राजनीति अवसरवादिता का खेल हैं. सवाल हो सकता है कि कैसे? जवाब के लिए हम महाराष्ट्र का रुख कर सकते हैं. महाराष्ट्र में, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के नए स्टार प्रचारक के रूप में मोदी सरकार और उनकी नीतियों की आलोचना करते नजर आ रहे हैं. मामले में सबसे दिलचस्प बात ये है कि लोकसभा चुनाव 2019 में एमएनएस ने अपना कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है. एक असी समय में जब महाराष्ट्र की राजनीति में पार्टी पहचान की संकट का शिकार हो तो माना यही जा रहा है कि ऐसा करके कहीं न कहें राज ठाकरे अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास कर रहे हैं.
राज ठाकरे का कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन में आना, न तो भाजपा को रास आ रहा है और न ही शिवसेना को. विरोधियों का चुनाव प्रचार करने वाले राज ठाकरे के खिलाफ भाजपा और शिवसेना ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि राज ठाकरे की रैलियों का खर्च कांग्रेस और एनसीपी के खाते में जोड़ा जाए. इस बात को लेकर जब राज ठाकरे से सवाल हुए, तो जो उनका अंदाज था वो ये साफ बता रहा था कि वो पीएम मोदी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से खासे खफा हैं.
रुख से साफ है कि अब राज ठाकरे मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं. ध्यान रहे कि बीते दिनों ही राज ठाकरे ने ये घोषणा की थी कि वो लोकसभा चुनाव 2019 में शरद पवार की पार्टी एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन का समर्थन और दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार भी करेंगे. माना गया था कि राज ठाकरे की रैली का फायदा कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन गठबंधन को मनसे वोटरों के वोट के रूप में मिलेगा.
पार्टी प्रमुख राज ठाकरे की इस चाल पर मनसे...
राजनीति अवसरवादिता का खेल हैं. सवाल हो सकता है कि कैसे? जवाब के लिए हम महाराष्ट्र का रुख कर सकते हैं. महाराष्ट्र में, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के नए स्टार प्रचारक के रूप में मोदी सरकार और उनकी नीतियों की आलोचना करते नजर आ रहे हैं. मामले में सबसे दिलचस्प बात ये है कि लोकसभा चुनाव 2019 में एमएनएस ने अपना कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है. एक असी समय में जब महाराष्ट्र की राजनीति में पार्टी पहचान की संकट का शिकार हो तो माना यही जा रहा है कि ऐसा करके कहीं न कहें राज ठाकरे अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास कर रहे हैं.
राज ठाकरे का कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन में आना, न तो भाजपा को रास आ रहा है और न ही शिवसेना को. विरोधियों का चुनाव प्रचार करने वाले राज ठाकरे के खिलाफ भाजपा और शिवसेना ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि राज ठाकरे की रैलियों का खर्च कांग्रेस और एनसीपी के खाते में जोड़ा जाए. इस बात को लेकर जब राज ठाकरे से सवाल हुए, तो जो उनका अंदाज था वो ये साफ बता रहा था कि वो पीएम मोदी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से खासे खफा हैं.
रुख से साफ है कि अब राज ठाकरे मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं. ध्यान रहे कि बीते दिनों ही राज ठाकरे ने ये घोषणा की थी कि वो लोकसभा चुनाव 2019 में शरद पवार की पार्टी एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन का समर्थन और दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों का चुनाव प्रचार भी करेंगे. माना गया था कि राज ठाकरे की रैली का फायदा कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन गठबंधन को मनसे वोटरों के वोट के रूप में मिलेगा.
पार्टी प्रमुख राज ठाकरे की इस चाल पर मनसे नेताओं का कहना था कि ये सभाएं बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ होंगी, क्योंकि उनके दिन भर गए हैं और उन्हें गिराना है. साथ ही मनसे नेताओं का ये भी कहना था कि कांग्रेस-एनसीपी का जो उम्मीदवार बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ टक्कर देने की स्थिति में होगा, राज ठाकरे उसके लिए सभा करेंगे ताकि मनसे का भी वोट उसे मिले और बीजेपी को हार झेलनी पड़े.
