राष्ट्रपति Ram Nath Kovind के अभिभाषण से संसद सत्र में कामकाज की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है. राष्ट्रपति के अभिभाषण में अमूमन चुनी हुई सरकार के आगे का एजेंडा होता है और इस बार भी वही सब रहा.
राष्ट्रपति कोविंद के अभिभाषण में ज्यादातर वही बातें सुनने को मिलीं जो प्रधानमंत्री Narendra Modi के भाषणों का हिस्सा हुआ करती हैं. कई बार ऐसा होता है कि प्रधानमंत्री जगह और जरूरत के हिसाब से अलग अलग बातें कहा करते हैं - राष्ट्रपति के अभिभाषण में तकरीबन वे सारी बातें एक साथ सुनने को मिली हैं.
कुछ बातें जरूर नयी लगीं. मसलन, 'जल संसाधन' पर मोदी सरकार 2.0 का जोर और 'तीन तलाक' के साथ साथ 'एक देश-एक चुनाव' कराने का मजबूत इरादा. राष्ट्रपति के अभिभाषण के शुरू में ही जो तवज्जो पश्चिम बंगाल को दिया गया उससे भी ममता बनर्जी के प्रति बीजेपी नेतृत्व के आगे का एजेंडा साफ जाहिर होता है.
जल शक्ति पर ज्यादा जोर
सड़क, बिजली और पानी - ये तीन बुनियादी सुविधाएं होती हैं जिन्हें मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की होती है. पहली पारी में सड़क और बिजली के बाद मोदी सरकार 2.0 में पानी पर काफी जोर रहेगा ये बात बार बार चर्चा में आ रही है. राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी इस बाता का खास तौर पर जिक्र ने से सरकार के इरादे को समझा जाना चाहिये.
2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा और दूसरी नदियों को लेकर अलग मंत्रालय का गठन किया गया था - 'जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय. अब इसे बदल कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया गया है. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव को हरा कर संसद पहुंचे गजेंद्र शेखावत को इस मंत्रालय का जिम्मा दिया गया है. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि नये मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण और प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाना ही होगा.' राष्ट्रपति कोविंद ने उम्मीद जतायी कि...
राष्ट्रपति Ram Nath Kovind के अभिभाषण से संसद सत्र में कामकाज की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है. राष्ट्रपति के अभिभाषण में अमूमन चुनी हुई सरकार के आगे का एजेंडा होता है और इस बार भी वही सब रहा.
राष्ट्रपति कोविंद के अभिभाषण में ज्यादातर वही बातें सुनने को मिलीं जो प्रधानमंत्री Narendra Modi के भाषणों का हिस्सा हुआ करती हैं. कई बार ऐसा होता है कि प्रधानमंत्री जगह और जरूरत के हिसाब से अलग अलग बातें कहा करते हैं - राष्ट्रपति के अभिभाषण में तकरीबन वे सारी बातें एक साथ सुनने को मिली हैं.
कुछ बातें जरूर नयी लगीं. मसलन, 'जल संसाधन' पर मोदी सरकार 2.0 का जोर और 'तीन तलाक' के साथ साथ 'एक देश-एक चुनाव' कराने का मजबूत इरादा. राष्ट्रपति के अभिभाषण के शुरू में ही जो तवज्जो पश्चिम बंगाल को दिया गया उससे भी ममता बनर्जी के प्रति बीजेपी नेतृत्व के आगे का एजेंडा साफ जाहिर होता है.
जल शक्ति पर ज्यादा जोर
सड़क, बिजली और पानी - ये तीन बुनियादी सुविधाएं होती हैं जिन्हें मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की होती है. पहली पारी में सड़क और बिजली के बाद मोदी सरकार 2.0 में पानी पर काफी जोर रहेगा ये बात बार बार चर्चा में आ रही है. राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी इस बाता का खास तौर पर जिक्र ने से सरकार के इरादे को समझा जाना चाहिये.
