राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुकाबले बीजेपी मध्य प्रदेश को लेकर ज्यादा आश्वस्त थी, लेकिन Exit Poll के अनुमान होश उड़ाने वाले लगते हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक मध्य प्रदेश में कांग्रेस को काफी फायदा मिलता नजर आ रहा है. India Today - Axis के सर्वे में तो कांग्रेस मामूली बढ़त लेकर बीजेपी से आगे है, लेकिन कई अन्य चैनलों के सर्वे में उसे स्पष्ट बहुमत पाते हुए दिखाया जा रहा है.
Exit Poll में ट्रेंड क्या इशारा करता है
Exit Poll के मुताबिक मध्य प्रदेश बीजेपी के हाथ से छूटा तो नहीं लग रहा लेकिन पकड़ थोड़ी ढीली जरूर लग रही है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल में कांग्रेस भी बराबरी की टक्कर दे रही है.
भोपाल रीजन की 20 सीटों में से एग्जिट पोल में 16 सीटों के साथ बीजेपी ने अपनी बादशाहत कायम रखी है. इस इलाके में कांग्रेस के खाते में सिर्फ चार सीटें मिलती नजर आ रही हैं. भोपाल रीजन में बीजेपी का वोट शेयर भी 46 फीसदी है जबकि कांग्रेस का 39 फीसदी ही है.
चुनाव विशेषज्ञ प्रदीप गुप्ता का मानना है कि बीजेपी के हाथ जो कुछ भी आया है वो सिर्फ और सिर्फ शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता की बदौलत, लेकिन विधायकों के प्रति उनके इलाके के लोगों की नाराजगी बीजेपी को बहुत भारी पड़ी है.
सीनियर पत्रकार राजदीप सरदेसाई की नजर में भी शिवराज सिंह चौहान का लो-प्रोफाइल कायम रखना लोगों को काफी आकर्षित करता है. राजदीप सरदेसाई का...
राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुकाबले बीजेपी मध्य प्रदेश को लेकर ज्यादा आश्वस्त थी, लेकिन Exit Poll के अनुमान होश उड़ाने वाले लगते हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक मध्य प्रदेश में कांग्रेस को काफी फायदा मिलता नजर आ रहा है. India Today - Axis के सर्वे में तो कांग्रेस मामूली बढ़त लेकर बीजेपी से आगे है, लेकिन कई अन्य चैनलों के सर्वे में उसे स्पष्ट बहुमत पाते हुए दिखाया जा रहा है.
Exit Poll में ट्रेंड क्या इशारा करता है
Exit Poll के मुताबिक मध्य प्रदेश बीजेपी के हाथ से छूटा तो नहीं लग रहा लेकिन पकड़ थोड़ी ढीली जरूर लग रही है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल में कांग्रेस भी बराबरी की टक्कर दे रही है.
भोपाल रीजन की 20 सीटों में से एग्जिट पोल में 16 सीटों के साथ बीजेपी ने अपनी बादशाहत कायम रखी है. इस इलाके में कांग्रेस के खाते में सिर्फ चार सीटें मिलती नजर आ रही हैं. भोपाल रीजन में बीजेपी का वोट शेयर भी 46 फीसदी है जबकि कांग्रेस का 39 फीसदी ही है.
चुनाव विशेषज्ञ प्रदीप गुप्ता का मानना है कि बीजेपी के हाथ जो कुछ भी आया है वो सिर्फ और सिर्फ शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता की बदौलत, लेकिन विधायकों के प्रति उनके इलाके के लोगों की नाराजगी बीजेपी को बहुत भारी पड़ी है.
सीनियर पत्रकार राजदीप सरदेसाई की नजर में भी शिवराज सिंह चौहान का लो-प्रोफाइल कायम रखना लोगों को काफी आकर्षित करता है. राजदीप सरदेसाई का मानना है कि बीजेपी में एक तरफ जिस तरीके से '56 इंच का सीना' दिखाया जाता है, ठीक उसी वक्त लोग शिवराज के मुस्कुराते चेहरे से कनेक्ट हो जाते हैं - और वे उन्हें मामा जैसे ही लगते हैं. उनकी नजर में शिवराज को ऐसे साथियों से ज्यादा नुकसान पहुंचा है जिनकी स्थानीय स्तर पर पहचान 'चुटपुटिया नेता' के तौर पर बन चुकी थी.
मंदसौर के आसपास मालवा में कैसे असर
भोपाल की ही तरह बीजेपी मालवा रीजन में भी आगे नजर आती है. ये वही मालवा है जहां के मंदसौर में किसानों पर फायरिंग की घटना हुई थी. कहा जा रहा था कि किसानों का गुस्सा बीजेपी को चुनाव में भुगतना पड़ेगा. लेकिन मालवा की 55 सीटों में से बीजेपी के खाते में 29 जबकि कांग्रेस को 25 मिलती दिख रही हैं. मालवा में बीजेपी का वोट शेयर 42 फीसदी जबकि कांग्रेस का 39 फीसदी है. निमाड़ की 18 सीटों में से 12 पर बीजेपी दबदबा बनाये हुए है.
