10 ड्रम पानी भर लेने के बाद बुआ अब बोली- "टोंटी से तो पानी आया ही नहीं!" ये वो बाते हैं जो लोग सुश्री मायावती के लिए कह रहे हैं. लोग नाराज हैं क्योंकि मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए सपा से किया हुआ गठबंधन तोड़ दिया है. हालांकि मायावती की मानें तो वे कह रही हैं कि गठबंधन बरकरार है सिर्फ विधानसभा उपचुनाव में बसपा अकेल चुनाव लड़ेगी. लेकिन मायावती की बातों में बहुत सारे लेकिन, किंतु और परंतु साथ हैं. और इन्हीं किंतु-परंतु ने प्रधानमंत्री मोदी की उस बात को सच कर दिया है कि ये गठबंधन नहीं, बल्कि महामिलावट है, जो ज्यादा दिनों तक टिकेगी नहीं.
सोमवार को बसपा ने एक बैठक में सपा से किनारा कर लेने का निर्णय लिया. और अकेले ही यूपी उपचुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन मायावती ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके अपनी बात साफ-साफ समझाने की कोशिश की है कि आखिर उन्हें ये निर्णय क्यों लेना पड़ा.
मायावती के दिल की बात किंतु परंतु के साथ...
मायावती ने ट्विटर के जरिए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है. मायावती कह रही हैं कि पार्टी की बैठकों की अपनी व्यस्तता के कारण मैं मीडिया की खबरों का संज्ञान नही ले पाई. लेकिन जब मैंने कुछ टीवी चैनलों में यह देखा कि मेरे हवाले से गठबंधन के संबंध में मीडिया में काफी गलत व भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं तो मैंने पार्टी बैठक में लिए गए अहम फैसलों पर अपनी बात को स्वयं ही मीडिया के सामने रखना बेहतर समझा और जो कुछ मैंने पार्टी बैठक में कहा था वही बात मीडिया के सामने भी कह रही हूं.
'अखिलेश और डिंपल अच्छे हैं'
मायावती कहती हैं- इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब से बीएसपी व समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ...
10 ड्रम पानी भर लेने के बाद बुआ अब बोली- "टोंटी से तो पानी आया ही नहीं!" ये वो बाते हैं जो लोग सुश्री मायावती के लिए कह रहे हैं. लोग नाराज हैं क्योंकि मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए सपा से किया हुआ गठबंधन तोड़ दिया है. हालांकि मायावती की मानें तो वे कह रही हैं कि गठबंधन बरकरार है सिर्फ विधानसभा उपचुनाव में बसपा अकेल चुनाव लड़ेगी. लेकिन मायावती की बातों में बहुत सारे लेकिन, किंतु और परंतु साथ हैं. और इन्हीं किंतु-परंतु ने प्रधानमंत्री मोदी की उस बात को सच कर दिया है कि ये गठबंधन नहीं, बल्कि महामिलावट है, जो ज्यादा दिनों तक टिकेगी नहीं.
सोमवार को बसपा ने एक बैठक में सपा से किनारा कर लेने का निर्णय लिया. और अकेले ही यूपी उपचुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन मायावती ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके अपनी बात साफ-साफ समझाने की कोशिश की है कि आखिर उन्हें ये निर्णय क्यों लेना पड़ा.
मायावती के दिल की बात किंतु परंतु के साथ...
मायावती ने ट्विटर के जरिए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है. मायावती कह रही हैं कि पार्टी की बैठकों की अपनी व्यस्तता के कारण मैं मीडिया की खबरों का संज्ञान नही ले पाई. लेकिन जब मैंने कुछ टीवी चैनलों में यह देखा कि मेरे हवाले से गठबंधन के संबंध में मीडिया में काफी गलत व भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं तो मैंने पार्टी बैठक में लिए गए अहम फैसलों पर अपनी बात को स्वयं ही मीडिया के सामने रखना बेहतर समझा और जो कुछ मैंने पार्टी बैठक में कहा था वही बात मीडिया के सामने भी कह रही हूं.
'अखिलेश और डिंपल अच्छे हैं'
मायावती कहती हैं- इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब से बीएसपी व समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ है तब से खासकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव व उनकी पत्नी श्रीमती डिंपल यादव भी मुझे पूरे दिल से व पूरे आदर-सम्मान से अपना बड़ा व आदर्श मानकर मेरी बहुत इज्जत करते हैं. और मैंने भी उनको अपने सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाकर व्यापक देश एवं जनहित में तथा अपने बड़े होने के नाते भी उसी हिसाब से उनको अपने खुद के परिवार की तरह ही पूरा आदर-सम्मान भी दिया है. और हमारे ये रिश्ते केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण ही नहीं बने हैं बल्कि ये रिश्ते आगे भी हर सुख-दुख की घड़ी में हमेशा ऐसे ही बने रहेंगे. अर्थात- हमारे यह रिश्ते अब कभी भी खत्म होने वाले नहीं हैं, ऐसी मेरी तरफ से हमेशा पूरी-पूरी कोशिश बनी रहेगी.
'यादवों ने सपा से किया भितरघात'
लेकिन वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक विवशताओं को भी पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यह भी सभी जानते हैं और इसलिए अभी संपन्न हुए लोकसभा आमचुनाव के संबंध में जो परिणाम खासकर उत्तर प्रदेश में उभर कर आए हैं, उसपर बड़े दुख के साथ ये कहना पड़ता है कि इस चुनाव में सपा का बेस वोट अर्थात यादव समाज अपने यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा के साथ पूरी मजबूती के साथ टिका हुआ नहीं रह सका है. अर्थात अंदर-अंदर न जाने किस बात की नाराजगी के तहत भितरघात किया है और सपा की खासकर यादव बाहुल्य सीटों पर भी, सपा के मजबूत उम्मीदवारों को भी हरा दिया है. तो ऐसे में अन्य सीटों के साथ-साथ खासकर कन्नौज में श्रीमती डिंपल यादव, बदायूं में श्री धर्मेंद्र यादव व फिरोजाबाद में श्री रामगोपाल यादव के बेटे का भी हार जाना तो ऐसा है जो अब हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है.
