लंदन के मेयर पद का चुनाव हो रहा है. सत्तारूढ़ लेबर पार्टी से पाकिस्तानी मूल के सांसद सादिक खान का मेयर चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है. सादिक के विरोध में कंजर्वेटिव पार्टी से जैक गोल्डस्मिथ हैं जिन्होंने अपने प्रचार में जमकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लेकर वोट मांगा. नतीजे सादिक खान के पक्ष में आए तो इस बार लंदन में जैक गोल्डस्मिथ नहीं बना पाएंगे मोदी सरकार.
लेबर पार्टी के उम्मीदवार सादिक खान ने न्यूयार्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में अपना परिचय कुछ यूं दिया- मैं लंदनवाला हूं, मैं यूरोपीय हूं, मैं ब्रिटिश हूं, मैं अंग्रेज हूं, मेरा धर्म इस्लाम है, मैं एशियाई मूल और पाकिस्तानी परंपरा के साथ-साथ एक पिता और पति हूं. इंग्लैंड में गॉर्डेन ब्राउन की सरकार में सादिक देश के पहले मुस्लिम बने जिसे कैबिनेट में जगह मिली थी. अब यदि वह लंदन के मेयर बनने जा रहे हैं तो इसमें कोई शक नहीं रह जाएगा कि वह इग्लैंड के सबसे प्रभावशाली मुसलमान नेता हैं.
मेयर चुनावों में पहली और दूसरी पसंद के वोटों की गिनती तक सादिक खान को 60 फीसदी और जैक गोल्डस्मिथ को 40 फीसदी मत मिले थे. इन चुनावों के नतीजे कुछ भी कहें लेकिन प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम जमकर इस्तेमाल किया गया. पाकिस्तानी मूल के सादिक के विरोध में कंजर्वेटिव पार्टी उम्मीदवार जैक ने एशियाई मूल के हिंदू, सिख और गुजराती वोटरों के साथ-साथ तमिल वोटरों को लुभाने के लिए मोदी को बतौर कार्ड इस्तेमाल किया. गौरतलब है कि लंदन शहर में विदेशी मूल के नागरिकों की जनसंख्या लगभग 44 फीसदी है और इनमें मुसलमानों की संख्या बहुत अधिक है.
जैक गोल्डस्मिथ का प्रचार |
ऐसे में...
लंदन के मेयर पद का चुनाव हो रहा है. सत्तारूढ़ लेबर पार्टी से पाकिस्तानी मूल के सांसद सादिक खान का मेयर चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है. सादिक के विरोध में कंजर्वेटिव पार्टी से जैक गोल्डस्मिथ हैं जिन्होंने अपने प्रचार में जमकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लेकर वोट मांगा. नतीजे सादिक खान के पक्ष में आए तो इस बार लंदन में जैक गोल्डस्मिथ नहीं बना पाएंगे मोदी सरकार.
लेबर पार्टी के उम्मीदवार सादिक खान ने न्यूयार्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में अपना परिचय कुछ यूं दिया- मैं लंदनवाला हूं, मैं यूरोपीय हूं, मैं ब्रिटिश हूं, मैं अंग्रेज हूं, मेरा धर्म इस्लाम है, मैं एशियाई मूल और पाकिस्तानी परंपरा के साथ-साथ एक पिता और पति हूं. इंग्लैंड में गॉर्डेन ब्राउन की सरकार में सादिक देश के पहले मुस्लिम बने जिसे कैबिनेट में जगह मिली थी. अब यदि वह लंदन के मेयर बनने जा रहे हैं तो इसमें कोई शक नहीं रह जाएगा कि वह इग्लैंड के सबसे प्रभावशाली मुसलमान नेता हैं.
मेयर चुनावों में पहली और दूसरी पसंद के वोटों की गिनती तक सादिक खान को 60 फीसदी और जैक गोल्डस्मिथ को 40 फीसदी मत मिले थे. इन चुनावों के नतीजे कुछ भी कहें लेकिन प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम जमकर इस्तेमाल किया गया. पाकिस्तानी मूल के सादिक के विरोध में कंजर्वेटिव पार्टी उम्मीदवार जैक ने एशियाई मूल के हिंदू, सिख और गुजराती वोटरों के साथ-साथ तमिल वोटरों को लुभाने के लिए मोदी को बतौर कार्ड इस्तेमाल किया. गौरतलब है कि लंदन शहर में विदेशी मूल के नागरिकों की जनसंख्या लगभग 44 फीसदी है और इनमें मुसलमानों की संख्या बहुत अधिक है.
जैक गोल्डस्मिथ का प्रचार |
ऐसे में सादिक को मेयर की दौड़ में पछाड़ने के लिए गोल्डस्मिथ ने मोदी के नाम पर पर्चा बंटवाया, अखबारों में प्रचार छपवाए और वोटरों से अपील की कि पाकिस्तानी मूल के सादिक लंदन में कभी भी गुजराती हिंदू के पक्ष में नहीं खड़े होंगे. इसी तर्ज पर गोल्डस्मिथ ने तमिल मूल के वोटरों से भी अपील किया कि एक मुसलमान कभी उनके हित की बात नहीं करेगा. उन्होंने लंदन के एशियाई वोटरों को बताया कि किस तरह वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इंग्लैंड दौरे के वक्त उनसे मिले थे और चुनाव जीतने के लिए मोदी ने उन्हें क्या टिप्स दिए थे. गोल्डस्मिथ ने सादिक पर आरोप भी लगाया कि 2013 में उन्होंने मोदी को इग्लैंड का वीजा न दिए जाने की वकालत की थी. इसके अलावा बीते 2 महीनों में जैक गोल्डस्मिथ ने लंदन के स्वामीनारायण मंदिरों में दर्शन किया और जन्माष्टमी के मौके पर हिंदू वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश की.
लंदन मेयर के उम्मीदवार सादिक खान |
गौरतलब है कि 1947 में गुलामी की जंजीर टूटने और बंटवारे के वक्त सादिक के बाबा भारत से पाकिस्तान चले गए और 1970 में उनके जन्म से ठीक पहले सादिक के माता-पिता इंग्लैंड जाकर बस गए. सादिक ने जैक गोल्डस्मिथ के उस आरोपों का प्रचार के दौरान खंडन भी किया कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने नहीं गए. उन्होंने बताया कि मोदी की यात्रा के दौरान एक डेलीगेशन वह शामिल थए जिसने मोदी से मुलाकात की थी. सादिक ने यहां तक दावा किया कि मेयर चुनावों के लिए उन्होंने भी प्रधानमंत्री मोदी से टिप्स लिए थे.
अब चनाव के नतीजे भले सादिक के पक्ष में बैठ जाएं लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि सात समंदर पार लंदन शहर के मेयर चुनाव प्रचार में मोदी की लहर जरूर थी. इस लहर में भले ‘अबकी बार मोदी सरकार’ की तीव्रता न दिखाई दी हो लेकिन इतना जरूर है कि आने वाले दिनों में अगर यह नारा लंदन में सुनाई दिया तो अचरज नहीं होगा. इस बार कम से कम कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से एक हाथ आगे निकले और माना कि विदेशी मूल के मुसलमान नागरिकों को रोकने के लिए भारतीय मूल के हिंदू वोटरों का इस्तेमाल किया जा सकता है, यानी ‘मोदी कार्ड’ की रणनीति.
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