महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे ज्यादा जानकारी देने वाला फिलहाल एक ही नाम बार बार सुनने को मिलता है - 'संजय' यानी संजय राउत. राज्य सभा सांसद संजय राउत शिवसेना के प्रवक्ता हैं - और पार्टी के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक भी. जाहिर है उनके पास जानकारियां तो होंगी ही. संजय राउत को उद्धव ठाकरे की जबान भी समझ सकते हैं - वो वही बोलते हैं जो जब तब उद्धव ठाकरे बोलने को बोलते हैं. हो सकता है बीच में ट्विटर पर शेरो-शायरी वो अपने मन से करते हों या कभी कभी उसमें भी उद्धव ठाकरे के मन की बात हुआ करती हो.
महाभारत में भी सबसे ज्यादा जानकारी देने वाले किरदार का नाम 'संजय' ही है - जो धृतराष्ट्र को कौरवों और पांडवों के बीच चले युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाते हैं और 'संजय उवाच्' का प्रयोग वहां बहुतायत में हुआ है.
बहरहाल, नये जमाने के संजय यानी संजय राउत कई बार कह चुके हैं कि जल्द ही महाराष्ट्र को लेकर अच्छी खबर मिलेगी. सही बात है. अभी तो हर राजनीतिक दल यही कोशिश कर रहा है कि महाराष्ट्र में जल्द से जल्द सरकार बन जाये - जब भी आये महाराष्ट्र के लोगों के लिए हाल फिलहाल तो सबसे अच्छी खबर यही होगी.
फिर भी सवाल उठता है कि ये अच्छी खबर संजय राउत की पार्टी शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे के लिए होगी या शरद पवार के लिए?
कितनी अच्छी खबर आने वाली है?
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का दावा है कि जल्दी ही अच्छी खबर मिलेगी और वो शिवसेना के पक्ष में आने वाली है. लगे हाथ जोड़ भी देते हैं, महाराष्ट्र की जनता की इच्छा है कि शिवसेना का मुख्यमंत्री बनना चाहिए और ये राज्य की भावना है कि उद्धव ठाकरे ही नेतृत्व भी करें. आगे कहते हैं, 'लगता है कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाएंगे.'
अच्छी खबर का इंतजार हर किसी को रहता है. रहना भी चाहिये. फिर भी संजय राउत को क्यों लगता है कि अच्छी खबर शिवसेना के लिए ही अच्छी होगी. महाराष्ट्र में सरकार बनना तो सूबे के सभी लोगों के लिए अच्छी खबर होगी.
क्या संजय राउत को जरा भी...
महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे ज्यादा जानकारी देने वाला फिलहाल एक ही नाम बार बार सुनने को मिलता है - 'संजय' यानी संजय राउत. राज्य सभा सांसद संजय राउत शिवसेना के प्रवक्ता हैं - और पार्टी के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक भी. जाहिर है उनके पास जानकारियां तो होंगी ही. संजय राउत को उद्धव ठाकरे की जबान भी समझ सकते हैं - वो वही बोलते हैं जो जब तब उद्धव ठाकरे बोलने को बोलते हैं. हो सकता है बीच में ट्विटर पर शेरो-शायरी वो अपने मन से करते हों या कभी कभी उसमें भी उद्धव ठाकरे के मन की बात हुआ करती हो.
महाभारत में भी सबसे ज्यादा जानकारी देने वाले किरदार का नाम 'संजय' ही है - जो धृतराष्ट्र को कौरवों और पांडवों के बीच चले युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाते हैं और 'संजय उवाच्' का प्रयोग वहां बहुतायत में हुआ है.
बहरहाल, नये जमाने के संजय यानी संजय राउत कई बार कह चुके हैं कि जल्द ही महाराष्ट्र को लेकर अच्छी खबर मिलेगी. सही बात है. अभी तो हर राजनीतिक दल यही कोशिश कर रहा है कि महाराष्ट्र में जल्द से जल्द सरकार बन जाये - जब भी आये महाराष्ट्र के लोगों के लिए हाल फिलहाल तो सबसे अच्छी खबर यही होगी.
फिर भी सवाल उठता है कि ये अच्छी खबर संजय राउत की पार्टी शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे के लिए होगी या शरद पवार के लिए?
कितनी अच्छी खबर आने वाली है?
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का दावा है कि जल्दी ही अच्छी खबर मिलेगी और वो शिवसेना के पक्ष में आने वाली है. लगे हाथ जोड़ भी देते हैं, महाराष्ट्र की जनता की इच्छा है कि शिवसेना का मुख्यमंत्री बनना चाहिए और ये राज्य की भावना है कि उद्धव ठाकरे ही नेतृत्व भी करें. आगे कहते हैं, 'लगता है कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाएंगे.'
