क्या कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को केवल नाम का अध्यक्ष बन रखा है? क्या मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ कांग्रेस पार्टी में अछूतों जैसा व्यवहार किया जाता है? क्या कांग्रेस ने महज दलित वोटबैंक साधने के लिए ही खड़गे जैसे नेताओं को पार्टी में शामिल कर रखा है? क्या कांग्रेस आलाकमान भी खड़गे को अछूत मानता है? वैसे, इन तमाम सवालों के उठने की बड़ी वजह खुद मल्लिकार्जुन खड़गे ही हैं. दरअसल, गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'पीएम मोदी और शाह हमसे पूछते हैं कि 70 साल में कांग्रेस ने क्या किया? अगर हमने कुछ नहीं किया होता, तो आपको लोकतंत्र नहीं मिलता. आप (नरेंद्र मोदी) खुद को गरीब कहते हैं. लेकिन, हम तो गरीब से भी गरीब हैं. हम अछूतों में आते हैं. लोग कम से कम तुम्हारी चाय तो पीते हैं. मेरी तो चाय भी नहीं पीता कोई.'
लिखी सी बात है कि मल्लिकार्जुन खड़गे खुद को गरीब और अछूत बताकर दलित कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन, उनका ये दलित कार्ड कांग्रेस पर ही भारी पड़ने वाला है. क्योंकि, कांग्रेस के एक सामान्य से कार्यकर्ता से लेकर पार्टी के अध्यक्ष बन जाने के बावजूद अगर मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो रहा है. तो, ये कांग्रेस पार्टी पर ही प्रश्न चिन्ह लगा देता है. जिस तरह से खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी के खुद को गरीब बताने को सहानुभूति बटोरने का तरीका बताया. और, कहा कि 'एक बार-दो बार लोग झूठ सुन लेते हैं. लेकिन, हर बार नहीं सुनते.' लेकिन, ये सोचने वाली बात है कि पीएम मोदी को कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों द्वारा इन्हीं बातों के जरिये ही निशाना बनाया जाता रहा है. मणिशंकर अय्यर से लेकर मधुसूदन मिस्त्री तक कांग्रेस नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी है. जो पीएम मोदी पर निशाना साधने के लिए अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल से भी नहीं चूके हैं. जबकि, मल्लिकार्जुन खड़गे पर शायद ही कभी दलित होने की वजह से...
क्या कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को केवल नाम का अध्यक्ष बन रखा है? क्या मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ कांग्रेस पार्टी में अछूतों जैसा व्यवहार किया जाता है? क्या कांग्रेस ने महज दलित वोटबैंक साधने के लिए ही खड़गे जैसे नेताओं को पार्टी में शामिल कर रखा है? क्या कांग्रेस आलाकमान भी खड़गे को अछूत मानता है? वैसे, इन तमाम सवालों के उठने की बड़ी वजह खुद मल्लिकार्जुन खड़गे ही हैं. दरअसल, गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'पीएम मोदी और शाह हमसे पूछते हैं कि 70 साल में कांग्रेस ने क्या किया? अगर हमने कुछ नहीं किया होता, तो आपको लोकतंत्र नहीं मिलता. आप (नरेंद्र मोदी) खुद को गरीब कहते हैं. लेकिन, हम तो गरीब से भी गरीब हैं. हम अछूतों में आते हैं. लोग कम से कम तुम्हारी चाय तो पीते हैं. मेरी तो चाय भी नहीं पीता कोई.'
लिखी सी बात है कि मल्लिकार्जुन खड़गे खुद को गरीब और अछूत बताकर दलित कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन, उनका ये दलित कार्ड कांग्रेस पर ही भारी पड़ने वाला है. क्योंकि, कांग्रेस के एक सामान्य से कार्यकर्ता से लेकर पार्टी के अध्यक्ष बन जाने के बावजूद अगर मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो रहा है. तो, ये कांग्रेस पार्टी पर ही प्रश्न चिन्ह लगा देता है. जिस तरह से खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी के खुद को गरीब बताने को सहानुभूति बटोरने का तरीका बताया. और, कहा कि 'एक बार-दो बार लोग झूठ सुन लेते हैं. लेकिन, हर बार नहीं सुनते.' लेकिन, ये सोचने वाली बात है कि पीएम मोदी को कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों द्वारा इन्हीं बातों के जरिये ही निशाना बनाया जाता रहा है. मणिशंकर अय्यर से लेकर मधुसूदन मिस्त्री तक कांग्रेस नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी है. जो पीएम मोदी पर निशाना साधने के लिए अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल से भी नहीं चूके हैं. जबकि, मल्लिकार्जुन खड़गे पर शायद ही कभी दलित होने की वजह से निशाना साधा गया होगा. वैसे, कांग्रेस अध्यक्ष का दलित कार्ड खेलना आसानी से किसी के गले नहीं उतरेगा.
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री के आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल को लेकर पार्टी पहले से ही गुजरात विधानसभा चुनाव में बैकफुट पर चल रही है. और, ऐसा लग रहा है कि रही-सही कसर कांग्रेस के नए-नवेले अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं. क्योंकि, मधुसूदन मिस्त्री की गलती पर डैमेज कंट्रोल करने के चक्कर में मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के हाथों में एक और मुद्दा दे दिया है. जिसे गुजरात विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल करने से शायद ही पीएम मोदी चूकेंगे. कहना गलत नहीं होगा कि पीएम मोदी को लपेटने के चक्कर में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस की ही छीछालेदर कर डाली.
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