प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'नीच' और 'असभ्य' बताने की सजा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार मणिशंकर अय्यर को मिल गई है. और ये सजा खुद कांग्रेस ने उन्हें दी है. आनन फानन में उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है. लेकिन, कांग्रेस यह कार्रवाई करके भले राहत की सांस ले कि इस बयान का जो असर गुजरात में होना था, वह हो चुका है. अब तक के प्रचार से खुश कांग्रेस का पिछले दो दिनों में उसके 'अपनों' ने ही खेल बिगाड़ा है. पहले कपिल सिब्बल की राम मंदिर केस में पैरवी. फिर मणिशंकर.
वैसे मणिशंकर हमेशा से ही अपने तीखे और टेढ़े बयानों के लिए ख्यात रहे हैं. कांग्रेस विरोधियों पर हमला करते-करते वे कई बार बयानबाजी के नए नियम गढ़ देते हैं. वे जब किसी को बेइज्जत करने पर आते हैं तो निचलेपन की सारी सीमाएं तोड़ देते हैं. तीखी भाषा में उनकी बॉडी लैंग्वेज और तड़का लगा देती है. जब वे प्रधानमंत्री को 'नीच' कहते हैं तो उस वाक्य में इस विवादास्पद शब्द पर खासा जोर डालते हैं. किसी भाषा से अनजान व्यक्ति के बस की यह बात नहीं है. जैसा कि वे सफाई देते हुए कह रहे थे.
अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस मणिशंकर अय्यर से ज्यादा समय तक किनारा कर सकती है? ऐसा सवाल इसलिए है, क्योंकि मणिशंकर अय्यर ने इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान बतौर डिप्लोमैट कई अहम जिम्मेदारियां निभाई थीं. उनकी कांग्रेस से नजदीकी अंदाजा इसी से समझा जा सकता है कि राजीव गांधी के विशेष आग्रह पर उन्होंने IFS की नौकरी छोड़ी और कांग्रेस ज्वाइन की. उन्हें मीडिया से जुड़ी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वे राजीव गांधी के भरोसेमंद नेताओं में माने जाते थे. और यही कारण रहा कि सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें पार्टी में लगातार अहमियत मिलती रही. ऐसे में सवाल यही कि क्या अपने पिता के नजदीकी नेता से राहुल गांधी किनारा कर सकते हैं ?
मणिशंकर अय्यर एक बड़े नेता हैं उन्हें सोच समझ कर बोलना चाहिए था
खैर ताजा बवाल इसलिए मचा है कि समाचार एजेंसी ANI के एक सवाल के जवाब में, मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जबरदस्त हमला बोलते हुए कहा है कि,' ‘मुझको लगता है कि यह आदमी बहुत ही नीच किस्म का आदमी है. इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौकों पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है?' आपको बताते चलें कि कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी द्वारा डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के उद्घाटन के दौरान दिए गए बयान के संदर्भ में यह बात कही.
बताया जा रहा है कि पीएम मोदी ने बीते दिनों डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के उद्घाटन के दौरान अपने भाषण में नाम लिए बिना ही कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था. और कहा था कि एक परिवार के फायदे के लिए डॉ. साहब के योगदानों को भुलाने की कोशिश की गई थी. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ये भी कहा था कि, 'बाबा साहब अंबेडकर के योगदान को भूलने की और खत्म करने की कई नाकाम कोशिशें की गईं मगर आज भी लोगों के दिमाग पर अंबेडकर जी का प्रभाव है.' अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस और राहुल गांधी का नाम जाहिर किये बिना तंज किया था कि एक परिवार को आगे ले जाने के लिए अंबेडकर के योगदान को दबाने का प्रयास किया गया, लेकिन लोगों के दिमाग में बाबा साहब का प्रभाव काफी ज्यादा है, इसलिए ऐसा हो नहीं सका.
खैर अपने इस बेतुके बयान पर विपक्ष के अलावा अपनी ही पार्टी से घेरे जा रहे मणिशंकर अय्यर को जल्द ही अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने माफ़ी मांगते हुए अपनी सफाई दे दी है. उन्होंने कहा है कि,' उनका मतलब 'नीच जाति' से नहीं था और उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया है और इसके लिए वो माफ़ी मांगते हैं. अपना पक्ष रखते हुए मणिशंकर अय्यर ने ये भी कहा है कि उन्हें हिन्दी नहीं आती और ये सब नीच के अंग्रेजी शब्द का हिन्दी में अनुवाद करने के कारण हुआ है.
बहरहाल मणिशंकर अय्यर के इस बयान को बड़ी ही गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिशंकर अय्यर और पूरी कांग्रेस पार्टी पर अपना पलटवार किया है और कहा है कि "कांग्रेस वाले उन्हें गधा, नीच गंदी नाली के कीड़े बोलते हैं. उन्हें गुजरात की जनता सबक सिखाएगी." साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने ये भी कहा कि, 'भले ही नीची जाति का हूं, लेकिन काम ऊंचे किए हैं और ऊंच-नीच की बातें उनके संस्कार में नहीं हैं. ये सारी बातें कांग्रेस को ही मुबारक हों.अपनी रैली में मोदी ने दावा किया है कि 'गुजरात के बेटे' के लिए जिस तरह कांग्रेस ने नीच शब्द का इस्तेमाल किया है उसका जवाब गुजरात की जनता बीजेपी को वोट देकर देगी.
गौरतलब है कि मणिशंकर अय्यर के इस बयान को कांग्रेस ने बहुत ही गंभीरता से लेते हुए उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
प्रधानमंत्री मोदी पर मणिशंकर अय्यर की इस टिप्पणी का असर सियासी गलियारों के अलावा सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर भी है. ट्विटर पर भी मणिशंकर अय्यर का आलोचना का शिकार हो रहे हैं जहां लोगों का ये मत है कि मणिशंकर अय्यर को कुछ भी बोलने से पहले दो बार सोचना चाहिए.
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