पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कैबिनेट विस्तार में जिन नए चेहरों को शमिल करने का फैसला किया हैं उनको मंत्रिमंडल में जगह देकर बीजेपी ने दूर की कौड़ी फेंकी है. अगले साल यूपी समेत 6 राज्यो के विधानसभा चुनाव होने है और इस विस्तार को इन्हीं चुनावों को ध्यान में रखते हुए नए चेहरों को जगह दी गई है. लिहाजा इस बात पर क्या सोचना कि इस विस्तार में किस मंत्री का कद घट गया या किसका कद बढ़ गया. इस विस्तार में जानिए क्या है मोदी और शाह की जोड़ी की अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की योजना.
नरेंद्र मोदी और अमित शाह |
एस एस अहलूवालिया
अहलूवालिया को मंत्रिमंडल में शामिल करने के पीछे पीएम मोदी और अमित शाह की रणनीति पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर है और एक अहलूवालिया पार्टी का सिख चेहरा हैं. हालांकि अहलूवालिया मूल रूप से बिहार के रहने वाले है और पश्चिम बंगाल की दर्जलिंग सीट से सांसद हैं. पंजाब के चुनाव को ही ध्यान में रखकर पीएम मोदी ने नवजोत सिंह सिंधु को राज्यसभा के लिए मनोनीति किया था. सूत्रो के मुताबिक पीएम मोदी एस एस अहलूवालिया का इस्तेमाल संसदीय कार्यमंत्री के रूप में करेंगे.
रामदास आठवले |
रामदास आठवले
पीएम मोदी और अमित शाह ने महाराष्ट्र के दलित नेता रामदास आठवले को भी...
पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कैबिनेट विस्तार में जिन नए चेहरों को शमिल करने का फैसला किया हैं उनको मंत्रिमंडल में जगह देकर बीजेपी ने दूर की कौड़ी फेंकी है. अगले साल यूपी समेत 6 राज्यो के विधानसभा चुनाव होने है और इस विस्तार को इन्हीं चुनावों को ध्यान में रखते हुए नए चेहरों को जगह दी गई है. लिहाजा इस बात पर क्या सोचना कि इस विस्तार में किस मंत्री का कद घट गया या किसका कद बढ़ गया. इस विस्तार में जानिए क्या है मोदी और शाह की जोड़ी की अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की योजना.
नरेंद्र मोदी और अमित शाह |
एस एस अहलूवालिया
अहलूवालिया को मंत्रिमंडल में शामिल करने के पीछे पीएम मोदी और अमित शाह की रणनीति पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर है और एक अहलूवालिया पार्टी का सिख चेहरा हैं. हालांकि अहलूवालिया मूल रूप से बिहार के रहने वाले है और पश्चिम बंगाल की दर्जलिंग सीट से सांसद हैं. पंजाब के चुनाव को ही ध्यान में रखकर पीएम मोदी ने नवजोत सिंह सिंधु को राज्यसभा के लिए मनोनीति किया था. सूत्रो के मुताबिक पीएम मोदी एस एस अहलूवालिया का इस्तेमाल संसदीय कार्यमंत्री के रूप में करेंगे.
रामदास आठवले |
रामदास आठवले
पीएम मोदी और अमित शाह ने महाराष्ट्र के दलित नेता रामदास आठवले को भी मंत्रिमंडल में जगह देकर बीएमसी चुनाव से लेकर यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा कदम आगे बढ़ाया है. मोदी और अमित शाह की जोड़ी को लगता है की बीएमसी चुनाव में अगर शिवसेना के बिना चुनाव जीतने की नौबत आती है तो रामदास आठवले आरपीआई के वोट बैंक के साथ बेहद अहम है. शाह की कोशिश बीएमसी चुनाव के साथ-साथ आठवले को यूपी चुनावों में भी मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए इस्तेमाल करेंगे.
अजय टम्टा
2017 के शुरुआत में ही यूपी और पंजाब के साथ उत्तराखंड के भी विधानसभा चुनाव है इस लिए मोदी और शाह की जोड़ी ने राज्य से दलित सांसद अजय टम्टा को मंत्रिमंडल में शामिल किया है. अजय टम्टा की लॉटरी इस लिए भी निकली क्योंकि बीसी खंडूरी और भगत सिंह कोशियारी कि उम्र 75 साल के ऊपर हो चुकी है और रमेश पोखरियाल निशंक पर कई आरोप होने होने के कारण उनके नाम पर चर्चा शुरु होने से पहले ही उनके बंद बस्ते में दाल दिया गया. अजय टम्टा के युवा होने कारण भी उनको विस्तार में अहमियत दी गई है.
2014 में सरकार बनने से पहले पीएम मोदी ने " मैक्सिमम गवर्नेंस और मिनिमम गवर्मेंट "का नारा दिया था. अपने इस कैबिनेट विस्तार से तो लगता है शायद पीएम मोदी अब इस नारे को भूल गए है. कभी किसी दार्शनिक राजनेता ने व्यंग करते हुए कहा था वो नेता इसलिए किया हुआ वादा वो निभाए इसका दायित्व तो उन पर बनता नहीं है.
अनुप्रिया सिंह पटेल |
अनुप्रिया सिंह पटेल
अनुप्रिया सिंह पटेल उत्तर प्रदेश के कद्दावर कुर्मी नेता रहे सोने लाल पटेल की बेटी हैं. लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी के साथ चुनाव लड़ते हुए पटेल की पार्टी अपना दल ने दो सीट पर जीत दर्ज की थी. हाल में इलाहाबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान पटेल ने पीएम मोदी की रैली में मंच पर जगह बनाई जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि अनुप्रिया को कैबिनेट में शामिल कर मोदी सरकार राज्य में जल्द होने वाले चुनावों में कुर्मी वोट पर निशाना साधने का काम करेगी.
एम जे अकबर |
एम जे अकबर
एमजे एकबर देश के जाने माने पत्रकार हैं और बीजेपी के सक्रिय सदस्य हैं. हाल में मोदी से बढ़ी नजदीकी के चलते अकबर को पार्टी से राज्यसभा पहुंचाया गया था. हालांकि यह बात अलग है कि कभी वह राजीव गांधी के बेहद कराबी माने जाते थे. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में जिस तरह कांग्रेस तंत्र का विरोध कर उन्होंने मोदी से नजदीकी बढ़ाई उसके बाद से वह बतौर पार्टी के मुस्लिम चेहरे भी देखे जाने लगे और उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया. इस विस्तार में अकबर को कैबिनेट में शामिल कर आगामी विधानसभा चुनाव उन्हें मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए इस्तेमाल किया जाना है.
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