एकता की बातों के बीच पूर्वोत्तर यानी नार्थ ईस्ट (North East) को लेकर हमारा क्या सोचना है? न हमें बताने की ज़रूरत है. न आपको ही कुछ समझने की. सब खुली किताब जैसा है. नार्थ ईस्ट के लोगों को तमाम तरह की संज्ञा और विशेषणों से नवाजा जाता है. उनके खान पान की आदतों या फिर लुक्स के चलते उन्हें अपने से जुदा बताया जाता है. कहने को तो इन बातों को खारिज करते हुए या फिर इनका विरोध करते हुए तमाम तरह के तर्क दिए जा सकते हैं मगर जो सत्य है वो बरकरार रहेगा. बात नार्थ ईस्ट के लोगों के अलग होने के सिलसिले में शुरू हुई है ऐसे में जो मिज़ोरम (Mizoram) के एक एमएलए (MLA) ने कर दिया है उसके बाद ये साबित भी हो जाता है कि नार्थ ईस्ट के लोग हमसे या फिर हमारे लोगों से काफी अलग हैं. मिज़ोरम में एक विधायक ने सेवाभाव की मिसाल पेश की है. मिजोरम के विधायक जेडआर थियामसंगा (ZR Thiamsanga) ने एक गर्भवती महिला (Pregnant Woman) की इमरजेंसी सर्जरी (Emergency Surgery) करके डिलीवरी में मदद की है.
बताया जा रहा है कि जिस वक्त ये मामला हुआ विधायक जेड आर थियामसंगा भूकंप प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर रहे थे. विधायक जी के विषय में एक दिलचस्प बात ये भी है कि वो पेशे से डॉक्टर हैं और उन्हें प्रसूति और स्त्री रोगों में विशेषज्ञता हासिल है. विधायक थियामसंगा एक डॉक्टर के रूप में ली गयी अपनी शपथ को कितना सीरियसली लेते हैं? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, जब भी वो कहीं दौरे पर जाते हैं तो साथ में अपना स्टेथोस्कोप रखना नहीं भूलते.
ऐसा करने के पीछे थियामसंगा का यही मानना है कि आपात स्थिति में कोई इलाज से महरूम न रहे. साथ ही उस अवस्था में भी वो लोगों की...
एकता की बातों के बीच पूर्वोत्तर यानी नार्थ ईस्ट (North East) को लेकर हमारा क्या सोचना है? न हमें बताने की ज़रूरत है. न आपको ही कुछ समझने की. सब खुली किताब जैसा है. नार्थ ईस्ट के लोगों को तमाम तरह की संज्ञा और विशेषणों से नवाजा जाता है. उनके खान पान की आदतों या फिर लुक्स के चलते उन्हें अपने से जुदा बताया जाता है. कहने को तो इन बातों को खारिज करते हुए या फिर इनका विरोध करते हुए तमाम तरह के तर्क दिए जा सकते हैं मगर जो सत्य है वो बरकरार रहेगा. बात नार्थ ईस्ट के लोगों के अलग होने के सिलसिले में शुरू हुई है ऐसे में जो मिज़ोरम (Mizoram) के एक एमएलए (MLA) ने कर दिया है उसके बाद ये साबित भी हो जाता है कि नार्थ ईस्ट के लोग हमसे या फिर हमारे लोगों से काफी अलग हैं. मिज़ोरम में एक विधायक ने सेवाभाव की मिसाल पेश की है. मिजोरम के विधायक जेडआर थियामसंगा (ZR Thiamsanga) ने एक गर्भवती महिला (Pregnant Woman) की इमरजेंसी सर्जरी (Emergency Surgery) करके डिलीवरी में मदद की है.
बताया जा रहा है कि जिस वक्त ये मामला हुआ विधायक जेड आर थियामसंगा भूकंप प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर रहे थे. विधायक जी के विषय में एक दिलचस्प बात ये भी है कि वो पेशे से डॉक्टर हैं और उन्हें प्रसूति और स्त्री रोगों में विशेषज्ञता हासिल है. विधायक थियामसंगा एक डॉक्टर के रूप में ली गयी अपनी शपथ को कितना सीरियसली लेते हैं? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, जब भी वो कहीं दौरे पर जाते हैं तो साथ में अपना स्टेथोस्कोप रखना नहीं भूलते.