चुनाव आयोग से हुई शिकायत के अलावा तमाम बातों को लेकर राज ठाकरे ने एक निजी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया है. आइये नजर डालें उस इंटरव्यू पर और ये समझने का प्रयास करें कि राज ठाकरे की तकलीफें और उनका मोदी विरोध का मुद्दा क्या है. अपनी रैली और खर्च के सवाल पर राज ठाकरे ने कहा है कि मैं जो रैली ले रहा हूं देश के लोगों के लिए ले रहा हूं. किसी पॉलिटिकल पार्टी के लिए नहीं ले रहा हूं. तो मेरा रैली का खर्चा या जो भी पैसे रैली में खर्च हो रहे हैं, वो कांग्रेस एनसीपी के अकाउंट में डालना इसका कोई सम्बन्ध ही नहीं है.
इंटरव्यू में राज ठाकरे ने साफ कहा है कि, मैं अपनी रैली में न कांग्रेस का नाम ले रहा हूं. न एनसीपी का नाम ले रहा हूं. न किसी उम्मीदवार का नाम ले रहा हूं. न किसी उम्मीदवार को चुन के लाने के लिए उनका जो सिम्बल होता है उसका मैं नाम ले रहा हूं. मैं सिर्फ इतना ही कह रहा हूं कि इस देश में जो ये संकट आया हुआ है वो दो लोगों (मोदी-शाह) के कारण आया है. राज ने कहा है कि इन दो लोगों को राजनीति से हटना चाहिए और इलेक्शन ही वो माध्यम से जिसके जरिये इन दोनों लोगों को राजनीति से हटाया जा सकता है.
इंटरव्यू के दौरान राज अपनी बातों पर अडिग नजर आए. उनके इशारे साफ हैं कि यदि उनके कैम्पेन का फायदा कांग्रेस-एनसीपी उम्मीदवारों को होता है तो इसमें कोई गुरेज नहीं है. उद्देश्य दो लोगों को हटाना है. याद रहे कि महाराष्ट्र में आयोजित अपनी रैलियों में राज ने इस बात को स्पष्ट किया था कि मोदी और शाह को हटाने के लिए सारी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए.
इस सवाल पर कि क्या 2014 में आदमी (मोदी) को परखने में गलती हुई थी? इसपर राज ने कहा कि ये पूरे देश की बात है. पूरे देश ने परखने में गलती की थी. लगा था कि ये कुछ अच्छा काम करेगा लेकिन जब ये प्रधानमंत्री बने तो आदमी ही बदल गया. जो सपने दिखाए थे, जो बातें वो कर रहे थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद तो वो, वो बातें ही नहीं कर रहे हैं.
इन बातों के अलावा राज ने अपने इंटरव्यू में हालिया मुद्दों का भी खूब जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, आज इलेक्शन चालू है. आए थे, तब क्या कहा था अच्छे दिन लाएंगे. हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी देंगे. बहुत सारे वादे किये थे. आज 5 साल के बाद कह रहे हैं कि पुलवामा में जो शहीद हुए हैं उनके नाम पर वोट दे दो. मोदी 'मेक इन इंडिया' के ऊपर क्यों नहीं बोलते? जिस चीज से देश को सबसे ज्यादा हानि हुई है उस नोटबंदी और जीएसटी को लेकर मोदी क्यों नहीं वोट मांगते?
इसके अलावा इंटरव्यू में इस बात पर भी जिक्र हुआ कि पीएम यदि शहीदों के नाम पर वोट मांग रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है? इस सवाल का जवाब देते हुए राज ने इसे गंदी राजनीति कहा और माना और अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए कहा कि जब अटल थे तब कारगिल हुआ था. अटल जी ने कभी नहीं कहा कि जो जवान कारगिल में शहीद हुआ उनके नाम से मुझे वोट दो.
इन बातों के आलवा और भी तमाम बातें थीं जो बता रही हैं कि मोदी विरोध की चिंगारी भड़काकर राज ठाकरे अपनी राजनीति को अंजाम दे रहे हैं. बहरहाल, राज ठाकरे के कांग्रेस-एनसीपी को समर्थन करने पर चुनाव आयोग सख्त होता है और कोई कार्रवाई करता है. या फिर इसे नकार देता है इसका जवाब वक्त की गर्त में छुपा है. लेकिन तुरुप का जो इक्का राज ठाकरे ने लगाया है वो ये साफ कर देता है कि आने वाले वक़्त में वो उन लोगों के चहेते बनेंगे जिनकी राजनीति के उदय का सबसे बड़ा कारण मोदी विरोध है.
अंत में बस इतना ही कि राज ठाकरे का ये प्रचार कांग्रेस-एनसीपी को कितना फायदा देगा ये हमें 23 मई को पता चल जाएगा. मगर राज के तेवर देखकर इतना तो तह है कि आने वक़्त उन्हें उनके मोदी विरोध का फल अवश्य देगा.
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