पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर ठीक वैसे ही हमला बोला है जैसे कभी गुजरात जाकर सोनिया गांधी ने बोला था. 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्य्क्ष सोनिया गांधी ने मोदी को मौत का सौदागर कहा था - और अब जबकि पश्चिम बंगाल में चुनाव हो रहे हैं, ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को दंगाबाज करार दिया है.
समझने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी को इस तरीके से निशाना बनाने के पीछे मकसद भी एक ही है. गुजरात के 2002 के जिस दंगे को लेकर सोनिया गांधी ने मोदी को टारगेट किया था, ममता बनर्जी के बयान के पीछे भी वही वजह है - मुस्लिम वोट (Muslim Vote) बैंक.
मुस्लिम वोट ममता बनर्जी के सत्ता हासिल करने से लेकर वापसी तक में बड़ा सपोर्ट साबित होता रहा है, लेकिन इस बार वो पहले से ही बिखरा बिखरा और बंटा हुआ नजर आने लगा है. बिहार के साथ साथ अब गुजरात के निकाय चुनाव में भी एंट्री मार चुके असदुद्दीन ओवैसी पश्चिम बंगाल के मुस्लिम वोट में सेंध लगाने की तैयारी में हैं - और फुरफुरा शरीफ वाले पीरजादा अब्बास सिद्दीकी तो मुखालफत में मैदान में उतर ही चुके हैं.
चुनाव की तारीख भले ही नहीं आयी हो, लेकिन बिछड़ते साथी, बिखरता मुस्लिम वोट बैंक और परिवार तक पूछताछ करने सीबीआई का पहुंच जाना ममता बनर्जी को बुरी तरह परेशान कर रखा है. अब अगर ऐसे में ममता बनर्जी का गुस्सा बेकाबू हो जाता है तो एक हद तक स्वाभाविक भी है, लेकिन राजनीति तो ऐसे चलती नहीं. राजनीति में तो एक एक छोटी चीज कब तिल का ताड़ बन सकती है, मालूम कहां होता है.
अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी के विरोधी तेवर का ये तरीका किसी राजनीतिक रणनीति के तहत नहीं है तो मान कर चलना चाहिये - थोड़ा बहुत ही सही, ये नया गुल तो खिलाएगा ही.
ममता का मोदी पर हमला
अलग अलग जगहों पर दो राजनीतिक दलों को अपने विरोधियों को गुंडा बताते देखा गया है - और ये कुल तीन ही राजनीतिक दल थे. दरअसल, इनमें...
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर ठीक वैसे ही हमला बोला है जैसे कभी गुजरात जाकर सोनिया गांधी ने बोला था. 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्य्क्ष सोनिया गांधी ने मोदी को मौत का सौदागर कहा था - और अब जबकि पश्चिम बंगाल में चुनाव हो रहे हैं, ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को दंगाबाज करार दिया है.
समझने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी को इस तरीके से निशाना बनाने के पीछे मकसद भी एक ही है. गुजरात के 2002 के जिस दंगे को लेकर सोनिया गांधी ने मोदी को टारगेट किया था, ममता बनर्जी के बयान के पीछे भी वही वजह है - मुस्लिम वोट (Muslim Vote) बैंक.
मुस्लिम वोट ममता बनर्जी के सत्ता हासिल करने से लेकर वापसी तक में बड़ा सपोर्ट साबित होता रहा है, लेकिन इस बार वो पहले से ही बिखरा बिखरा और बंटा हुआ नजर आने लगा है. बिहार के साथ साथ अब गुजरात के निकाय चुनाव में भी एंट्री मार चुके असदुद्दीन ओवैसी पश्चिम बंगाल के मुस्लिम वोट में सेंध लगाने की तैयारी में हैं - और फुरफुरा शरीफ वाले पीरजादा अब्बास सिद्दीकी तो मुखालफत में मैदान में उतर ही चुके हैं.
चुनाव की तारीख भले ही नहीं आयी हो, लेकिन बिछड़ते साथी, बिखरता मुस्लिम वोट बैंक और परिवार तक पूछताछ करने सीबीआई का पहुंच जाना ममता बनर्जी को बुरी तरह परेशान कर रखा है. अब अगर ऐसे में ममता बनर्जी का गुस्सा बेकाबू हो जाता है तो एक हद तक स्वाभाविक भी है, लेकिन राजनीति तो ऐसे चलती नहीं. राजनीति में तो एक एक छोटी चीज कब तिल का ताड़ बन सकती है, मालूम कहां होता है.
अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी के विरोधी तेवर का ये तरीका किसी राजनीतिक रणनीति के तहत नहीं है तो मान कर चलना चाहिये - थोड़ा बहुत ही सही, ये नया गुल तो खिलाएगा ही.
ममता का मोदी पर हमला
अलग अलग जगहों पर दो राजनीतिक दलों को अपने विरोधियों को गुंडा बताते देखा गया है - और ये कुल तीन ही राजनीतिक दल थे. दरअसल, इनमें बीजेपी कॉमन रही.
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी को गुंडा बताया तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के नेताओं को. योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी की लाल टोपी पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या ये लोग घर पर भी टोपी लगा कर रखते हैं. योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में समाजवादी पार्टी के विधायकों की टोपी देख कर ये भी कहा कि ऐसा लगता है जैसे सदन में कोई ड्रामा कंपनी हो.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कहा कि ढाई साल का बच्चा भी लाल टोपीवालों को देख कर गुंडा समझता है. योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद अखिलेश यादव ने मीडिया के सामने आकर विरोध प्रकट किया और फिर ट्विटर पर लाल टोपी के साथ प्रोफाइल फोटो बदल दिया - देखते ही देखते समाजवादी पार्टी के नेता भी प्रोफाइल फोटो बदलने लगे, कुछ कुछ वैसे ही जैसे राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ बीजेपी नेताओं और समर्थकों ने अपने नाम के पहले चौकीदार जोड़ लिया था.