ऐसा करने के पीछे थियामसंगा का यही मानना है कि आपात स्थिति में कोई इलाज से महरूम न रहे. साथ ही उस अवस्था में भी वो लोगों की मदद कर सकें. बात डिलीवरी कराने की हुई है तो बताना जरूरी है कि विधायक जेड आर थियामसंगा, म्यांमार सीमा के निकट अपने विधानसभा क्षेत्र चम्फाई का दौरा कर रहे थे. इलाका बुरी तरह से भूकंप की चपेट में आया है और वहां पर राहत और बचाव कार्य जारी है. कहा जा रहा है कि विधायक कोविड - 19 की स्थिति और हाल में ही आए भूकंप का जायजा लेने मौके पर पहुंचे थे.
एक बीमार को सही समय पर इलाज देने को बेहद साधारण सी घटना मानने वाले थियामसंगा ने कहा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में आने वाले नगुर गांव की रहनेवाली एक महिला अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने वाली थी. महिला को काफी रक्तस्राव हो रहा था और उसकी स्थिति नाजुक थी. थियामसंगा के अनुसार चम्फाई जिले के चिकित्सा अधिकारी स्वास्थ्य कारणों की वजह से छुट्टी पर थे और महिला 200 किलोमीटर दूर आइजोल तक जाने की स्थिति में नहीं थी.
जैसे ही उन्हें इस बात की जानकारी मिली वह तत्काल अस्पताल पहुंचे और वहां आपात सर्जरी करके प्रसव में महिला की मदद की. फ़िलहाल मां और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं. जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं अपनी पीठ स्वयं थपथपाने के बजाए उन्होंने इसे एक बेहद ही साधारण घटना माना है और कहा हैकि जरूरतमंदों की मदद करना उनका कर्तव्य है.
गौरतलब है कि इसी साल विधायक तक चर्चा में आए थे जब जून में भारत-म्यामां सीमा की रक्षा में तैनात रहनेवाले एक बीमार सुरक्षाकर्मी का इलाज करने के लिए वह नदी को पार करने के बाद कई किलोमीटर तक पैदल चलकर मौके पर पहुंचे थे. विधायक जेड आर थियामसंगा के विषय में बताया जाता है कि उन्होंने 2018 में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. तब वो मिजो नेशनल फ्रंट के टिकट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन विधायक टीटी जोथानसंगा को हराया था.
हाल फिलहाल में थियामसंगा राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष भी हैं और जैसे ही ये मामला सामने आया लोगों ने उनकी तारीफों के पुल बढ़ने शुरू कर दिए हैं.
सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम लोग हैं जिन्होंने कहा है कि विधायक ने अपने काम से बताया है कि वो जनप्रतिनिधि बाद में हैं पहले एक डॉक्टर हैं. उन्होंने जो किया है वही एक डॉक्टर का धर्म है.
अब जबकि हम थियामसंगा को ये सब करते देख चुके हैं. तो सवाल ये है कि अगर हमारे आस पास ऐसा कुछ होता और हमारा कोई विधायक, डॉक्टर होता तो क्या वो भी ऐसा ही करता? अच्छा बनने या अपने को बड़ा साबित करने के लिए जवाब सकता है मगर जो सच है वो ये है कि हमारे विधायक जो अगर डॉक्टर भी होते तो शायद ही कभी ऐसा करते।
बात एकदम सीधी और साफ़ है. हमारे विधायक इसी टशन में रहते कि वो नेता हैं. उनके पास और भी कई काम हैं वो क्यों ऐसा करें. अब चूंकि ये मामला हमारे सामने आ चुका है तो साफ़ है कि थियामसंगा ने हमारे नेताओं को भी बड़ा संदेश दिया है और बताया है कि हालात चाहे जैसे भी क्यों न हों, अगर व्यक्ति डॉक्टर है तो कभी भी उसे अपना फर्ज नहीं भूलना चाहिए.
खैर इस मामले में जैसा बर्ताव डॉक्टर से विधायक बने थियामसंगा का रहा उन्होंने बता दिया है कि भले ही नॉर्थ ईस्ट के लोग अलग न हों लेकिन विधायक ज़रूर अलग हैं,
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