दल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अपने से दूर रखेंगे, जहां वो कांग्रेस के मुकाबले काफी मजबूत हैं.
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा और बसपा ने साथ मिलकर बीजेपी को बड़े अंतर से हराया था. इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार उतरा था, जिसे बहुत कम वोट मिले थे. वहीं कैराना सीट पर हुए उपचुनाव में भी विपक्ष जीता था, जहां कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतरा था. इससे ऐसा लग रहा था कि प्रदेश में महागठबंधन बनेगा, जिसमें कांग्रेस भी शामिल हो सकती है, लेकिन जारी विधानसभा चुनावों में जिस तरह से सपा और बसपा के मुखिया बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस पर हमलवार दिख रहे हैं उससे ये साफ़ जाहिर हो रहा है कि वो उत्तर प्रदेश में अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अपने से अलग ही रखेंगे.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की...
जारी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सियासत के दो बड़े दलों सपा और बसपा के साथ किसी तरह का गठबंधन नहीं किया है. चुनावों से पहले माना जा रहा था कि कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसपा के साथ गठबंधन कर सकती है तो वहीं मध्य प्रदेश में सपा भी इसका हिस्सा होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अजित जोगी के साथ चुनाव लड़ा, जहां मतदान हो चुके हैं. मध्य प्रदेश में 28 नवंबर और राजस्थान में 7 दिसंबर को मतदान होना है. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने सपा और बसपा से चुनावी समझौते की बहुत कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बन पाई. उसके बाद कांग्रेस ने अकेले लड़ने का फैसला किया है, जिससे ये साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव में ये दोनों दल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अपने से दूर रखेंगे, जहां वो कांग्रेस के मुकाबले काफी मजबूत हैं.
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा और बसपा ने साथ मिलकर बीजेपी को बड़े अंतर से हराया था. इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार उतरा था, जिसे बहुत कम वोट मिले थे. वहीं कैराना सीट पर हुए उपचुनाव में भी विपक्ष जीता था, जहां कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतरा था. इससे ऐसा लग रहा था कि प्रदेश में महागठबंधन बनेगा, जिसमें कांग्रेस भी शामिल हो सकती है, लेकिन जारी विधानसभा चुनावों में जिस तरह से सपा और बसपा के मुखिया बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस पर हमलवार दिख रहे हैं उससे ये साफ़ जाहिर हो रहा है कि वो उत्तर प्रदेश में अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अपने से अलग ही रखेंगे.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कमजोर है, इसलिए उसने बसपा से गठबंधन का प्रस्ताव रखा था. गठबंधन की आड़ में कांग्रेस षड्यंत्र के तहत कम सीटें देकर बसपा को खत्म करना चाहती थी. जिसके बाद बसपा ने प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. मायावती ने दावा किया कि बसपा की उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में पकड़ मजबूत हो रही है, जिससे कांग्रेस घबराई हुई है. उधर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया कि कांग्रेस से उनकी बात हुई थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन्हें तो सीटें देने को तैयार थी, लेकिन वो चाहते थे कि बसपा को भी साथ लिया जाए, क्योंकि बड़ी लड़ाई है, सबको साथ लेकर चला जाए, लेकिन कांग्रेस हमको कुछ समझती ही नहीं है, इसलिए हमारी बात नहीं मानी. उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस का धन्यवाद जो उसने हमारी बात नहीं मानी. अब हम उसे उसकी नाकामियां बताएंगे. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस अभी भी सपा, बसपा और जीजीपी को साथ ले ले तो 200 से ज्यादा सीटें जीत सकती है.
सपा के इस दावे पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अखिलेश हमारे मित्र हैं. साथ में संसद में रहे हैं. हम मध्य प्रदेश में सरकार बनाने जा रहे हैं और चुनाव के बाद यदि कोई दल हमारे साथ आना चाहेगा तो हम उसका स्वागत भी करेंगे, लेकिन फिलहाल तो हम अपने दम पर ही लड़ेंगे. बता दें कि कांग्रेस की पकड़ मध्य प्रदेश में अच्छी है और भाजपा राज्य में एंटी - इंकम्बैंसी का सामना कर रही है, जिससे कांग्रेस पार्टी को लगता है कि वो अच्छा प्रदर्शन कर एक बार फिर अपनी स्थिति मजबूत कर लेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो उसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. अब बात मध्य प्रदेश में सपा और बसपा के जनाधार की करें तो सपा ने प्रदेश में 1998 के विधानसभा चुनाव में 7 सीटें जीतीं, लेकिन 2008 में यह संख्या घटकर 1 रह गई थी, जबकि 2013 में तो उसका खाता भी नहीं खुला और उसका मत प्रतिशत महज 1.20 रहा तो वहीं बसपा पिछले चुनाव में 4 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और उसको 6.29 प्रतिशत वोट मिले थे.
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