हुगली की एक चुनावी रैली में ममता बनर्जी ने बीजेपी को गुंडा बताते हुए कहा कि गुंडे बंगाल पर शासन नहीं करेंगे. बंगाल पर बंगाल का ही शासन होगा. गुजरात पर बंगाल का शासन नहीं होगा.
ममता बनर्जी ने कहा कि हर बार बीजेपी उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को टोलाबाज कह कर बुलाती है, लेकिन मैं कहती हूं बीजेपी दंगाबाज है और धंधाबाज है. ममता बनर्जी ने कहा कि चुनावों में मैं गोलकीपर रहेंगी और बीजेपी एक भी गोल नहीं कर पाएगी. तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी का खुद को गोलकीपर बताना भी प्रधानमंत्री मोदी को ही जवाब लगता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पहले ही फुटबाल की भाषा में समझाते हुए राम-कार्ड चलने की बात कही थी. अभी तो केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी पश्चिम बंगाल पहुंचे हुए हैं और ट्विटर पर लिखा है - अब तो जय श्रीराम होकर ही रहेगा.
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का सबसे बड़ा दंगाबाज तक कह डाला है - और कहा है, 'जैसा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ हुआ, मोदी के साथ उससे भी बुरा होगा...'
चुनावी रैली में ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेकर कहा कि मोदी बंगाल पर राज नहीं करेंगे. मोदी विरोध के इस तरीके में अगर कोई पूर्व निर्धारित राजनीतिक रणनीति नहीं है तो ये तृणमूल कांग्रेस के लिए कुल्हाड़ी पर पैर मारने जैसा ही है. हो सकता है ऐसा बोल कर ममता बनर्जी मुस्लिम वोट को कुछ हद तक अपने पक्ष में बचा लें, लेकिन ये भी तय है कि बीजेपी समर्थक इसे प्रधानमंत्री मोदी पर निजी हमले के रूप में भी ले सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो ममता बनर्जी के लिए ये सब बहुत बड़े घाटे का सौदा साबित हो सकता है.
ममता बनर्जी ये जोखिम भी ऐसे दौर में उठा रही हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता चरम पर है. इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में लोकप्रियता के मामले में प्रधानमंत्री मोदी के आसपास कोई नजर नहीं आया - ममता बनर्जी खुद भी.
मुस्लिम वोट के चक्कर में
पहले तो ममता बनर्जी भतीजे अभिषेक बनर्जी को बार बार टारगेट किये जाने से नाराज रहीं, लेकिन अब जबकि कोयले की तस्करी वाले केस में उनकी बहू से सीबीआई पूछताछ शुरू कर चुकी है, ममता बनर्जी का गुस्सा स्वाभाविक है - और वो सातवें आसमान पर भी जा पहुंचा है.
कभी कोलकाता के पुलिस कमिश्नर के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई को लेकर रात भर धरने पर बैठ चुकीं ममता बनर्जी ने बहू के मामले में वैसा कुछ तो नहीं किया है, लेकिन अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी की पत्नी से सीबीआई की पूछताछ को बंगाल की महिलाओं का अपमान जरूर बताया है. ध्यान रहे, पूछताछ के लिए सीबीआई के पहुंचने से पहले ममता बनर्जी भतीजे और बहू से मिलने अभिषेक बनर्जी के घर गयी थीं.
ममता बनर्जी के ऐसा करने के पीछे में तृणमूल कांग्रेस समर्थकों को मैसेज देना रहा होगा. ठीक वैसे ही जैसे आम चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने पति रॉबर्ट वाड्रा को पेशी के लिए प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर तक छोड़ने गयी थीं और उसके बाद कामकाज संभाला था. तब प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि वो अपने पति और परिवार के साथ खड़ी हैं. जाहिर है, ममता बनर्जी ने भी अपने समर्थकों को ऐसा ही कोई संदेश देने की कोशिश की होगी.
असल बात तो ये है कि बीजेपी नेतृत्व ममता बनर्जी को बार बार उकसाने की कोशिश कर रहा है और तृणमूल कांग्रेस नेता गुस्से के चलते बीजेपी की राजनीतिक रणनीति में गच्चा खा जा रही हैं. ममता बनर्जी के खिलाफ भी बीजेपी वही तौर तरीके अपना रही है जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपनाया था, आम आदमी पार्टी नेता ने तो प्रशांत किशोर की सलाह पर लगातार संयम का परिचय दिया, लेकिन तृणमूल कांग्रेस नेता क्रोध पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रही हैं.
ममता बनर्जी ये तो नहीं ही भूली होंगी कि सोनिया गांधी ने 2007 के बाद फिर कभी मोदी के लिए वैसा नहीं कहा. जब सोनिया गांधी ने ये बयान दिया तब तो कांग्रेस हारी ही पांच साल बाद क्या अब तक गुजरात में कांग्रेस के हाथ सत्ता नहीं लग पायी है - और नगर निकाय के चुनावों में तो जैसे सफाया ही हो गया है. 2014 में केंद्र की सत्ता पर बीजेपी के कब्जा जमाने के बाद से जो हाल हुआ है पूरी दुनिया देख रही है.
ममता बनर्जी को भी बीजेपी नेतृत्व की राजनीति पर गौर करते हुए सोच समझ कर ही रिएक्ट करना चाहिये वरना एक बयान भी जिंदगी भर की राजनीति पर भारी पड़ता है - जिन्ना की तारीफ में कसीदे पढ़ कर सारी कमाई गंवा देने वाले बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी सबसे बड़ी मिसाल हैं.
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