अच्छी खबर का इंतजार हर किसी को रहता है. रहना भी चाहिये. फिर भी संजय राउत को क्यों लगता है कि अच्छी खबर शिवसेना के लिए ही अच्छी होगी. महाराष्ट्र में सरकार बनना तो सूबे के सभी लोगों के लिए अच्छी खबर होगी.
क्या संजय राउत को जरा भी नहीं लगता होगा कि अच्छी खबर शरद पवार के लिए भी हो सकती है?
शरद पवार चुनाव नतीजे आने के बाद से बीजेपी विरोधी राजनीति की महाराष्ट्र में धुरी बने हुए हैं. शरद पवार विपक्ष की राजनीति के रिंग मास्टर की तरह शिवसेना और कांग्रेस दोनों को अपने इशारों पर नचा रहे हैं - और अब तो कोई शक-शुबहा भी नहीं बचा है कि वो बीजेपी के साथ भी डील करने के लिए खुल कर सामने आ चुके हैं. शरद पवार तो संजय राउत के तमाम दावों को पहले ही खारिज कर चुके हैं कि शिवसेना से तो सरकार बनाने को लेकर कोई बात ही नहीं हुई. कांग्रेस नेता भी तो यही कह रहे हैं कि बातें हुई हैं - लेकिन काफी बातें बाकी भी हैं और चर्चा चालू है.
जैसे मीडिया में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनाने की कोशिश और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (CMP) की खबरें हैं, वैसी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शरद पवार की मुलाकात के बाद NCP के उज्ज्वल भविष्य को लेकर भी खबरें आ रही हैं. शरद पवार को लेकर खबरें तो सपनों जैसी हैं. उद्धव ठाकरे के लिए जितनी अच्छी खबर का इंतजार संजय राउत को है, उससे भी कहीं बढ़ कर खूबसूरत खबरें शरद पवार के हिस्से में चली आ रही हैं.
शिवसेना की सरकार के बराबर एक चर्चा तो ये भी है कि महाराष्ट्र में एनसीपी और बीजेपी की सरकार बन सकती है और उसके बदले में केंद्र सरकार की मोदी कैबिनेट में शरद पवार की NCP को तीन-तीन अहम मंत्रालय मिल सकते हैं. वस्तुस्थिति यही है कि बीजेपी ने एनडीए के सहयोगी दलों को एक मंत्रालय से ज्यादा देने से पहले ही इंकार कर दिया था. तभी तो नीतीश कुमार ने बाहर ही रहना मंजूर किया. वैसे अरविंद सावंत के इस्तीफे के बाद शिवसेना भी उसी जमात में शामिल हो गयी है या कहें कि उससे भी अलग हो गयी है. ऐसे में नयी व्यवस्था में शरद पवार के हिस्से में तीन-तीन मंत्रालय नामुमकिन तो नहीं लगता लेकिन मुश्किल जरूर लगता है.
नामुमकिन तो बस उस खबर का हकीकत बनना लगता है जिसमें 2022 के लिए शरद पवार को राष्ट्रपति पद ऑफर किये जाने की बात है. बीजेपी के पूर्ण बहुमत के शासन में शरद पवार राष्ट्रपति बनेंगे - ये तो बिलकुल डॉन को पकड़ने की तरह मुश्किल नहीं, नामुमकिन है. 'मोदी है तो नामुमकिन है' - कम से कम इस मामले में तो ऐसा ही लगता है.
मौजूदा माहौल में ऐसी चर्चाओं का कोई ओर-छोर नहीं है. देश में सबसे ऊपर के संवैधानिक पदों पर अभी जो भी लोग हैं वे संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं - जब बीजेपी सहयोगी दलों को एक से ज्यादा मंत्री पद नहीं दे सकती, संघ से अलग का लोकसभा स्पीकर नहीं चुन सकती तो - किसी और दल के नेता के राष्ट्रपति बनाये जाने की बात भी बेमानी ही लगती है. जब लालकृष्ण आडवाणी को ये पद नहीं मिल सका तो शरद पवार के लिए तो ये नामुमकिन ही लगता है.
ऐसा भी नहीं कि बीजेपी को शरद पवार से ऐसा कुछ हासिल होने वाला हो जो उसके लिए हासिल करना असंभव सा हो. शरद पवार से जो कुछ भी हासिल हो रहा है वो नीतीश कुमार से ज्यादा तो है नहीं. बल्कि नीतीश कुमार तो बरसों से एनडीए में ही हैं, कुछ साल अलग रहने की बात और है. ये नीतीश कुमार ही हैं जिनकी बदौलत बीजेपी को बिहार में मुख्यमंत्री तो नहीं लेकिन डिप्टी सीएम तो मिल ही गया है.
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