स्थान: बाघंबरी मठ, प्रयागराज
तारीख: 20/9/2021
कुंभ आयोजन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर तीर्थराज कहे जाने वाले प्रयागराज में सबकुछ रोज के जैसा ही चल रहा था. लेकिन, शाम होते ही एक खबर ने केवल प्रयागराज ही नहीं बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhara Parishad) के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) का शव प्रयागराज के बाघंबरी मठ (Baghambari Math) में संदिग्ध परिस्थितियों में फंदे से लटका हुआ मिला था. एक ऐसा संत जो दुनिया को आध्यात्म के जरिये धर्म और मोक्ष का गूढ़ ज्ञान देता हो, वह आत्महत्या जैसा कदम उठाएगा, इस खबर पर कोई भी विश्वास नहीं कर पा रहा था. नरेंद्र गिरि की मौत से एक दिन पहले ही यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी उनसे मिले थे. उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य को लेटे हनुमान मंदिर में ले जाकर पूजा भी करवाई थी. उस दौरान नरेंद्र गिरि के चेहरे को देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता था कि महंत आत्महत्या (Suicide) जैसा कदम उठाएंगे. लेकिन, घटना घटित हो चुकी थी. और, महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में की गई आत्महत्या सवालों के घेरे में भी आ गई. दरअसल, पुलिस के आने से पहले ही कमरे का दरवाजा तोड़ दिया गया था. यूपी पुलिस एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के अनुसार, महंत आत्महत्या की सूचना उनके शिष्य बबलू ने पुलिस को दी थी. सूचना पर मौके पर पहुंचने से पहले नरेंद्र गिरि का शव उतारा जा चुका था और नीचे रखा हुआ था.
वहीं, पुलिस को नरेंद्र गिरि के शव के पास से एक 'सुसाइड नोट' भी बरामद हुआ है. बताया जा रहा है कि सात-आठ पन्नों के इस सुसाइड नोट में महंत ने अपने तीन शिष्यों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ये सुसाइड नोट एक वसीयतनामे की तरह लिखा गया है. जिसमें बताया गया है कि मठ और मंदिर से जुड़े कामों को कैसे किया जाएगा? फिलहाल यूपी पुलिस इस मामले को प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला ही मानकर चल रही है. लेकिन, सभी संभावनाओं को ध्यान में रखते...
स्थान: बाघंबरी मठ, प्रयागराज
तारीख: 20/9/2021
कुंभ आयोजन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर तीर्थराज कहे जाने वाले प्रयागराज में सबकुछ रोज के जैसा ही चल रहा था. लेकिन, शाम होते ही एक खबर ने केवल प्रयागराज ही नहीं बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhara Parishad) के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) का शव प्रयागराज के बाघंबरी मठ (Baghambari Math) में संदिग्ध परिस्थितियों में फंदे से लटका हुआ मिला था. एक ऐसा संत जो दुनिया को आध्यात्म के जरिये धर्म और मोक्ष का गूढ़ ज्ञान देता हो, वह आत्महत्या जैसा कदम उठाएगा, इस खबर पर कोई भी विश्वास नहीं कर पा रहा था. नरेंद्र गिरि की मौत से एक दिन पहले ही यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी उनसे मिले थे. उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य को लेटे हनुमान मंदिर में ले जाकर पूजा भी करवाई थी. उस दौरान नरेंद्र गिरि के चेहरे को देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता था कि महंत आत्महत्या (Suicide) जैसा कदम उठाएंगे. लेकिन, घटना घटित हो चुकी थी. और, महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में की गई आत्महत्या सवालों के घेरे में भी आ गई. दरअसल, पुलिस के आने से पहले ही कमरे का दरवाजा तोड़ दिया गया था. यूपी पुलिस एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के अनुसार, महंत आत्महत्या की सूचना उनके शिष्य बबलू ने पुलिस को दी थी. सूचना पर मौके पर पहुंचने से पहले नरेंद्र गिरि का शव उतारा जा चुका था और नीचे रखा हुआ था.
