LokSabha Election 2019 Results और नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब Narendra Modi के सामने अपने किए हुए वादों को पूरा करने का समय आ गया है. नए मंत्रालय में S Jaishankar, Nirmala Sitharaman, Amit shah को बहुत अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं. नरेंद्र मोदी की पहली कैबिनेट बैठक भी हो गई है और किसानों से लेकर रोज़गार के मुद्दों पर बात भी हुई है. अब जब नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली बैठक कर ली है तब इस बारे में बात करने का समय आ गया है कि अगले 5 सालों में उनके सामने कौन से बड़े मुद्दे रहने वाले हैं. ये कुछ खास मुद्दे हैं जिन्हें 2014-2019 के बीच या तो उन्होंने पूरा नहीं किया और लोगों से वादा किया है या फिर उन्हें लेकर 2014 का चुनाव जीता था और अभी तक उन्हें पूरा नहीं किया. इन मुद्दों को लेकर मोदी सरकार का क्या फैसला हो सकता है, ये भी मायने रखने वाली बात है.
1. बेरोजगारी का असली Data:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को नौकरी और बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर सवालों के घेरे में लाने की कोशिश कई बार की गई. राहुल गांधी ने भी अपनी रैली में ये कहा कि प्रधानमंत्री ने दो करोड़ नौकरियां रोज़ाना देने का वादा किया था, लेकिन इसके लिए कुछ किया नहीं गया. जहां एक ओर ये आरोप लगे हैं, वहीं दूसरी ओर खुद नरेंद्र मोदी ने अपना स्टैंड साफ रखा. चुनाव से पहले इस सवाल के जवाब में उन्होंने NASSCOM और EPFO के आंकड़ों की बात की और कहा कि रोज़गार तो पैदा हो ही रहा है.
पर वहीं ये भी कहा कि भारत में एक रियल टाइम तकनीक का इस्तेमाल कर ऐसा डेटा सामने लाने की तकनीक चाहिए जिससे रोजगार के नए अवसर और उसका असली डेटा सामने आ सके. इसके लिए कमेटी भी बनाई गई है. ये चुनाव के पहले की बात थी. चुनाव के बाद मामला थोड़ा बदल गया. अब आधिकारिक रूप से ये बात सामने आ गई है कि रोज़गार के मामले में सरकार उतनी भी अच्छी नहीं रही जितना दिखा रही थी. हां, ये है कि जो बातें चल रही थीं कि 45 सालों में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है, उसका कोई हिसाब...
LokSabha Election 2019 Results और नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब Narendra Modi के सामने अपने किए हुए वादों को पूरा करने का समय आ गया है. नए मंत्रालय में S Jaishankar, Nirmala Sitharaman, Amit shah को बहुत अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं. नरेंद्र मोदी की पहली कैबिनेट बैठक भी हो गई है और किसानों से लेकर रोज़गार के मुद्दों पर बात भी हुई है. अब जब नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली बैठक कर ली है तब इस बारे में बात करने का समय आ गया है कि अगले 5 सालों में उनके सामने कौन से बड़े मुद्दे रहने वाले हैं. ये कुछ खास मुद्दे हैं जिन्हें 2014-2019 के बीच या तो उन्होंने पूरा नहीं किया और लोगों से वादा किया है या फिर उन्हें लेकर 2014 का चुनाव जीता था और अभी तक उन्हें पूरा नहीं किया. इन मुद्दों को लेकर मोदी सरकार का क्या फैसला हो सकता है, ये भी मायने रखने वाली बात है.
1. बेरोजगारी का असली Data:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को नौकरी और बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर सवालों के घेरे में लाने की कोशिश कई बार की गई. राहुल गांधी ने भी अपनी रैली में ये कहा कि प्रधानमंत्री ने दो करोड़ नौकरियां रोज़ाना देने का वादा किया था, लेकिन इसके लिए कुछ किया नहीं गया. जहां एक ओर ये आरोप लगे हैं, वहीं दूसरी ओर खुद नरेंद्र मोदी ने अपना स्टैंड साफ रखा. चुनाव से पहले इस सवाल के जवाब में उन्होंने NASSCOM और EPFO के आंकड़ों की बात की और कहा कि रोज़गार तो पैदा हो ही रहा है.
