उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अपने समर्थकों के बीच जबरदस्त फैन फॉलोइंग रखते हैं. कारण हैं उनका वो एटीट्यूड जिसमें वो सख्त से सख्त फैसले बिना किसी देरी के लेते हैं. देश में लव जिहाद ट्रेंड में है. ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने जौनपुर की रैली में एक अहम बात कही थी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने लव जिहाद के मद्देनजर सख्त कानून लाने की बात कही थी. योगी आदित्यनाथ अपने इस फैसले को अमली जामा पहना पाते इससे पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट (Love Jihad Allahabad High Court judgement) ने अपने एक फैसले से योगी सरकार की जबरदस्त किरकिरी की है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीने का अधिकार जीवन एवं व्यक्तिगत आज़ादी के मौलिक अधिकार का अहम हिस्सा है. अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट ने ये भी कहा है कि इसमें धर्म आड़े नहीं आ सकता. यानी कोर्ट का ये मानना है कि 'एक व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप करना दो लोगों की पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर अतिक्रमण है.
बताते चलें कि मामला कुशीनगर के सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार के बीच का है. और चूंकि मामले में लव जिहाद का पुट डाला गया इसलिए सलामत अंसारी के खिलाफ एफआईआर हुई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कोर्ट ने कहा है कि 'हम प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि वे दोनों अपनी मर्जी और पसंद से एक साल से ज्यादा समय से खुशी और शांति से राह रहे हैं. न्यायालय और संवैधानिक अदालतों पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिये गए व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखना हमारा दायित्व...
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अपने समर्थकों के बीच जबरदस्त फैन फॉलोइंग रखते हैं. कारण हैं उनका वो एटीट्यूड जिसमें वो सख्त से सख्त फैसले बिना किसी देरी के लेते हैं. देश में लव जिहाद ट्रेंड में है. ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने जौनपुर की रैली में एक अहम बात कही थी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने लव जिहाद के मद्देनजर सख्त कानून लाने की बात कही थी. योगी आदित्यनाथ अपने इस फैसले को अमली जामा पहना पाते इससे पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट (Love Jihad Allahabad High Court judgement) ने अपने एक फैसले से योगी सरकार की जबरदस्त किरकिरी की है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीने का अधिकार जीवन एवं व्यक्तिगत आज़ादी के मौलिक अधिकार का अहम हिस्सा है. अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट ने ये भी कहा है कि इसमें धर्म आड़े नहीं आ सकता. यानी कोर्ट का ये मानना है कि 'एक व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप करना दो लोगों की पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर अतिक्रमण है.
बताते चलें कि मामला कुशीनगर के सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार के बीच का है. और चूंकि मामले में लव जिहाद का पुट डाला गया इसलिए सलामत अंसारी के खिलाफ एफआईआर हुई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कोर्ट ने कहा है कि 'हम प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि वे दोनों अपनी मर्जी और पसंद से एक साल से ज्यादा समय से खुशी और शांति से राह रहे हैं. न्यायालय और संवैधानिक अदालतों पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिये गए व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखना हमारा दायित्व है.
गौरतलब है कि 2019 में यूपी के कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार ने अपने परिवार की मर्जी के विरुद्ध अगस्त में शादी की थी. प्रियंका के परिजनों को ठेस उस वक़्त लगी जब उसने न केवल इस्लाम धर्म कबूला बल्कि अपना नाम बदलकर आलिया कर लिया.
चूंकि ये बात प्रियंका के परिजनों को नागवार गुजरी थी इसलिए उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और सलामत पर 'अपहरण' और 'शादी के लिए बहला फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी. दिलचस्प बात ये है कि तब उस एफआईआर में सलामत के ऊपर POCSO एक्ट भी लगाया था. प्रियंका के परिजनों का कहना था कि जिस समय शादी हुई प्रियंका नाबालिग थी.
सलामत ने अपने खिलाफ दर्ज हुई प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए पीआईएल दायर की थी जिसपर अदालत ने ये फैसला लिया है.
दिलचस्प बात ये है कि इस मामले में महिला के परिजनों के अलावा यूपी सरकार भी शामिल थी इसलिए दोनों ही पक्षों को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने 14 पन्नों के आदेश में कहा था कि 'अपनी पसंद के किसी व्यक्ति के साथ जीवन व्यतीत करना, चाहे वह किसी भी धर्म को मानता हो, हर व्यक्ति के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा है.
जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने विशेष रूप से कहा, ‘हम ये समझने में असमर्थ हैं कि जब कानून दो व्यक्तियों, चाहे वो समलैंगिक ही क्यों न हों, को साथ रहने की इजाजत देता है, तो फिर न तो कोई व्यक्ति, न ही परिवार और न ही सरकार को दो लोगों के संबंधों पर आपत्ति होनी चाहिए, जो कि अपनी इच्छा से साथ रह रहे हैं.’
इसके साथ ही कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा दिए गए उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन स्वीकार्य नहीं है.
अब जबकि कोर्ट ने लव जिहाद के मद्देनजर अपना फैसला दे दिया है तो सवाल यूपी सरकार और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से है. ध्यान रहे कि जैसे हालत पैदा हो रहे हैं माना जा रहा है कि 22 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लव जिहाद के मुद्दे पर लड़ा जाने वाला है जिसके लिए योगी आदित्यनाथ और भाजपा की तैयारी पूरी है.
चूंकि मामले पर कानून अपने तर्क दे चुका है. इसलिए योगी जाहिर है यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बड़ा झटका लगा है. 'लव जिहाद' से यूपी की फिजा को योगी कैसे प्रभावित करेंगे इसका फैसला आने वाला समय करेगा। लेकिन जो वर्तमान है वो इसलिए भी राहत देने वाला है क्योंकि बीते कुछ दिनों से यूपी में लव जिहाद को लेकर अलग अलग संगठनों द्वारा हवा बनाई जा रही थी. जो कहीं न कहीं एक देश के रूप में भारत की अखंडता और एकता को प्रभावित कर रही थी.
चाहे वो तनिष्क का विज्ञापन हो या फिर आईएएस टीना डाबी और अतहर आमिर का तलाक सोशल मीडिया का जैसा माहौल था साफ़ था कि देश में लोगों का टॉलरेंस ख़त्म हो गया है. अब क्योंकि लव जिहाद जैसे विषय पर इलाहबाद हाई कोर्ट अपनी बात कह चुका है शायद कुछ 'शांति' का माहौल बने जिससे देश और देशवासियों के बीच का भाईचारा बरक़रार रहे.
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