वहीं, पुलिस को नरेंद्र गिरि के शव के पास से एक 'सुसाइड नोट' भी बरामद हुआ है. बताया जा रहा है कि सात-आठ पन्नों के इस सुसाइड नोट में महंत ने अपने तीन शिष्यों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ये सुसाइड नोट एक वसीयतनामे की तरह लिखा गया है. जिसमें बताया गया है कि मठ और मंदिर से जुड़े कामों को कैसे किया जाएगा? फिलहाल यूपी पुलिस इस मामले को प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला ही मानकर चल रही है. लेकिन, सभी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि, मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी को हिरासत में ले लिया है. इसके साथ ही पुलिस ने शिष्य आनंद गिरि पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कर लिया है. पुलिस पुजारी आद्या तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी से भी पूछताछ कर रही है. वहीं, हत्या की आशंका को देखते हुए नरेंद्र गिरि के शव का पोस्टमार्टम भी कराया जा रहा है. हर बीतते घंटे के साथ महंत नरेंद्र गिरि के आत्महत्या/हत्या का मामला सवालों के घेरे में आता जा रहा है. हर एक परत खुलने के साथ नए सवाल खड़े हो रहे हैं. बाघंबरी मठ के उत्तराधिकार, मठ की संपत्तियों, शिष्यों से विवाद और सुसाइड नोट से हर शक्स की भूमिका संदिग्ध नजर आ रहे है. आइए जानते हैं इस मामले से जुड़ी हर एक थ्योरी और हर सवालों के जवाब...
कौन थे महंत नरेंद्र गिरि?
राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले महंत नरेंद्र गिरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे. संगम तट पर लेटे हनुमान मंदिर और बाघंबरी मठ के पीठाधीश्वर थे. महंत नरेंद्र गिरि के रसूख का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, हर नेता उनके दरबार में हाजिरी लगाने जरूर आता था. 2019 के कुंभ के पहले पीएम नरेंद्र मोदी के गंगा पूजन को महंत नरेंद्र गिरि ने ही कराया था. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव से महंत नरेंद्र गिरि की करीबी की कहानी बाघंबरी मठ में लगी तस्वीरों से बयान हो जाती है. 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद उनकी करीबी भाजपा से कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी. योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होने के साथ ही संत समाज से आते थे, तो ये लगाव बढ़ना स्वाभाविक था. वहीं, महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत से एक दिन पहले इंडिया टुडे के साथ हर मुद्दे पर खुलकर बातचीत की थी. हिंदू धर्म और राजनीति को लेकर उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के अपना मत सामने रखा था.
नरेंद्र गिरि ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा के कामकाज की तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि विकास के साथ धर्म का जुड़ना भी जरूरी होता है. जो सरकार या पार्टी सनातन परंपरा को लेकर चलती है, वो धर्म से डरती भी है. लेकिन, जो धर्म को लेकर चलते ही नहीं है, वो क्या डरेंगे? साधु-संतों के राजनीतिक जुड़ाव को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा था कि संत-महात्मा देश और धर्म की रक्षा के लिए बनते हैं. पार्टी कोई भी हो, जो देश और धर्म की रक्षा के लिए कार्य करती है, संत-महात्मा भी उसके साथ जुड़ते हैं. उन्होंने कहा था कि राम मंदिर का समर्थन पहले किसी पार्टी ने नहीं किया. अब ये उनकी दिखावटी मजबूरी है. उन्हें पता चल गया है कि मुस्लिमों की तरह हिंदू भी एक हो रहा है, तो ये उनकी मजबूरी है. अब ये पार्टियां जानती हैं कि मुस्लिम को छोड़कर हिंदुओं की ओर जाना पड़ेगा. लेकिन, उन्हें सफलता नहीं मिलेगा. असली चीज ये है कि जो शुरू से धर्म से जुड़ा रहा है, उसे सही माना जाएगा. नए जुड़े लोग नकली ही माने जाएंगे. यहां देखिए वीडियो...
क्राइम सीन से छेड़छाड़
महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या/हत्या के मामले को सुलझाने के लिए यूपी पुलिस सारी कोशिशें कर रही है. पुलिस के अनुसार, नरेंद्र गिरि दोपहर को भोजन के बाद आश्रम आए थे. उन्होंने अपने शिष्यों से कहा था कि कोई मिलने आने वाला है, तो उन्हें कॉल करके परेशान न किया जाए. शाम पांच बजे तक जब वह अपने कमरे से नहीं निकले, तो खलबली मच गई. बाघंबरी मठ के जिस कमरे में नरेंद्र गिरि आराम कर रहे थे, वहां उनका शव लटका हुआ मिला. कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था, तो शिष्यों ने दरवाजे को तोड़कर नरेंद्र गिरि का शव फंदे से उतारा गया. जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. साक्ष्यों और फॉरेंसिक जांच के जरिये जांच आगे बढ़ रही है. लेकिन, इन सबसे पहले सवाल ये खड़ा हो रहा है कि जिस कमरे में नरेंद्र गिरि का शव संदिग्ध हालात में मिला था, उसका दरवाजा पुलिस के आने से पहले ही तोड़ा जा चुका था. संदिग्ध हत्या या आत्महत्या के मामले में क्राइम सीन से छेड़छाड़ इस मामले का सबसे बड़ा पहलू है. नरेंद्र गिरि के शिष्यों ने पुलिस और फॉरेंसिक टीम के पहुंचने से पहले ही उनके शव को फंदे से उतार लिया था. पुलिस और फॉरेंसिक टीम के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही बड़ी संख्या में महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य और अन्य लोग वहां मौजूद थे. इस दौरान संभव है कि क्राइम सीन की चीजों से छेड़छाड़ की गई हो.