पर वहीं ये भी कहा कि भारत में एक रियल टाइम तकनीक का इस्तेमाल कर ऐसा डेटा सामने लाने की तकनीक चाहिए जिससे रोजगार के नए अवसर और उसका असली डेटा सामने आ सके. इसके लिए कमेटी भी बनाई गई है. ये चुनाव के पहले की बात थी. चुनाव के बाद मामला थोड़ा बदल गया. अब आधिकारिक रूप से ये बात सामने आ गई है कि रोज़गार के मामले में सरकार उतनी भी अच्छी नहीं रही जितना दिखा रही थी. हां, ये है कि जो बातें चल रही थीं कि 45 सालों में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है, उसका कोई हिसाब नहीं है, लेकिन NSO द्वारा Periodic Labour Survey की रिपोर्ट ने ये बात सामने ला दी है कि पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ बेरोजगारी भी बढ़ी है. नरेंद्र मोदी भी अब इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं. शायद चुनाव के पहले वो इससे बच रहे थे, लेकिन अब क्योंकि इसका वोट पर कोई असर नहीं पड़ना है इसलिए इस बात को स्वीकारा जा सकता है. हालांकि, अभी भी असली आंकड़ों की जानकारी नहीं है.
अब नरेंद्र मोदी के सामने सबसे बड़ा सवाल ये रहेगा कि क्या ऐसा कोई फॉर्मूला निकाला जा सकता है कि किसी भी समय देश की बेरोजगारी की दर का सही आंकलन किया जा सके? ये सार्वजनिक डेटा हो सकता है और इसपर कम से कम सरकार को तो रोक नहीं लगानी चाहिए.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
इस सवाल के जवाब में थोड़ा संशय है. कोई भी सरकार आए उसके लिए नौकरियां एक बड़ा मुद्दा रहती है और भारत के नौजवानों के लिए नौकरियां पैदा करना और उसका असली डेटा देना एक चैलेंज हो सकता है. अगर सरकार ये कर देती है तो उसकी खूबिया या फिर उसकी कमियां दोनों ही उजागर हो सकती हैं. अभी मोदी सरकार है, हो सकता है अगले चुनाव तक बाज़ी पलट जाए. तो इस तरह का आंकड़ा सरकार की कमियों को उजागर कर सकता है. हो सकता है कि मोदी सरकार इस मुद्दे के साथ ज्यादा छेड़-छाड़ न करे.
2. तीन तलाक बिल का कानून बनना:
2016 से ही तीन तलाक का मामला भारतीय राजनीति का मुद्दा बना हुआ है. 16 अप्रैल 2017 को नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक का मुद्दा उठाया था और कहा था कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है और इसी समय विपक्ष ने ये आरोप लगाया था कि इस मुद्दे को राजनीति का हिस्सा बनाया जा रहा है. अगस्त 2018 आते-आते इस मुद्दे पर राजनीति भी बहुत हुई और साथ ही साथ ये बिल पास तो हो गया, लेकिन अभी तक इसे कानून में नहीं बदला जा सका है. पीएम मोदी ने अपने कई भाषणों में कहा है कि ये तीन तलाक का मुद्दा विपक्ष के कारण अटका हुआ है. दिसंबर 2018 में ये बिल लोकसभा में भी पास हो गया. अब 2019 में दोबारा सत्ता में लौटने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार को इस बिल को कानून बनाना होगा. क्योंकि अभी भी इसे कानून में तब्दील नहीं किया गया है.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
तीन तलाक बिल के कानून बनने की गुंजाइश बहुत ज्यादा है. लोकसभा में पास होने के बाद तीन तलाक मुद्दे को और ज्यादा खींचना भाजपा के लिए सही नहीं होगा और भाजपा की तरफ से ये वादा पूरा किया जा सकता है.
3. कश्मीर अलगाववाद, धारा 370 हटाना:
अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने अप्रैल और मई में की गई अपनी कई रैलियों में कश्मीर मुद्दे को लेकर बात की है. यहां तक ही हाल ही में 16 मई को उत्तर प्रदेश में हुए रोड शो में भी अमित शाह ने ये कहा है कि कश्मीर का दूसरा प्रधानमंत्री नहीं हो सकता, एक देश में दो प्रधानमंत्री कैसे हो सकते हैं, नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनाइए और हम कश्मीर में धारा 370 को हटा देंगे. पिछले कुछ समय से कश्मीर में जिस तरह का माहौल है और वहां के अलगाववादी और कश्मीरी राजनीति के दिग्गज सभी मुखर तौर पर भारत और खासतौर पर भाजपा की कमियां निकालते आए हैं. साथ ही, पाकिस्तान और आतंकवाद का मुद्दा भी बड़ा है.