एग्जिट पोल के मुताबिक बुंदेलखंड में जरूर मुकाबला बराबरी पर लग रहा है. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों को 14-14 सीटें मिलती लगती हैं. वोट शेयर में कांग्रेस 40 फीसदी के साथ बीजेपी से आगे है जिसे 38 फीसदी वोट मिल रहे हैं.
Exit Poll में कांग्रेस फायदे में
मध्य प्रदेश में कांग्रेस चंबल और महाकौशल में काफी मजबूत नजर आ रही है. दरअसल, चंबल ज्योतिरादित्य सिंधिया का इलाका है और महाकौशल कमलनाथ का.
पोल एक्सपर्ट संदीप शास्त्री कांग्रेस की बढ़त को गुजरात चुनावों से जोड़ कर देखते हैं. संदीप शास्त्री का मानना है कि गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में भी शहरी और ग्रामीण वोटों का विभाजन है. संदीप शास्त्री बीजेपी के पक्ष में जाते शहरी वोटों की तरफ ध्यान दिलाते हैं. हां, वो ये भी मानते हैं कि गुजरात से अलग मध्य प्रदेश के ग्रामीण वोटों का फायदा कांग्रेस को ज्यादा मिल रहा है.
ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस को मिले फायदे को चुनाव विशेषज्ञ महेश रंगराजन नोटबंदी तो मनीषा प्रियम जीएसटी के प्रभाव से जोड़ती हैं. जीएसटी को लेकर बीजेपी में राघव जी के मतभेदों का जिक्र करते हुए चुनाव एक्सपर्ट मनीषा प्रियम पूछती हैं - ग्राउंड लेवल पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा क्या?
चंबल रीजन की 31 सीटों में से कांग्रेस के खाते में 21 जबकि बीजेपी के हिस्से सिर्फ 9 आती नजर आ रही हैं. वोट शेयर की बात करें तो चंबल में कांग्रेस का 47 फीसदी है तो बीजेपी का काफी पीछे 33 पर है. महाकौशल की 47 सीटों में से कांग्रेस को 27 तो बीजेपी को सिर्फ 18 मिलती लग रही हैं. महाकौशल में कांग्रेस का वोट शेयर 41 फीसदी है तो बीजेपी का 38 फीसदी.
इसी तरह विंध्य क्षेत्र में भी कांग्रेस बढ़त बनाती नजर आ रही है जहां उसके हिस्से 17 सीटें आ रही हैं जबकि बीजेपी को 13 मिल सकती हैं. विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस का वोट शेयर भी 42 फीसदी है जो बीजेपी के 38 से तीन फीसदी ज्यादा है.
एग्जिट पोल के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीजेपी को 102 से 120 सीटें मिलने का अनुमान है. इसी तरह कांग्रेस को 104 से 122 सीटें मिल सकती हैं. फिलहाल तो मुकाबला बराबरी पर नजर आता है - 11 दिसंबर को क्या स्थिति रहती है देखना होगा.
पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे. मध्य प्रदेश में भी राहुल गांधी प्रधानमंत्री को 'चौकीदार चोर है' कह कर टारगेट करते रहे. मध्य प्रदेश के एग्जिट पोल के नतीजे देखें तो प्रधानमंत्री मोदी का वो करिश्मा नहीं दिखा है जो यूपी, गुजरात और कर्नाटक चुनावों में देखा गया. दूसरी तरफ पिछले चुनावों के मुकाबले राहुल गांधी अपना प्रभाव ज्यादा छोड़ते लग रहे हैं.
बीजेपी के टूटे दिल का इशारा तो नहीं ये ब्रेकिंग न्यूज
टीवी पर एग्जिट पोल के दरम्यान आयी एक ब्रेकिंग न्यूज भी हैरान करने वाली नजर आयी. ये ब्रेकिंग न्यूज थी सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय के छापों को लेकर.
क्या ये खबर बीजेपी की बेचैनी की ओर इशारा करती है? हेडलाइन मैनेजमेंट की ये ट्रिक इस्तेमाल की करने की क्या वजह हो सकती है? जो बीजेपी अपने खिलाफ प्रतीत हो रहे एग्जिट पोल की खिल्ली उड़ाती रही है, उसकी सरकार में ऐसी घटनाएं आखिर क्या संदेश देना चाहती हैं? टीवी पर एग्जिट पोल पर चर्चा के दौरान इसे बीजेपी के नर्वस होने से जोड़ कर देखा गया.
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