चुनाव आयोग से बीजेपी ने पश्चिम बंगाल को अतिसंवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की मांग की है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की अगुवाई में आयोग पहुंचे बीजेपी नेताओं ने इसके पीछे बंगाल में होने वाली हिंसा की दलील दी है. बीजेपी की मांग में सभी बूथों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती भी शामिल है.
बीजेपी वैसे भी ममता बनर्जी की चुनौतियां लगातार बढ़ाये जा रही है. चार बार विधायक रहे टीएमसी नेता अर्जुन सिंह ताजा झटका हैं. इससे पहले बीजेपी मुकुल रॉय सहित ममता के दो सांसदों को भगवा पहना ही चुकी है.
खुद ममता बनर्जी भी मानने लगी हैं कि बीजेपी से टीएमसी को कड़ी चुनौती मिल रही है. उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए ममता बनर्जी ने माना था कि ये चुनाव मुश्किल हो रहा है.
अब तक मां, माटी और मानुष की राजनीति करती आ रहीं ममता बनर्जी ने इस बार उसमें ग्लैमर का तड़का बढ़ा दिया है. साथ ही महिलाओं पर भरोसा ज्यादा जताया है - और एक तिहाई मौजूदा सांसदों का टिकट भी काट दिया है.
महिलाओं और ग्लैमर पर भरोसा
पश्चिम बंगाल के लिए तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए ममता बनर्जी ने बताया कि 42 सीटों पर 40 फीसदी से ज्यादा महिलाएं चुनाव लड़ने जा रही हैं. ममता बनर्जी ने इसे गौरव का क्षण बताया. ये ममता बनर्जी की खास रणनीति है जिसके जरिये वो बीजेपी को बढ़त लेने से रोकने की कोशिश में हैं.
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा महिलाओं को पार्टी में 33 फीसदी सीटें देने की घोषणा के बाद ममता बनर्जी ही ऐसी नेता हैं जो इस मामले में आगे आयी हैं. नवीन पटनायक ने लोक सभा चुनाव के लिए बीजेडी उम्मीदवारों में महिलाओं को एक तिहाई टिकट देने का ऐलान कर रखा है. ओडिशा में लोक सभा की 21 सीटें हैं जिनमें महिलाओं के लिए सात सीटें सुरक्षित हो चुकी हैं.
ममता ने नवीन के कोटे के पीछे छोड़ते हुए 40 फीसदी से ज्यादा महिलाओं को टिकट दिया है - महिलाओं को टिकट देने में भी ममता ने ग्लैमर का पूरा ख्याल रखा है.
2009 में टीएमसी...
चुनाव आयोग से बीजेपी ने पश्चिम बंगाल को अतिसंवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की मांग की है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की अगुवाई में आयोग पहुंचे बीजेपी नेताओं ने इसके पीछे बंगाल में होने वाली हिंसा की दलील दी है. बीजेपी की मांग में सभी बूथों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती भी शामिल है.
बीजेपी वैसे भी ममता बनर्जी की चुनौतियां लगातार बढ़ाये जा रही है. चार बार विधायक रहे टीएमसी नेता अर्जुन सिंह ताजा झटका हैं. इससे पहले बीजेपी मुकुल रॉय सहित ममता के दो सांसदों को भगवा पहना ही चुकी है.
खुद ममता बनर्जी भी मानने लगी हैं कि बीजेपी से टीएमसी को कड़ी चुनौती मिल रही है. उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए ममता बनर्जी ने माना था कि ये चुनाव मुश्किल हो रहा है.
अब तक मां, माटी और मानुष की राजनीति करती आ रहीं ममता बनर्जी ने इस बार उसमें ग्लैमर का तड़का बढ़ा दिया है. साथ ही महिलाओं पर भरोसा ज्यादा जताया है - और एक तिहाई मौजूदा सांसदों का टिकट भी काट दिया है.
महिलाओं और ग्लैमर पर भरोसा
पश्चिम बंगाल के लिए तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए ममता बनर्जी ने बताया कि 42 सीटों पर 40 फीसदी से ज्यादा महिलाएं चुनाव लड़ने जा रही हैं. ममता बनर्जी ने इसे गौरव का क्षण बताया. ये ममता बनर्जी की खास रणनीति है जिसके जरिये वो बीजेपी को बढ़त लेने से रोकने की कोशिश में हैं.
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा महिलाओं को पार्टी में 33 फीसदी सीटें देने की घोषणा के बाद ममता बनर्जी ही ऐसी नेता हैं जो इस मामले में आगे आयी हैं. नवीन पटनायक ने लोक सभा चुनाव के लिए बीजेडी उम्मीदवारों में महिलाओं को एक तिहाई टिकट देने का ऐलान कर रखा है. ओडिशा में लोक सभा की 21 सीटें हैं जिनमें महिलाओं के लिए सात सीटें सुरक्षित हो चुकी हैं.