यहीं इमरान खान भी कह चुके हैं कि अगर पीएम मोदी दोबारा सत्ता में आते हैं तो कश्मीर मुद्दा हल होने की गुंजाइश है और इसपर बैठकर बात की जा सकती है.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
कश्मीर का मुद्दा बहुत पेचीदा है और मोदी सरकार कोशिश कर सकती है, लेकिन इसकी गुंजाइश कम ही दिखती है कि धारा 370 कश्मीर से हटाने पर घाटी में हिंसा की कई घटनाएं हो सकती हैं, तो हो सकता है भाजपा इसके लिए कोई हल निकाल ले, लेकिन पूरी तरह से इसे हटाने की संभावनाएं कम हैं.
4. महिला आरक्षण विधेयक लाना:
संविधान (108 वां संशोधन) विधेयक जिसे Women’s Reservation Bill (महिला आरक्षण विधेयक) कहा जाता है उसे 2010 में कैबिनेट की हरी झंडी मिली थी. इस बिल के मुताबिक 33% सीट लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए. ये बिल अभी 9 साल बाद भी लोकसभा में पास नहीं हो पाया है. इसी साल जनवरी में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुआ था. मोदी सरकार इस बिल को पास करने को लेकर अभी भी अपना स्टैंड साफ नहीं कर पाई है.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
जिस हिसाब से भाजपा के बहुमत की सरकार बनाने की बात है उस हिसाब से हो सकता है कि महिला आरक्षण बिल भाजपा सरकार पास कर दे. लेकिन अगर ये होगा तो कार्यकाल के अंत में होगा. इसे महिलाओं को खुश करने का मुद्दा बनाया जा सकता है.
5. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी:
अप्रैल 2019 में आए भाजपा के संकल्पपत्र में किसानों की आय दुगनी करने की बात लिखी गई है. यहां तक कि नरेंद्र मोदी ने अपनी कई रैलियों में बढ़ा-चढ़ा कर कहा है कि किसानों की आय दोगुनी की जाएगी. National Bank for Agricultural and Rural Development ने 2016 और नीती आयोग की रिपोर्ट ने 2017 में ये भी बताया है कि ये कैसे हो सकता है. पर इसके बाद भी किसानों के कर्जमाफी के बदले में मोदी सरकार की डायरेक्ट इनकम ट्रांसफर स्कीम जिसमें 6000 रुपए हर साल किसानों को मिलने हैं वो भी तैयार है. लेकिन किसानों की आय अभी भी कम है और इसलिए 2019 चुनावों का ये बहुत बड़ा मुद्दा बना है.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
ये वादा पूरा हो सकता है, लेकिन इसमें सरकार का कोई बहुत योगदान होना नहीं दिखता. वैसे भी 5 सालों में छोटे रोजगारियों की आय, अर्थव्यवस्था के बढ़ने से दुगनी हो ही जाती हैं. सरकार की कई स्कीम इसका फायदा जरूर दे सकती हैं. पर जैसे-जैसे आय बढ़ेगी वैसे-वैसे महंगाई के बढ़ने की उम्मीद भी है.
6. 2022 तक सबके लिए छत:
प्रधानमंत्री आवास योजना जो 2015 से ही लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बनी हुई है वो अभी भी एक मुद्दा है. 2022 तक इस योजना के तहत सभी को घर मुहैया करवाने का जो सरकार का वादा है वो किस हद तक पूरा हो पाता है ये सोचने वाली बात है. सितंबर 2018 में मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि 50% टारगेट पूरा हो गया है. लेकिन सरकारी वेबसाइट फरवरी 2019 में Scroll की एक जांच रिपोर्ट कहती है कि 1.2 करोड़ घर बनाने हैं, 68.5 लाख घरों को सैंक्शन किया जा चुका है और उसमें से सिर्फ 18% ही बने हैं. यानी अभी भी सरकार को लंबी पारी खेलनी है.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिसने भी घर के लिए आवेदन दिया है उनका घर बन जाए इसकी उम्मीद काफी ज्यादा है. सरकार की ये गोल्डन स्कीम है और भले ही इसके लिए थोड़ी देर हो जाए, लेकिन फिर भी 2024 से पहले-पहले तो ये पूरी हो ही जाएगी.
7. राम मंदिर बनेगा:
अब बात उस मुद्दे की जो कांग्रेस के कार्यकाल से लेकर अभी तक चला आ रहा है. राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, यूपीए 1-2, नरेंद्र मोदी सभी के कार्यकाल में ये मुद्दा रहा है और इसका हल नहीं निकला. सुप्रीम कोर्ट में भी ये मामला सालों से चल रहा है. मंदिर राजनीति सबने की है, लेकिन क्या नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में अपना ये वादा निभा पाएगी?