'ईवीएम तो दोषी है ही'
जैसा कि हर चुनाव के बार हार का ठीकरा EVM के सिर फोड़ा जाता है, सो इस बार भी EVM को बीच में लाते हुए मायावती कहती हैं- हालांकि उत्तर प्रदेश में जन अपेक्षा के विपरीत आए चुनाव परिणाम में ईवीएम की भी भूमिका काफी कुछ खराब रही है, यह भी किसी से छिपा नहीं है किंतु इसके बावजूद भी बीएसपी का बेस वोट व सपा का अपना बेस वोट जुड़ने के बाद फिर इन सबको कतई भी हारना नहीं चाहिए था. इनकी हार का हमारी पार्टी को भी बहुत ज्यादा दुख है. और हमें ये आगे के लिए भी सोचने पर काफी कुछ मजबूर करता है.
'यादव सपा के नहीं हुए तो बसपा के क्या होते'
मायावती ने साफ साफ शब्दों में ये तो नहीं कहा कि हार के लिए सपा जिम्मेदार है लेकिन आशय कुछ ऐसा ही था. मायावती ने कहा कि- ऐसी स्थिति में यह आकलन किया जा सकता है कि जब सपा का बेस वोट खुद सपा की खास सीटों पर ही छिटक गया है तो फिर इन्होंने बीएसपी को अपना वोट कैसे दिया होगा? यहां यह भी सोचने की बात है और इसी खास संदर्भ में ही दिनांक 3 जून को दिल्ली बीएसपी केन्द्रीय कार्यालय में उत्तर प्रदेश के पार्टी संगठन के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों एवें जनप्रतिनिधियों की अहम बैठक में इन चुनाव परिणामों की काफी गहन समीक्षा की गई. और समीक्षा में यह पाया गया कि बीएसपी जिस प्रकार से परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के मिशन पर चलने वाली एक कर्मठ, अनुशासित व कैडर आधारित पार्टी है और उसी मानसिकता के तहत सपा से गठबंधन करके बड़े मानवतावादी लक्ष्य की प्राप्ति को लेकर यह चुनाव लड़ा गया था.
'सपा को सुधरने और बसपा से सीखने की समझाइश'
मायावती ने इस प्रेस विज्ञप्ति के जरिए बसपा को सपा से बेहतर भी बता दिया और ये भी बता दिया कि सपा ने एक अच्छा मौका गंवा दिया. मायावती ने कहा कि - दुख की बात यह है कि इस मकसद में भी हमें कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है. जिसके संबंध में सपा के काफी लोगों में भी काफी ज्यादा सुधार लाने की जरूरत है. तथा उन्हें अपने आप में, बीएसपी के कैडर की तरह ही, किसी भी हाल में तैयार होने के साथ-साथ बीजेपी की घोर जातिवादी, साम्प्रदायिक व जनविरोधी नीतियों से प्रदेश, देश व समाज को मुक्ति दिलाने के लिए काफी कठोर संघर्ष करते रहने की सख्त जरूरत है जिसका एक अच्छा मौका सपा के लोगों ने इस बार चुनाव में गंवा दिया है.
'ब्रेकअप... फिलहाल उपुनाव तक'
मायावती कहती हैं कि- अब आगे इन्हें इसी हिसाब से काफी तैयारी करने की जरूरत भी है और यदि मुझे लगेगा कि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों को करने के साथ-साथ अपने लोगों को मिशनरी बनाने में कामयाब हो जाते हैं, तो हम लोग फिर आगे भी जरूर मिलकर साथ में चलेंगे अर्थात अभी हमारा कोई ब्रेकअप नहीं हुआ है. और अगर वे किसी कारणवश इस काम में सफल नहीं हो पाते हैं, तो फिर हम लोगों का अकेले ही चलना ज्यादा बेहतर होगा. इसीलिए वर्तमान स्थिति में अब हमने उत्तर प्रदेश में यहां कुछ सीटों पर होने वाले उपचुनावों में फिलहाल अकेले ही यह चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.
मायावती के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने मायावती के लिए काफी कुछ कहा.
मायावती के इस फैसले को लोगों ने गलत राजनीति कहा.
मायावती के लिए कहा गया कि काम निकल गया तो उन्होंने सपा का साथ छोड़ दिया.
मायावती के इस फैसले को लोगों ने गलत फैसला कहा.
लोगों ने तो अखिलेश यादव को ठगी का शिकार बता दिया
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर प्रदेश से 9 भाजपा विधायकों और सपा, बसपा के एक एक विधायक के सांसद बनने के बाद खाली होने वाली 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संभावित है. जिनपर मायावती ने सपा से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का मन बनाया है. ये 11 सीटों जहां उपचुनाव होना है वो हैं- गंगोह (सहारनपुर), टूंडला, गोविंदनगर (कानपुर), लखनऊ कैंट, प्रतापगढ़, मानिकपुर चित्रकूट, रामपुर, जैदपुर(सुरक्षित) (बाराबंकी), बलहा(सुरक्षित), बहराइच, इगलास (अलीगढ़), जलालपुर (अंबेडकरनगर).
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