ममता ने नवीन के कोटे के पीछे छोड़ते हुए 40 फीसदी से ज्यादा महिलाओं को टिकट दिया है - महिलाओं को टिकट देने में भी ममता ने ग्लैमर का पूरा ख्याल रखा है.
2009 में टीएमसी के पास लोक सभा की 19 सीटें थीं. 2014 में फिल्मी सितारों को मैदान में उतार कर ममता बनर्जी ने पार्टी सांसदों की संख्या 19 से 34 पहुंचा दी. मोदी लहर में काम आये ग्लैमर के नुस्खे को ममता बनर्जी इस बार भी आजमाने जा रही हैं.
ममता बनर्जी ने बांग्ला फिल्मों की दो बड़ी एक्टर मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां को मैदान में उतार कर बहुतों को चौंकाया है. ममता का ये कदम बीजेपी के लिए तो चैलेंज है ही टीएमसी के भीतर भी असंतोष की वजह बना है. टीएमसी नेताओं को दरकिनार कर ग्लैमर को मिली पैराशूट एंट्री कार्यकर्ताओं को सुहा नहीं रही है. टीएमसी नेताओं का कहना है कि ग्लैमर के चलते ऐसे उम्मीदवार चुनाव तो जीत जाते हैं लेकिन इलाके में नजर नहीं आते जिससे लोगों की समस्याएं बनी रहती हैं और लोग दूर जाने लगते हैं.
गुजरे जमाने की अदाकारा मुनमुन सेन को ममता बनर्जी ने इस बार भी टिकट दिया है. मुनमुन सेन इस बार आसनसोल सीट से चुनाव लड़ेंगी जहां से केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो बीजेपी सांसद हैं. इस बार भी बीजेपी के उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो ही होंगे अभी तय नहीं है. जैसे भी हो बीजेपी ये सीट गंवाना तो कतई नहीं चाहेगी.
सत्ता विरोधी लहर से मुकाबला
ममता बनर्जी ने मुनमुन सेन को टिकट दोबारा दिया तो है लेकिन उनकी सीट बदल दी है - और इसकी वजह सत्ता विरोधी फैक्टर के प्रभाव की आशंका ही लगती है.
मुनमुन सेन की जगह बांकुड़ा से ममता बनर्जी ने सबसे सीनियर नेता सुब्रत मुखर्जी को टिकट दिया है. सुब्रत मुखर्जी फिलहाल ममता बनर्जी सरकार में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री हैं. ममता का ये कदम फिल्मी सितारों को टिकट दिये जाने से होने वाले नुकसान की बातों पर मुहर लगा रहा है.
सत्ता विरोधी फैक्टर से मुकाबले के लिए ममता बनर्जी ने या तो फ्रेश चेहरों पर भरोसा जताया है या फिर उम्मीदवारों के चुनाव क्षेत्र बदल दिये हैं. टीएमसी की लिस्ट में 17 उम्मीदवार ऐसे हैं या तो नयी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं या फिर पहली बार चुनाव क्षेत्र में उतरने जा रहे हैं.
इसी क्रम में ममता बनर्जी ने 34 में एक तिहाई सांसदों के टिकट भी काट दिये हैं. 2014 में टीएमसी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले 10 सांसद इस बार चुनाव नहीं लड़ने जा रहे हैं. दो सांसद तो टीएमसी छोड़ कर बीजेपी में चले गये हैं. मुकुल रॉय के बाद बीजेपी ज्वाइन करने वाले दूसरे सांसद हैं अनुपम हाजरा जिन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
जिन आठ सांसदों को टिकट नहीं मिला है, उनके बारे में ममता बनर्जी का कहना है कि उन्हें पार्टी के काम में लगाया जाएगा. दो सांसद तो ऐसे हैं जिनमें एक निजी वजहों से तो दूसरे को हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी से अनुमति नहीं मिलने के कारण चुनाव लड़ने से मना कर दिया है.
2016 के विधानसभा चुनावों के ऐन पहले ममता बनर्जी को भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझना पड़ा था, लेकिन उन्होंने मजबूती से उनका प्रतिकार किया और अपने बूते उम्मीदवारों को जिताया - सत्ता में दोबारा तो लौटीं ही. ममता बनर्जी काफी समय से विपक्ष की राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका में रही हैं - और प्रधानमंत्री पद की एक दावेदार भी.
ममता बनर्जी के लिए सबसे जरूरी है कि वो राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतें. वैसे ममता ने दूसरे राज्यों में भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है - लेकिन बाकी जगह बंगाल वाली बात कहां? ममता की कोशिश यही है कि लोक सभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बाद कम से कम तीसरे स्थान पर जरूर रहें ताकि विपक्षी खेमे की राजनीति में उनका दबदबा बना रहे.
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