कल से ही एक तबका ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को ट्रेटर साबित करने में तुला हुआ है. उनके कांग्रेस पार्टी (Congress) को छोड़ भाजपा (BJP) से जा मिलने की वजह से देश की राजनीति में खलबली मची हुई है. बहुत से लोगों को लग रहा है कि ज्योतिरादित्य का ये कदम मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के लोगों के साथ ग़द्दारी है. जिन्होंने उन्हें वोट दे कर जिताया. अब उनकी वजह से कमलनाथ (Kamalnath) सरकार गिरने की कगार पर पहुंच गई है. जबकि हक़ीक़त इसके विपरीत है. कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने से किसका भला हुआ ये तो मैं नहीं बता सकती, मगर जो लोग अभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने का रोना-गाना ले कर बैठे हैं,उनके लिए कुछ जरूरी बातें. पहले तो जो लोग कह रहें हैं कि ज्योतिरादित्य का भाजपा से जुड़ना जनता के वोटों के साथ धोख़ा है, वो महाराष्ट्र (Maharashtra) की तरफ़ एक बार देख लें फिर बोलें. उसके बाद वो लोग जो सिंधिया के कारण कमलनाथ सरकार के प्रभावित होने से आहात हैं, वो सुनें. कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहले इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोगों को दी जाने वाली पेंशन रुकवा दी. जिसे शिवराज सरकार ने ‘लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि’ के अंतर्गत देना शुरू किया था.
देखिए ये आपके लिए एक छोटी सी बात होगी मगर जिन लोगों की ज़िंदगी उसी कुछ हज़ार रुपए से चलती थी, वो रुक सी गयी. वो बुजुर्ग जिनके बच्चे उन्हें घर में रखने से मना कर चुके थे, पेंशन मिलने के बाद उन्हें वापिस अपने साथ रखने लगे. अब बच्चों के ईमान-धर्म पर नहीं जाते हुए ये समझिए कि एक बूढ़े इंसान को उन पैसों की वजह से अपना घर तो मिला था.
वहीं कितनी विधवाएं हैं...
कल से ही एक तबका ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को ट्रेटर साबित करने में तुला हुआ है. उनके कांग्रेस पार्टी (Congress) को छोड़ भाजपा (BJP) से जा मिलने की वजह से देश की राजनीति में खलबली मची हुई है. बहुत से लोगों को लग रहा है कि ज्योतिरादित्य का ये कदम मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के लोगों के साथ ग़द्दारी है. जिन्होंने उन्हें वोट दे कर जिताया. अब उनकी वजह से कमलनाथ (Kamalnath) सरकार गिरने की कगार पर पहुंच गई है. जबकि हक़ीक़त इसके विपरीत है. कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने से किसका भला हुआ ये तो मैं नहीं बता सकती, मगर जो लोग अभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने का रोना-गाना ले कर बैठे हैं,उनके लिए कुछ जरूरी बातें. पहले तो जो लोग कह रहें हैं कि ज्योतिरादित्य का भाजपा से जुड़ना जनता के वोटों के साथ धोख़ा है, वो महाराष्ट्र (Maharashtra) की तरफ़ एक बार देख लें फिर बोलें. उसके बाद वो लोग जो सिंधिया के कारण कमलनाथ सरकार के प्रभावित होने से आहात हैं, वो सुनें. कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहले इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोगों को दी जाने वाली पेंशन रुकवा दी. जिसे शिवराज सरकार ने ‘लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि’ के अंतर्गत देना शुरू किया था.
देखिए ये आपके लिए एक छोटी सी बात होगी मगर जिन लोगों की ज़िंदगी उसी कुछ हज़ार रुपए से चलती थी, वो रुक सी गयी. वो बुजुर्ग जिनके बच्चे उन्हें घर में रखने से मना कर चुके थे, पेंशन मिलने के बाद उन्हें वापिस अपने साथ रखने लगे. अब बच्चों के ईमान-धर्म पर नहीं जाते हुए ये समझिए कि एक बूढ़े इंसान को उन पैसों की वजह से अपना घर तो मिला था.
वहीं कितनी विधवाएं हैं जिनके जीने का सहारा वही पेंशन था. उनके पति इमरजेंसी के दौरान साल भर से ज़्यादा जेल में रहे देश के लिए. लेकिन कमलनाथ सरकार को कांग्रेस विरोधी स्किम लगी. उन्होंने ज़रा भी नहीं सोचा कि उनके इस क़दम से न जाने कितनी जिंदगियां रास्ते पर फिर से आ गयी हैं फिर से.
इसके अलावा दस दिन के अंदर में किसानों के लोन को माफ़ करने के वादे साथ वो मुख्यमंत्री बने थे. ये वादा सिर्फ़ कमलनाथ ने नहीं बल्कि राहुल गांधी ने भी किया गया था. जिसमें उन्होंने साफ़-साफ़ कहा था कि दो लाख रूपये तक के किसानों के ऋण दस दिनों के अंदर माफ़ कर दिए जाएंगे. क्या अभी तक वो दस दिन नहीं पूरे हुए हैं. क्या उन्होंने अपना वादा पूरा किया? किसानों को तो अभी भी बैंक की तरफ़ से नोटिस मिल रहें हैं ऋण को चुकाने के लिए. तो क्या किसान झूठ बोल रहें हैं.
रोज़गार और स्वास्थ्य का क्या हाल है उसे भी देखिए ज़रा. आप लोगों को याद तो होगा न कमलनाथ सरकार ने ये भी कहा था कि मनरेगा योजना के तहत युवाओं को कम से कम सौ दिन तक का रोज़गार मिलेगा ही मिलेगा. और अगर उन्हें रोज़गार नहीं मिला तो बदले में स्टाइपेंड मिलेगा. अब ज़रा जा कर पता कीजिए कि कितने पढ़े-लिखे शिक्षित बेरोज़गारों को नौकरियां मिलीं हैं और कितने अब भी बेरोज़गार हैं.
तो रोना-गाना और सिंधिया जी को कोसना थोड़ा कम कीजिए. कमलनाथ जी की सरकार अगर गिरती भी है तो उससे मध्यप्रदेश का कुछ बुरा नहीं होने जा रहा. कुछ न कुछ अच्छा ही होगा यक़ीन रखिए.
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