संसद के मानसून सत्र को हफ्ता बीत गया है लेकिन जीएसटी को लेकर आखिर रणनीति क्या है इसका सरकार के पास कोई सीधा जवाब नहीं है. सरकार और कांग्रेस नेताओं के बीच आम राय बनाने की कोशिशें जारी हैं. बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने एक बार फिर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा से बात की. हालांकि दोनों ही पक्ष बातचीत के मसौदे और समझौते के प्रारूप के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं.
सरकार के रणनीतिकारों का कहना है कि बातचीत अपने मुकाम पर पहुंचने वाली है और अगर सब ठीक रहा तो राज्यसभा में जीएसटी विधेयक अगले हफ्ते पेश किया जा सकता है.
अरूण जेटली |
कांग्रेस के रुख में नरमी के संकेत सत्र के पहले ही दिख रहे थे. सरकार के साथ बातचीत के दौरान भी कांग्रेस नेताओं ने नरमी दिखाते हुए कहा कि सरकार बिल का लिखित प्रारूप उसके सामने रखे. जिस पर पार्टी में चर्चा के बाद वो रुख साफ़ करेगी. दरअसल, कांग्रेस का बड़ा धड़ा ये मान रहा है कि बिल का लगातार विरोध उसे भारी पड़ सकता है क्योंकि जीएसटी का सपना उन्हीं की सरकार का था.
ऐसे में जबकि कांग्रेस के बिना भी सरकार के पास जरूरी आंकड़ा मौजूद है जिससे पार्टी अलग-थलग पड़ गई है. कांग्रेस पर बिल का समर्थन करने के लिए अपनी राज्य सरकारों के अलावा व्यापारिक संगठनों का भी दबाव पड़ रहा है.
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कांग्रेस से मिली इन्ही संभावनाओ के बाद...
संसद के मानसून सत्र को हफ्ता बीत गया है लेकिन जीएसटी को लेकर आखिर रणनीति क्या है इसका सरकार के पास कोई सीधा जवाब नहीं है. सरकार और कांग्रेस नेताओं के बीच आम राय बनाने की कोशिशें जारी हैं. बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने एक बार फिर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा से बात की. हालांकि दोनों ही पक्ष बातचीत के मसौदे और समझौते के प्रारूप के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं.
सरकार के रणनीतिकारों का कहना है कि बातचीत अपने मुकाम पर पहुंचने वाली है और अगर सब ठीक रहा तो राज्यसभा में जीएसटी विधेयक अगले हफ्ते पेश किया जा सकता है.
अरूण जेटली |
कांग्रेस के रुख में नरमी के संकेत सत्र के पहले ही दिख रहे थे. सरकार के साथ बातचीत के दौरान भी कांग्रेस नेताओं ने नरमी दिखाते हुए कहा कि सरकार बिल का लिखित प्रारूप उसके सामने रखे. जिस पर पार्टी में चर्चा के बाद वो रुख साफ़ करेगी. दरअसल, कांग्रेस का बड़ा धड़ा ये मान रहा है कि बिल का लगातार विरोध उसे भारी पड़ सकता है क्योंकि जीएसटी का सपना उन्हीं की सरकार का था.
ऐसे में जबकि कांग्रेस के बिना भी सरकार के पास जरूरी आंकड़ा मौजूद है जिससे पार्टी अलग-थलग पड़ गई है. कांग्रेस पर बिल का समर्थन करने के लिए अपनी राज्य सरकारों के अलावा व्यापारिक संगठनों का भी दबाव पड़ रहा है.
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कांग्रेस से मिली इन्ही संभावनाओ के बाद सरकार बिल को अंतिम रूप देने की तैयारियों में जुटी है. सदन की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी इस पर चर्चा के लिए पहले ही पांच घंटे तय कर चुकी है. लेफ्ट समेत कई पार्टियां बिल के प्रारूप को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग कर रही है. मुमकिन है कि अगले हफ्ते सरकार इस मांग को मानकर छोटी बड़ी सभी पार्टियों से बैठक करे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एनडीए की बैठक में संकेत दिए थे कि सरकार जीएसटी पर छोटे दलो को विश्वास में ले और उनकी अनदेखी ना करे.
हाल ही में वित्त मंत्री से मिले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जीएसटी के समर्थन और कैब के विरोध में बयान देकर सरकार को राहत दी थी. लगता यही है की ये सत्र सरकार को कुछ अच्छी खबर देकर जायेगा.
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