सुसाइड नोट या वसीयत?
पुलिस ने शव के पास से ही एक सुसाइड नोट बरामद किया. पुलिस के अनुसार, सुसाइड नोट एक वसीयतनामे की तरह लिखा गया है. जिसमें मठ और अखाड़े के उत्तराधिकारियों के नाम हैं. इस सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य आनंद गिरि समेत लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. बताया जा रहा है कि सुसाइड नोट में इन लोगों के व्यवहार से आहत और अपमानित महसूस किए जाने की बात लिखी गई है. सुसाइड नोट में सम्मान और अपमान को लेकर लिखा गया है कि उन्होंने पूरा जीवन सम्मान के साथ जिया. उनके दामन पर किसी तरह का दाग नहीं रहा. लेकिन, कुछ लोगों ने उन्हें झूठे आरोप लगाकर अपमानित किया है, जिसका उन्हें बेहद दुख है. इस अपमान से अच्छा है कि दुनिया से चले जाएं. चंद शिष्यों को छोड़कर सभी ने मेरा ध्यान रखा. मेरे शिष्यों का ध्यान रखियेगा.
पुलिस को सुसाइड नोट मिलने के बाद काफी चीजें साफ हो गई हैं. लेकिन, नरेंद्र गिरि के शिष्यों का कहना है कि महंत कभी भी खुद कुछ नहीं लिखते थे. अगर उन्हें कुछ लिखवाना होता था, तो किसी शिष्य को बुला लेते थे. वहीं, पुलिस भी इस थ्योरी पर जांच कर रही है. क्योंकि, पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची थी, तो दरवाजा पहले से ही तोड़ा जा चुका था. इस स्थिति में संभावना ये भी है कि किसी ने ये सुसाइड नोट वहां रख दिया हो. कभी खुद से एक लाइन न लिखने वाले नरेंद्र गिरि ने सात-आठ पन्नों का सुसाइड नोट कब और कैसे लिखा, इसकी भी जांच की जा रही है. इन तमाम एंगल को नजर में रखते हुए पुलिस सुसाइड नोट की फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स से जांच करा रही है. फॉरेंसिक रिपोर्ट आने तक सुसाइड नोट की प्रमाणिकता भी संदेह के घेरे में ही रहेगी.
वहीं, पुलिस के अनुसार, महंत नरेंद्र गिरि ने मौत से पहले अपने मोबाइल से एक वीडियो भी बनाया था. बताया जा रहा है कि ये वीडियो नरेंद्र गिरि की मौत से ठीक चार मिनट पहले बनाया गया था. पुलिस ने नरेंद्र गिरि के मोबाइल को जब्त कर वीडियो की फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. अभी तक की जांच में ये बात भी सामने आई है कि महंत नरेंद्र गिरि ने एक दिन पहले ही अपने किसी शिष्य से सल्फास की गोलियां मंगाई थीं. वहीं, कुछ दिनों पहले नायलॉन की रस्सी मंगाई थी, जिससे उनका शव लटका हुआ मिला था. सवाल ये भी उठता है कि सल्फास की गोलियां और रस्सी मंगाने पर किसी शिष्य का दिमाग क्यों नहीं ठनका?
किनकी वजह से अपमानित महसूस कर रहे थे नरेंद्र गिरि?
आनंद गिरि: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि पर मिथ्या आरोपों के जरिये मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं. दरअसल, आनंद गिरि और महंत नरेंद्र गिरि के बीच लंबे समय से विवाद चलता चला आ रहा है. आनंद गिरि को इसी साल मई में निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया था. आनंद गिरि के अखाड़े से निष्कासन के बाद एक के बाद एक कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. जिनमें अखाड़े और मठ की संपत्तियों के दुरुपयोग के आरोप महंत नरेंद्र गिरि पर लगाए गए थे. इन तमाम वीडियो और तस्वीरों में जावा किया गया था कि नरेंद्र गिरि अपने खास शिष्यों और परिवार वालों को मठ व अखाड़े की संपत्तियों से करोड़ों रुपये दे रहे हैं. हालांकि, महंत नरेंद्र गिरि ने इन आरोपों का खंडन किया था. इस स्थिति में सवाल उठता है कि आखिर आनंद गिरि क्यों नरेंद्र गिरि को परेशान कर रहे थे?
