ममता की बंगाल की राजनीति में शुरुआत बहुत ज्यादा सफल नहीं रही. लेकिन उन्होंने केंद्र में लंबी, चर्चित और काफी हद तक ईमानदार पारी खेली. लेकिन, जब 2012 में जब उन्होंने राज्य में वापसी की तो कम्युनिस्टों के 'लाल' किले का बंग-भंग कर डाला. अब वे बंगाली अस्मिता की बात कर रही हैं और बीजेपी को बाहरी ताकत घोषित कर रही हैं. काफी हद तक उनकी रणनीति गुजरात में लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति से मेल खाती है.
अगले लोकसभा चुनाव को करीब डेढ़ साल बचा है. और ममता ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाना बनाना तेज कर दिया है. ठीक वैसे ही जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी ने तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ हवा बनानी शुरू की थी. इंडिया टुडे के कोलकाता कॉनक्लेव में उनकी बातें 2019 की योजना का ब्योरा दे रही थीं.
1. मोदी काे बंगाल-बैरी घोषित करना :
ममता ने एक बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार उद्योगों को मना कर रही है कि वे बंगाल न जाएं. इतना ही नहीं उन्होंने इशारों-इशारों में मोदी के व्यक्तिगत व्यवहार पर भी सवाल उठाया. एक वाकये का जिक्र करते हुए ममता ने कहा बंधन एक्सप्रेस के शुभारंभ पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जब कोलकाता आईं तो उन्होंने मुस्कुराकर मेरा अभिवादन किया. जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा नहीं किया.
हालांकि, बाद में बात को संभालते हुए उन्होंने कहा कि वे मोदी या किसी व्यक्ति की विरोधी नहीं हूं. लेकिन बात जब लोगों से जुड़े मुद्दे की होती है और उनकी परेशानी की बात होती है तो किसी को तो आवाज उठानी होगी. मैं नहीं उठाउंगी तो कोई और उठाएगा.
2. असली विरोधी कौन है :
डेरेक ओ ब्रायन ने अपनी किताब में लिखा है कि 2019 में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और...
ममता की बंगाल की राजनीति में शुरुआत बहुत ज्यादा सफल नहीं रही. लेकिन उन्होंने केंद्र में लंबी, चर्चित और काफी हद तक ईमानदार पारी खेली. लेकिन, जब 2012 में जब उन्होंने राज्य में वापसी की तो कम्युनिस्टों के 'लाल' किले का बंग-भंग कर डाला. अब वे बंगाली अस्मिता की बात कर रही हैं और बीजेपी को बाहरी ताकत घोषित कर रही हैं. काफी हद तक उनकी रणनीति गुजरात में लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति से मेल खाती है.
अगले लोकसभा चुनाव को करीब डेढ़ साल बचा है. और ममता ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाना बनाना तेज कर दिया है. ठीक वैसे ही जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी ने तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ हवा बनानी शुरू की थी. इंडिया टुडे के कोलकाता कॉनक्लेव में उनकी बातें 2019 की योजना का ब्योरा दे रही थीं.
1. मोदी काे बंगाल-बैरी घोषित करना :
ममता ने एक बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार उद्योगों को मना कर रही है कि वे बंगाल न जाएं. इतना ही नहीं उन्होंने इशारों-इशारों में मोदी के व्यक्तिगत व्यवहार पर भी सवाल उठाया. एक वाकये का जिक्र करते हुए ममता ने कहा बंधन एक्सप्रेस के शुभारंभ पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जब कोलकाता आईं तो उन्होंने मुस्कुराकर मेरा अभिवादन किया. जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा नहीं किया.
हालांकि, बाद में बात को संभालते हुए उन्होंने कहा कि वे मोदी या किसी व्यक्ति की विरोधी नहीं हूं. लेकिन बात जब लोगों से जुड़े मुद्दे की होती है और उनकी परेशानी की बात होती है तो किसी को तो आवाज उठानी होगी. मैं नहीं उठाउंगी तो कोई और उठाएगा.
