पहले क्या आया? मुर्गी या अंडा? भोपाल के गोपाल भार्गव इस सवाल से बहुत जूझे और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि दोनों खाना खराब है. और अंडे में इक अजाब है. क्योंकि मध्य प्रदेश के बच्चे अगर अंडे खाएंगे तो नरभक्षी बन जाएंगे. फिर गोपाल भार्गव कहां जाएंगे जो शु्द्ध शाकाहारी हैं. और मांसाहारियों को शाकाहारी प्राणियों का भक्षण भाता है, ऐसा सुना जाता है.
आप कहेंगे भोपाल के गोपाल की मत मारी गई है. पर मत तो मारी गई मध्य प्रदेश की जनता की, जिसने इनकी पार्टी को पिछले चुनाव में हराया और इनके मंत्री पद का हरण हो गया. गोपाल कहते रहे कमल को अपना मत देना और जनता सुनती रही कमल को अपना मत देना. सत्तारोध कमल नाथ को और कमल वाले विरोधी दल में हैं. जहां जो मिलता है उसका विरोध कर रहे हैं. जनता ने चूज किया कांग्रेस को तो गोपाल जी ने चूज किया अंडों का विरोध, ताकि सरकार की योजनाओं के चूजे निकल नहीं पाएं.
नई सरकार ने बच्चों के मिड-डे मील में अंडे शामिल करने को अनुमति दे दी है. अंडों से कुपोषित गरीब बच्चों को प्रोटीन मिलेगा. ऐसा डॉक्टर कहते हैं. पर गोपाल भार्गव की बुद्धि के मुताबिक चूंकि सनातन संस्कृति में मांसाहार पर निषेध है तो जो बच्चे अंडे खाएंगे, वो बड़े होकर नरभक्षी बन जाएंगे. वैसे अंडे में मांस नहीं होता पर जब वो चूजे बनते हैं तो मांस आ ही जाता है. वैसे ही अंडे खाने वाले शाकाहारी बच्चों में मांसाहार आएगा और मानव नरभक्षी बन जाएगा.
नरभक्षी बाघ होते थे मध्य प्रदेश के. पर नर भोजन...
पहले क्या आया? मुर्गी या अंडा? भोपाल के गोपाल भार्गव इस सवाल से बहुत जूझे और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि दोनों खाना खराब है. और अंडे में इक अजाब है. क्योंकि मध्य प्रदेश के बच्चे अगर अंडे खाएंगे तो नरभक्षी बन जाएंगे. फिर गोपाल भार्गव कहां जाएंगे जो शु्द्ध शाकाहारी हैं. और मांसाहारियों को शाकाहारी प्राणियों का भक्षण भाता है, ऐसा सुना जाता है.
आप कहेंगे भोपाल के गोपाल की मत मारी गई है. पर मत तो मारी गई मध्य प्रदेश की जनता की, जिसने इनकी पार्टी को पिछले चुनाव में हराया और इनके मंत्री पद का हरण हो गया. गोपाल कहते रहे कमल को अपना मत देना और जनता सुनती रही कमल को अपना मत देना. सत्तारोध कमल नाथ को और कमल वाले विरोधी दल में हैं. जहां जो मिलता है उसका विरोध कर रहे हैं. जनता ने चूज किया कांग्रेस को तो गोपाल जी ने चूज किया अंडों का विरोध, ताकि सरकार की योजनाओं के चूजे निकल नहीं पाएं.
नई सरकार ने बच्चों के मिड-डे मील में अंडे शामिल करने को अनुमति दे दी है. अंडों से कुपोषित गरीब बच्चों को प्रोटीन मिलेगा. ऐसा डॉक्टर कहते हैं. पर गोपाल भार्गव की बुद्धि के मुताबिक चूंकि सनातन संस्कृति में मांसाहार पर निषेध है तो जो बच्चे अंडे खाएंगे, वो बड़े होकर नरभक्षी बन जाएंगे. वैसे अंडे में मांस नहीं होता पर जब वो चूजे बनते हैं तो मांस आ ही जाता है. वैसे ही अंडे खाने वाले शाकाहारी बच्चों में मांसाहार आएगा और मानव नरभक्षी बन जाएगा.
नरभक्षी बाघ होते थे मध्य प्रदेश के. पर नर भोजन श्रृंखला का नरेंद्र हो गया है. हर जानवर नर से डरता है कि खाने को ना सही, मनोरंजन के लिए मार दे. आदमी से दूर दूर रहता है. मध्य प्रदेश के बाघ भी मध्य मार्ग अपना चुके हैं. कई तो तोरई की सब्जी के साथ रोटी खा चुके हैं. मध्य प्रदेश में रहना है तो शाकाहार उत्तम आहार कहना है. वरना गोपाल भार्गव आ जाएंगे और क्रिकेट बैट से पिटवाएंगे.
जब जनाब मंत्री थे तो महिलाओं में क्रिकेट बैट बंटवाया था ताकि वो अपने पीने-खाने वाले पतियों की धुलाई कर सकें. हर बैट पर ये शब्द अंकित थे: शराबियों के सुतारा हेतु भेंट. साथ में ये भी कि पुलिस नहीं बोलेगी. मतलब कानून से डरना मत बहनो, कानून भाई के हाथ में है. तुम तो बस हाथ में लो और जीजा की तसल्ली से धुलाई करो. गोपाल भार्गव खुद नहीं पीते-खाते हैं और ना खाएंगे ना खाने देंगे का नारा लगाते हैं. जैसे इनको हींग पसंद है तो मध्य प्रदेश के लोग धड़ल्ले से हींग का आस्वादन कर सकते हैं.
उनको पता है कि जीजा लोग शराब पिएंगे तो चखना मंगवा सकते हैं. नहीं मंगवाया तो ठीक है पर मंगवाया तो वो चिकन टिक्का भी हो सकता है. जब अंडा खा कर स्कूली बच्चे नरभक्षी हो सकते हैं तो चिकन टिक्का खाने वाला मनुष्य ना जाने क्या हो जाएगा.
अंडे खाने से नरभक्षी हो जाते हैं लोग, मध्य प्रदेश तो नरभक्षियों से घिरा राज्य है. मध्य प्रदेश के बच्चे अंडे नहीं खाएंगे तो नरभक्षियों से मुकाबला कैसे कर पाएंगे. लेवल प्लेइंग फील्ड होना चाहिए. कहीं ऐसा नहीं हो कि अंडाहारी पड़ जाए भारी और सोच में खाया जाए शाकाहारी.
कल्पना कीजिए कि एक नन्हा बालक कॉलेज जाते जाते फुल फ्लेजेड नरभक्षी बन जाता है.
कॉलेज की कैंटीन से भेजा फ्राय मंगाता है और दूसरा कौर नहीं खा पाता है. ये क्या गोबर खिला दिया, ये कहते हुए कैंटीन वाले पर चिल्लाता है. अच्छा खासा नेता था, अच्छे भाषण देता था. हमें क्या पाता कि खोपड़ी में गोबर भरा था. रहने दीजिए दूसरा प्लेट भिजवाता हूं. कल से नेता नहीं पकेंगे, मटन-चिकन की थाली होगी. कम से कम गोबर नहीं होगा भेजे में इसकी तो गारंटी है.
कितनी घृणास्पद और बेहूदी कल्पना है. हास्यास्पद नहीं है, डरावनी है. इस हद तक बेवकूफी से भरी जैसे अंडात्मक विचार भौकाल के गोपाल के कपोल से रिसते हैं.
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