दरअसल, आनंद गिरि का नरेंद्र गिरि से विवाद काफी पुराना था. आनंद गिरि को बाघंबरी मठ और अखाड़े की गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के बाद इस वसीयत को रद्द कर दिया गया था. आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर मठ और अखाड़े की कई जमीनों को बेचने का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं आनंद गिरि ने निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरि की आत्महत्या और दिगंबर गंगापुरी की मौत को भी हत्या करार दिया था. आनंद गिरि ने कहा था कि हत्या के इन मामलों को महंत नरेंद्र गिरि ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर आत्महत्या के मामलों में तब्दील करवा दिया था. कुछ समय पहले ही आनंद गिरि ने महंत नरेंद्र गिरि के पैर पकड़कर माफी मांगी थी. और, अपने सभी आरोपों को वापस लेने की बात भी कही थी. दोनों के बीच सुलह होने के बाद आनंद गिरि परमठ और मंदिर से जुड़े प्रतिबंध भी हटा लिए गए थे. गौरतलब है कि 2019 में आनंद गिरि पर ऑस्ट्रेलिया में दो युवतियों ने छेड़खानी का मुकदमा दर्ज करवाया था. जिसकी वजह से आनंद गिरि को जेल भी जाना पड़ा था. हालांकि, बाद में आरोप सिद्ध न होने पर आनंद गिरि को बरी कर दिया गया था.
आद्या तिवारी और संदीप तिवारी: महंत नरेंद्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट में लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी का नाम भी लिखा है. ये आनंद गिरि के अलावा ये दो वो लोग हैं, जिन पर महंत नरेंद्र गिरि ने मानसिक रूप से आहत करने का आरोप लगाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नरेंद्र गिरि और आद्या तिवारी के बीच लेनदेन को लेकर कुछ विवाद चल रहा था. संदीप तिवारी भी इसी विवाद की एक कड़ी माने जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि पैसों के लेनदेन की वजह से महंत नरेंद्र गिरि और आद्या तिवारी व संदीप तिवारी के बीच मनमुटाव काफी बढ़ गया था. वैसे, नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में अन्य शिष्यों को परेशान न करने की ताकीद भी कर दी थी.
क्या अरबों की संपत्ति बनी मौत की वजह?
पुलिस हर एंगल से महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के मामले में तफ्तीश कर रही है. हिरासत में लिए जाने के बाद आनंद गिरि ने मीडिया के सामने इसे करोड़ों की संपत्ति का खेल बताया था. उन्होंने कहा था कि मठ व मंदिर की संपत्ति हड़पने के लिए महंतजी की हत्या हुई है. आनंद गिरि के अनुसार, नरेंद्र गिरि और उनके बीच सुलह कराने वाले एक पुलिस अधिकारी की भी भूमिका संदिग्ध है. बता दें कि बाघंबरी मठ और निरंजनी अखाड़ा के पास प्रयागराज के अलावा कई जगहों पर अरबों की कीमत की जमीन है. वहीं, मठ व संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर को भी करोड़ों रुपये दान में मिलते हैं. 2019 में महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरि ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. उस दौरान आरोप लगाए थे कि आशीष गिरि ने मठ और अखाड़े की जमीन बेचने का विरोध किया था. 2011 और 2012 में मठ की जमीन सपा के एक पूर्व विधायक को बेचने की बात भी सामने आई थी. आनंद गिरि और महंत नरेंद्र गिरी के बीच उत्तराधिकारी को लेकर भी लंबे समय से विवाद चल रहा था. आनंद गिरि ने खुद को महंत का उत्तराधिकारी घोषित किया था. लेकिन, नरेंद्र गिरि ने उन्हें केवल शिष्य बताया था. वहीं, महंत नरेंद्र गिरि पर निरंजनी अखाड़ा और बाघंबरी मठ की कई जमीन बेचकर शिष्यों और अपने परिजनों के नाम पर संपत्ति खरीदने के आरोप भी लगते थे. कोर्ट के जरिये महंत नरेंद्र गिरि ने निरंजनी अखाड़े और मठ को अलग करवा लिया था.
सीडी और वीडियो के जरिये ब्लैकमेल का खेल?
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में पुलिस की जांच आगे बढ़ने के साथ ही मामले में नए खुलासे हो रहे हैं. पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि के मोबाइल की सीडीआर रिपोर्ट की भी जांच की है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नरेंद्र गिरि को किसी सीडी और वीडियो के जरिये ब्लैकमेल किया जा रहा था. हालांकि, इस सीडी या वीडियो में क्या है, इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है. अब इस मामले में समाजवादी पार्टी के एक दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री का नाम भी चर्चा में है. बताया जा रहा है कि ये सपा नेता गिरफ्तार किए गए आनंद गिरि का करीबी है. साथ ही इस सपा नेता का बाघंबरी मठ में आना-जाना लगा रहता था. कॉल डिटेल के आधार पर पता चला है कि ये सपा नेता महंत नरेंद्र गिरि के साथ संपर्क में था.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.