2. असली विरोधी कौन है :
डेरेक ओ ब्रायन ने अपनी किताब में लिखा है कि 2019 में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और तृणमूल को साथ काम करना चाहिए. लेकिन ममता बनर्जी इस मामले में कुछ भी कहने से बचती हैं. वे इतना ही खुलासा करती हैं कि अभी इस बात पर पार्टी के भीतर कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है.
3. महागठबंधन होगा ?
ममता मानती हैं कि केंद्र में सारा विपक्ष अभी तो मिलकर काम कर रहा है. वे खुलकर कहती हैं कि मैं तो उद्धव ठाकरे से भी मिलती हूं और मेरे रिश्ते तो कुछ बीजेपी नेताओं से भी अच्छे रहते हैं. उद्धव ठाकरे और मेरी मुलाकात को सेक्युलरिज्म से जोड़कर देखा जाता है, जिस पर मैं इतना ही कहना चाहती हूं कि मुझे किसी से सेक्युलरिज्म का सर्टिफिकेट नहीं लेना है. हमारे बीच कामकाज को लेकर तालमेल है.
4. राहुल गांधी का नेतृत्व ?
राजीव गांधी और सोनिया गांधी के लिए मेरे मन में काफी इज्जत है. राहुल ने अभी काम करना शुरू किया है. थोड़ा समय दीजिए. परिस्थिति के अनुसार जैसी जरूरत होगी, फैसले लिए जाएंगे.
5. आगे की योजना ?
तृणमूल कांग्रेस एक अखिल भारतीय पार्टी है. बंगाल हमारी मातृभूमि है. इसे हम भूल नहीं सकते. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को भूल जाएं. मैं 23 साल सांसद और दो बार रेल मंत्री रही हूं. जो नेता सिर्फ क्षेत्रीय राजनीति तक सीमित रह जाते हैं, वे देश को नहीं जान पाते.
6. बंगाल में बीजेपी की चुनौती ?
पहले उन्हें अपनी पार्टी के भीतर की स्थिति को देख लेना चाहिए. वे यहां क्या कर लेंगे. हम यहां 99 हैं, और वे 1-2 हैं. उनकी यहां कोई पहचान नहीं है. वे सिर्फ चिल्लाने का काम करते हैं. प्रोपगेंडा फैलाने का काम करते हैं. यह सब प्रायोजित होता है. मीडिया और सोशल मीडिया आधारित. वे दंगे की राजनीति करते हैं. लोगों को तोड़ने वाली राजनीति करते हैं. तो क्या बंगाल इसे बर्दाश्त करेगा?
7. गुजरात मॉडल बनाम बंगाल मॉडल ?
ममता बनर्जी ने कुछ चर्चित मुद्दों के हवाले से अपने रुख को जिस तरह से पेश किया है, वे सीधे-सीधे मोदी सरकार के रुख के विपरीत है. ममता बनर्जी कहती हैं कि बीजेपी वाले राज्यों के मुख्यमंत्री पद्मावती के विरोध की बात कर रहे हैं. लेकिन मैं कहती हूं यदि संजय लीला भंसाली बंगाल में आकर काम करना चाहते हैं तो मैं उनका स्वागत करूंगी. मुझे कोई परवाह नहीं कि बाकी के मुख्यमंत्री क्या कह रहे हैं. यदि कोई पाकिस्तानी कलाकार या खिलाड़ी अपना प्रदर्शन करना चाहता है तो मैं उनका भी स्वागत करूंगी. कला, संगीत या खेल इन सबके लिए कोई बाउंड्री नहीं है. रोहिंग्या मुसलमानों के सवाल पर वे कहती हैं कि उन्होंने रोहिंग्या महिलाओं और बच्चों को शरण दी है. वे यूएन के शरणार्थियों से जुड़े नियमों का समर्थन करती हैं.
8. प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं ?
ममता मुस्कुरा कर कहती हैं कि मैं एक सामान्य व्याक्ति के रूप में रहना चाहती हूं. LIP (less important person). लेकिन एक बात जानती हूं कि बंगाल ही देश को नेतृत्व देगा.
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