इस लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में हुए मतदान की चर्चा हुई. ये चर्चा दो वजहों से हुई, एक तो ये कि पूरे चुनाव के दौरान हर चरण में पश्चिम बंगाल में हिंसा हुआ और दूसरी ये कि पश्चिम बंगाल में ही सबसे अधिक मतदान भी हुआ. हिंसा का दौर तो आखिरी चरण आते-आते लगातार बढ़ता चला गया, लेकिन वोटिंग की बात करें तो आखिरी दिन कुछ ऐसा देखने को मिला, जिसने लोगों को हैरान किया.
लोकसभा चुनाव के आखिरी दिन 19 मई को शाम 3 बजे के बाद कोलकाता के वोटर्स कहीं गायब से हो गए. जहां एक ओर पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले अधिक वोटिंग हुई है, वहीं दूसरी ओर कोलकाता में 3 बजे बाद वोटिंग में अचानक तेजी से आई कमी ने सबके कान खड़े कर दिए हैं. तो अब सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? 3 बजे तक तो सब ठीक रहा, लेकिन उसके बाद अचानक वोटर्स कहां चले गए?
कितनी वोटिंग हुई है?
अगर पूरे पश्चिम बंगाल की बात करें तो 2014 में यहां 81.1 फीसदी वोटिंग हुई थी, लेकिन इस बार 83.8 फीसदी वोटिंग हुई है. सवालों के घेरे में है कोलकाता उत्तर और कोलकाता दक्षिण. कोलकाता उत्तर में 1 बजे तक 43.6 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 3 बजे तक बढ़कर 54.9 फीसदी पर पहुंच गई, लेकिन दिन खत्म होने तक कुल वोटिंग सिर्फ 61.1 फीसदी हुई. यानी आखिरी तीन घंटों में सिर्फ 6 फीसदी वोटिंग हुई. वहीं दूसरी ओर कोलकाता दक्षिण में 1 बजे तक करीब 43.8 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 3 बजे तक 15 फीसदी बढ़कर 59.6 फीसदी तक जा पहुंची. लेकिन अगले ही तीन घंटों में सब कुछ थम सा गया. दिन खत्म होने तक सिर्फ 67 फीसदी वोटिंग ही हो सकी. आपको बता दें कि यहां 2014 में 69.3 फीसदी वोटिंग हुई थी. यानी ये वोटिंग 2014 से भी कम रही. लेकिन क्यों?
इस लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में हुए मतदान की चर्चा हुई. ये चर्चा दो वजहों से हुई, एक तो ये कि पूरे चुनाव के दौरान हर चरण में पश्चिम बंगाल में हिंसा हुआ और दूसरी ये कि पश्चिम बंगाल में ही सबसे अधिक मतदान भी हुआ. हिंसा का दौर तो आखिरी चरण आते-आते लगातार बढ़ता चला गया, लेकिन वोटिंग की बात करें तो आखिरी दिन कुछ ऐसा देखने को मिला, जिसने लोगों को हैरान किया.
लोकसभा चुनाव के आखिरी दिन 19 मई को शाम 3 बजे के बाद कोलकाता के वोटर्स कहीं गायब से हो गए. जहां एक ओर पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले अधिक वोटिंग हुई है, वहीं दूसरी ओर कोलकाता में 3 बजे बाद वोटिंग में अचानक तेजी से आई कमी ने सबके कान खड़े कर दिए हैं. तो अब सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? 3 बजे तक तो सब ठीक रहा, लेकिन उसके बाद अचानक वोटर्स कहां चले गए?
कितनी वोटिंग हुई है?
अगर पूरे पश्चिम बंगाल की बात करें तो 2014 में यहां 81.1 फीसदी वोटिंग हुई थी, लेकिन इस बार 83.8 फीसदी वोटिंग हुई है. सवालों के घेरे में है कोलकाता उत्तर और कोलकाता दक्षिण. कोलकाता उत्तर में 1 बजे तक 43.6 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 3 बजे तक बढ़कर 54.9 फीसदी पर पहुंच गई, लेकिन दिन खत्म होने तक कुल वोटिंग सिर्फ 61.1 फीसदी हुई. यानी आखिरी तीन घंटों में सिर्फ 6 फीसदी वोटिंग हुई. वहीं दूसरी ओर कोलकाता दक्षिण में 1 बजे तक करीब 43.8 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 3 बजे तक 15 फीसदी बढ़कर 59.6 फीसदी तक जा पहुंची. लेकिन अगले ही तीन घंटों में सब कुछ थम सा गया. दिन खत्म होने तक सिर्फ 67 फीसदी वोटिंग ही हो सकी. आपको बता दें कि यहां 2014 में 69.3 फीसदी वोटिंग हुई थी. यानी ये वोटिंग 2014 से भी कम रही. लेकिन क्यों?
कम वोटिंग के पीछे ये है वजह
कोलकाता में गर्मी काफी अधिक होती है. इन दिनों तापमान 40 के आसपास पहुंच जाता है. ऐसे में लोग इस चिलचिलाती धूप से बचने के लिए सुबह-सुबह ही वोटिंग के लिए पहुंच जाते हैं. यानी सीधे-सीधे कहा जाए तो कोलकाता को वोटर्स मॉर्निंग वोटर्स हैं, जो सुबह वोट देकर बाकी पूरा दिन या तो आराम करते हैं या फिर घूमते-फिरते हैं. वैसे भी, रविवार छुट्टी का दिन होता है, जिस दिन शाम को लोग परिवार या दोस्तों के साथ घूमने फिरने निकल जाया करते हैं.
वैसे भी, अगर देखा जाए तो कोलकाता में 2014 के मुकाबले वोटिंग में कोई खास अंतर नहीं है. सिर्फ कोलकाता दक्षिण की ही बात करें तो 2014 में आकंड़ा 69.3 था, जो इस बार 67 है. यानी महज 2.3 फीसदी कम. खैर, कोलकाता में कम वोटिंग की चिंता से ज्यादा अन्य मेट्रो शहरों की चिंता करने की जरूरत है, क्योंकि सभी मेट्रो में कोलकाता ही टॉप पर है. इसके अलावा दिल्ली में 60 फीसदी, मुंबई में 55.1 फीसदी, चेन्नई में 61.9 फीसदी और बेंगलुरु में 55.9 फीसदी वोटिंग हुई है. यानी कोलकाता टॉप पर और मुंबई फिसड्डी.
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