प्रधानमंत्री और भाजपा के चाणक्य अमित शाह एक तरफ पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए जीत का रास्ता तलाश रहे हैं तो दूसरी ओर ‘भाजपा मुक्त भारत’ की चाह में बंगाल की दीदी भी दिल्ली तक का रास्ता नापने में लगी हैं. कोलकाता से दिल्ली तक भाजपा को पछाड़ने में लगी ममता बनर्जी प्रधानमंत्री मोदी के 16 जुलाई की रैली का बदला, 21 जुलाई को चुकाने की तैयारी में हैं. उधर प्रधानमंत्री टीडीपी और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव का दंश झेल रहे हैं तो इधर टीएमसी संसद से लेकर राज्य तक अपना दम दिखाने में लगी है.
हाल ही में मिदनापुर में पीएम की रैली से नाखुश मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी के नेताओं से इस बार की रैली में रिकार्ड भीड़ जुटाने का निर्देश दिया है. पीएम ने इस रैली में ममता सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल में लोगों को पूजा तक करने की छूट नहीं है. इसके साथ ही ममता सरकार पर करारा हमला करते हुए पीएम ने कहा था कि सिंडिकेट की मर्ज़ी के बिना राज्य में कोई काम नहीं किया जा सकता है.
पीएम की रैली के 4 दिनों के भीतर ही राज्य में पांव पसार रही भाजपा को जवाब देने के लिए टीएमसी के नेता 21 जुलाई की रैली की तैयारियों में ज़ोर शोर से जुटे हैं. इसी रैली के ज़रिए मुख्मयमंत्री ममता बनर्जी न सिर्फ राज्य में भाजपा को टक्कर देने में पूरी ताकत झोंक रही हैं बल्कि दिल्ली की राजनैतिक बिसात पर भी तीसरे मोर्चे की मोहरों से भाजपा को चित्त करने की तैयारी भी कर रही हैं.
1993 में वाम मोर्चा की सरकार की फायरिंग में मारे गए 13 कार्यकर्ताओं की याद में हर साल की तरह इस साल भी टीएमसी 21 जुलाई को शहीद दिवस मनाने जा रही है. ये शहीद दिवस टीएमसी के लिए कुछ ख़ास रहने...
प्रधानमंत्री और भाजपा के चाणक्य अमित शाह एक तरफ पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए जीत का रास्ता तलाश रहे हैं तो दूसरी ओर ‘भाजपा मुक्त भारत’ की चाह में बंगाल की दीदी भी दिल्ली तक का रास्ता नापने में लगी हैं. कोलकाता से दिल्ली तक भाजपा को पछाड़ने में लगी ममता बनर्जी प्रधानमंत्री मोदी के 16 जुलाई की रैली का बदला, 21 जुलाई को चुकाने की तैयारी में हैं. उधर प्रधानमंत्री टीडीपी और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव का दंश झेल रहे हैं तो इधर टीएमसी संसद से लेकर राज्य तक अपना दम दिखाने में लगी है.
हाल ही में मिदनापुर में पीएम की रैली से नाखुश मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी के नेताओं से इस बार की रैली में रिकार्ड भीड़ जुटाने का निर्देश दिया है. पीएम ने इस रैली में ममता सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल में लोगों को पूजा तक करने की छूट नहीं है. इसके साथ ही ममता सरकार पर करारा हमला करते हुए पीएम ने कहा था कि सिंडिकेट की मर्ज़ी के बिना राज्य में कोई काम नहीं किया जा सकता है.
पीएम की रैली के 4 दिनों के भीतर ही राज्य में पांव पसार रही भाजपा को जवाब देने के लिए टीएमसी के नेता 21 जुलाई की रैली की तैयारियों में ज़ोर शोर से जुटे हैं. इसी रैली के ज़रिए मुख्मयमंत्री ममता बनर्जी न सिर्फ राज्य में भाजपा को टक्कर देने में पूरी ताकत झोंक रही हैं बल्कि दिल्ली की राजनैतिक बिसात पर भी तीसरे मोर्चे की मोहरों से भाजपा को चित्त करने की तैयारी भी कर रही हैं.
1993 में वाम मोर्चा की सरकार की फायरिंग में मारे गए 13 कार्यकर्ताओं की याद में हर साल की तरह इस साल भी टीएमसी 21 जुलाई को शहीद दिवस मनाने जा रही है. ये शहीद दिवस टीएमसी के लिए कुछ ख़ास रहने वाला है क्योंकि भाजपा के बढ़ते वर्चस्व को देखकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2019 के चुनाव का बिगुल भी इसी रैली के मंच से फूंकने वाली हैं. भाजपा को हराने के पार्टी के नेताओं ने अभी से एड़ी चोटी का ज़ोर लगाना शुरु कर दिया है. हाल ही में 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में दीदी के गढ़ में सेंध लगाने की तैयारी के साथ मिद्नापुर में रैली कर ममता सरकार को खूब आढ़े हाथों लिया. पीएम की रैली का जवाब देने के लिए टीएमसी ने मिद्नापुर के उसी मैदान में जल्द ही पीएम से बड़ी रैली करने की योजना बनायी है. इसको पहले कोलकाता के धर्मतल्ला को टीएमसी 25वें शहीद दिवस के बहाने सबसे बड़ी रैली का गवाह बनाने की तैयारी कर रही है.
पिछले साल इसी मंच से ‘भाजपा मुक्त भारत’ का नारा देने वाली ममता बनर्जी इस बार भाजपा को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रही है. इसके लिए काफी पहले से सोशल मीडिया पर भी टीएमसी प्रचार में जुटी है. फेसबुक पर ‘21 जुलाई’ नामक पेज भी बनाये गये हैं. सूत्रों की मानें तो इस रैली के मंच से ममता दूसरे दलों के कई नेताओं को भी अपने दल में शामिल करवा सकती हैं. तीसरे मोर्चे का सपना ममता भले ही कांग्रेस के साथ मिलकर देख रहीं हैं लेकिन राज्य में टीएमसी की जड़ों को मज़बूत करने के लिए कांग्रेस के नेताओं को भी अपनी पार्टी में शामिल करवाने पर ममता को गुरेज़ नहीं है.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के 4-5 विधायक और पत्रकार से भाजपा नेता बने चंदन मित्रा को भी टीएमसी में शामिल करनाने के लिए बातचीत चल रही है. फरक्का के कांग्रेस विधायक मैनुल हक ने कुछ दिन पहले ही मीडिया से साफ कह दिया था कि राज्य में भाजपा को टीएमसी ही टक्कर दे सकती है, इसलिए वे कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल होना चाहते हैं. हालांकी टीएमसी के नेता अभी इसपर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं.
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