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
राम मंदिर का ये वादा पूरा हो सकता है. बहुमत वाली सरकार के लिए एक मंदिर बनाना और वहां से जुड़े विवाद को हल करना आसान हो जाएगा. अभी भी राम मंदिर को लेकर बहस आगे बढ़ती हुई सी दिखती है.
8. नॉर्थ-ईस्ट के लिए NRC और Citizenship Amendment Bill:
पश्चिम बंगाल और नॉर्थ ईस्ट में National Register of Citizens को लेकर बहुत उठापठक मची हुई है. 3.3 करोड़ लोग जिन्होंने NRC के लिए आवेदन दिया था उनमें से 2.89 करोड़ पास हो गए हैं. इसके लिए उन्हें ये साबित करना है कि वो या उनके पुरखे 24 मार्च 1971 की रात से पहले ही भारत की सीमा में दाखिल हो गए थे. ये खास तौर पर बंगलादेश से आए शरणार्थियों के लिए है. इसे लेकर असम में कई बार हिंसा भी भड़क चुकी है.
कुछ ऐसा ही Citizenship Amendment Bill के साथ भी है जिसे एंटी-असम बिल कहा जा रहा है. इस बिल में हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध, ईसाई जो अफ्गानिस्तान, बंगलादेश, पाकिस्तान जैसे देशों में रहते हैं उन्हें भारत की नागरिकता देने की बात लिखी गई है. इसे लेकर नॉर्थ ईस्ट में विरोध हो रहा है क्योंकि वहां के लोगों को ये गलत लग रहा है उनके हिसाब से ये उनके कल्चर पर हमला हो सकता है. विपक्ष इसे NRC का विरोधी बिल कह रहा है और साथ ही धर्म के आधार पर नागरिकता की बात का विरोध कर रहा है.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
NRC को लेकर तो काम पहले ही चल रहा है, लेकिन जहां तक Citizenship Amendment Bill की बात है तो भाजपा इसे पास कर सकती है. भले ही इसे लेकर नॉर्थ ईस्ट में कुछ दिक्कत हो, लेकिन पूरे भारत में इसे लेकर फायदा हो सकता है.
9. पाकिस्तान का पानी:
बालाकोट की सर्जिकल स्ट्राइक के साथ ही नितिन गडकरी ने ये कहा था कि पाकिस्तान के साथ सिंधु नदी समझौता तोड़ने की बात कही थी और ये भी कहा था कि इसे लेकर तैयारी शुरू की जा चुकी है. उस समय ऐसा लग रहा था कि बस अब पाकिस्तान प्यासा ही रह जाएगा, लेकिन इस पूरी योजना को करने में समय लगेगा और ये हो पाएगी भी या नहीं इसके लिए कितना इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी ये सब सोचना होगा.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
सरकार इसे लेकर काम जरूर कर सकती है, लेकिन इसे पूरा होने में कई साल लग जाएंगे. अगले 5 सालों में तो ये योजना पूरी होती नहीं दिख रही. साथ ही, इसकी प्लानिंग में ही काफी समय लग सकता है.
10. गाय को बाय बाय:
2014 से 2019 के बीच में भाजपा की तरफ से गाय को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाया गया. खास तौर पर योगी आदित्यनाथ के आने पर तो ये अहम मुद्दा बन ही गया. पर गौरक्षक फोर्स ने भाजपा को जितना फायदा नहीं पहुंचाया उससे ज्यादा नुकसान पहुंचा दिया.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
गाय के मुद्दे ने भाजपा की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी करवाई है. मॉब लिंचिंग के कारण कई देशों से प्रतिक्रिया आई. ऐसे में गाय का मुद्दा 2024 तक गायब हो सकता है. गौरक्षकों की फोर्स से भी बाय-बाय किया जा सकता है.
11. अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर की:
भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा. नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसा वादा तो नहीं किया, लेकिन अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की बात जरूर कही है. रोजगार और आर्थिक सुधार को लेकर कई नीतियां लागू करने की भी बात कही है.
क्या ये वादा पूरा हो पाएगा?
भारत अभी भी दुनिया की सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और अगर बात 2024 की हो रही है तो वैसे भी ये 5 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगी. लेकिन वो किसी की भी सरकार बने तो होगा.
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