मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के साथ ही अपनी नई संचालन समिति यानी स्टीयरिंग कमेटी का गठन कर दिया है. दरअसल, मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनते ही कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था. जो आमतौर पर किया ही जाता है. लेकिन, पार्टी से जुड़े बड़े फैसले लेने के लिए सीडब्ल्यूसी सदस्यों की जरूरत होती है. तो, इस कमी को पूरा करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे ने संचालन समिति का ऐलान किया. हालांकि, नई संचालन समिति में पिछली सीडब्ल्यूसी के अधिकतर सदस्यों को रखा गया है. लेकिन, इस संचालन समिति में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का नाम नहीं है. जिसकी वजह से खड़गे के फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
दरअसल, माना जा रहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे अपने ऊपर से 'रबर स्टैंप' की मुहर को हटाने की पुरजोर कोशिश करेंगे. लेकिन, ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. खड़गे ने नई संचालन समिति में गांधी परिवार के तीनों सदस्यों सोनिया, राहुल और प्रियंका को शामिल किया है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के करीबी दिग्विजय सिंह का नाम भी इस समिति में शामिल है. वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे की संचालन समिति में शशि थरूर, मनीष तिवारी, पीजे कुरियन, पृथ्वीराज चव्हाण, भूपेंद्र हुड्डा को शामिल नहीं किया गया है. ये सभी कांग्रेस के असंतुष्ट गुट जी-23 के नेता हैं. हालांकि, जी-23 गुट के आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक को संचालन समिति में जगह दी गई है. लेकिन, सियासी गलियारों में चर्चा है कि शर्मा और वासनिक के साथ पहले ही कांग्रेस आलाकमान का पैचअप हो चुका है.
खड़गे की संचालन समिति को देखा जाए, तो...
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के साथ ही अपनी नई संचालन समिति यानी स्टीयरिंग कमेटी का गठन कर दिया है. दरअसल, मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनते ही कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था. जो आमतौर पर किया ही जाता है. लेकिन, पार्टी से जुड़े बड़े फैसले लेने के लिए सीडब्ल्यूसी सदस्यों की जरूरत होती है. तो, इस कमी को पूरा करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे ने संचालन समिति का ऐलान किया. हालांकि, नई संचालन समिति में पिछली सीडब्ल्यूसी के अधिकतर सदस्यों को रखा गया है. लेकिन, इस संचालन समिति में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का नाम नहीं है. जिसकी वजह से खड़गे के फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
दरअसल, माना जा रहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे अपने ऊपर से 'रबर स्टैंप' की मुहर को हटाने की पुरजोर कोशिश करेंगे. लेकिन, ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. खड़गे ने नई संचालन समिति में गांधी परिवार के तीनों सदस्यों सोनिया, राहुल और प्रियंका को शामिल किया है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के करीबी दिग्विजय सिंह का नाम भी इस समिति में शामिल है. वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे की संचालन समिति में शशि थरूर, मनीष तिवारी, पीजे कुरियन, पृथ्वीराज चव्हाण, भूपेंद्र हुड्डा को शामिल नहीं किया गया है. ये सभी कांग्रेस के असंतुष्ट गुट जी-23 के नेता हैं. हालांकि, जी-23 गुट के आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक को संचालन समिति में जगह दी गई है. लेकिन, सियासी गलियारों में चर्चा है कि शर्मा और वासनिक के साथ पहले ही कांग्रेस आलाकमान का पैचअप हो चुका है.
खड़गे की संचालन समिति को देखा जाए, तो कांग्रेस आलाकमान पर सवाल खड़े करने वालों को बाहर ही रखा गया है. जिसकी वजह से कहा जा रहा है कि ये फैसला कांग्रेस आलाकमान का ही है. वैसे भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले शशि थरूर ने कई बार खड़गे की अघोषित 'आधिकारिक' उम्मीदवारी पर सवाल खड़े किए थे. 84 फीसदी से ज्यादा मतों के साथ खड़गे की जीत ने पहले ही इस पर मुहर लगा दी थी. लेकिन, नई संचालन समिति के नामों के जरिये मल्लिकार्जुन खड़गे ने बता दिया है कि उनका कोई भी फैसला गांधी परिवार के मार्गदर्शन के बिना नहीं हो सकता है. वैसे, वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने इंडिया टुडे में लिखे गए अपने एक लेख में जिक्र किया है कि कांग्रेस के संविधान के हिसाब से भले ही खड़गे पार्टी अध्यक्ष बन गए हों. लेकिन, कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन होने के नाते सोनिया गांधी के पास खड़गे से ज्यादा ही अधिकार हैं.
इस लेख के अनुसार, कांग्रेस के संविधान के हिसाब से सोनिया गांधी के पास लोकसभा और राज्यसभा में नेताओं को नियुक्ति का अधिकार है. इसके साथ ही सोनिया गांधी के पास ही कांग्रेस की ओर से पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने का भी अधिकार सुरक्षित है. आसान शब्दों में कहें, तो कांग्रेस के संविधान के अनुसार मल्लिकार्जुन खड़गे चाह कर भी कुछ खास कर नहीं सकते हैं. और, उन्हें गांधी परिवार के दिखाए रास्ते पर ही चलना होगा. वैसे, थरूर, तिवारी, हुड्डा जैसे जी-23 गुट के नेताओं को संचालन समिति से बाहर किए जाने के बाद कहना गलत नहीं होगा कि खड़गे ने गांधी परिवार के हिसाब से काम शुरू कर दिया है.
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