2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा और दूसरी नदियों को लेकर अलग मंत्रालय का गठन किया गया था - 'जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय. अब इसे बदल कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया गया है. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव को हरा कर संसद पहुंचे गजेंद्र शेखावत को इस मंत्रालय का जिम्मा दिया गया है. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि नये मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण और प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाना ही होगा.' राष्ट्रपति कोविंद ने उम्मीद जतायी कि जलशक्ति मंत्रालय इस दिशा में एक निर्णायक कदम है जिसके दूरगामी लाभ होंगे.
नमामि गंगे तो सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट स्किल इंडिया की तरह फेल हो गया, लेकिन देखना है नाम बदलने के बाद जलशक्ति मंत्रालय कितना कारगर होता है - वैसे सरकार ने 2024 तक हर घर तक पीने का पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
राष्ट्रपति कोविंद ने बताया कि क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए देश में स्वच्छ भारत अभियान की तरह ही जल संरक्षण के लिए आंदोलन चलाया जाएगा.
बीजेपी का मिशन बंगाल 'परिवर्तन'
पश्चिम बंगाल को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार की आतुरता हर मोड़ पर नजर आती है और राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी उसकी पूरी झलक साफ देखी गयी. परिवर्तन के नारे के साथ लेफ्ट को खदेड़ कर मुख्यमंत्री बनीं ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी उसी स्लोगन के साथ तृणमूल कांग्रेस को राइटर्स बिल्डिंग से बेदखल करने पर आमादा है.
रवींद्र नाथ टैगोर के हवाले से ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी सरकार के मन की बात समझाने की कोशिश भी की - “चित्तो जेथा भय-शून्नो, उच्चो जेथा शिर.” राष्ट्रपति कोविंद ने संसद के सेंट्रल हाल में सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि नया भारत, गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर के आदर्श भारत के उस स्वरूप की ओर आगे बढ़ेगा जहां लोगों का चित्त भय-मुक्त हो और आत्म-सम्मान से उनका मस्तक ऊंचा रहे.'
तृणमूल कांग्रेस नेता के हाल के बयान और कदम भी यही बता रहे हैं कि हड़बड़ी में ममता बनर्जी राजनीतिक तौर पर सही और गलत का फैसला करने में भी चूक जा रही हैं - और धीरे धीरे बीजेपी के बुने जाल में उलझती चली जा रही हैं. 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव होने हैं और मोदी सरकार न्यू इंडिया को बंगाल से जोड़ने की कवायद में जुटी तो है ही. आम चुनाव में 18 सीटें जीतने के बाद तो बीजेपी का हौसला भी बुलंद है.
तीन तलाक और निकाह हलाला खत्म करने की तैयारी है
पांच साल से ज्यादा हो गये लेकिन मोदी सरकार यूपीए के शासन की चर्चा किसी भी मौके पर नहीं भूलती. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 2014 से पहले जो माहौल था, उससे सभी वाकिफ हैं. फिर बोले, 'बीते 5 वर्षों में लोगों में ये विश्वास जगा है कि सरकार उनके साथ है. देशवासियों के विश्वास की इस पूंजी के आधार पर ही फिर जनादेश मांगा गया. इस लोकसभा में आधे सांसद पहली बार निर्वाचित हुए हैं और सबसे ज्यादा महिलाओं का चुना जाना नए भारत को दर्शाता है.'
मोदी सरकार की महिलाओं के वोट पर भी खास नजर है और राष्ट्रपति कोविंद ने संसद में 78 महिलाओं के सांसद चुन कर आने पर खुशी जतायी. राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिये संकेत दिये गये कि मोदी सरकार महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के लिए सजा को अधिक सख्त बनाये जाने और उन्हें सख्ती से लागू करने को लेकर भी प्रतिबद्ध होगी.
राष्ट्रपति कोविंद ने सांसदों से इसमें सहयोग भी मांगा, 'मैं सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि हमारी बहनों और बेटियों के जीवन को और सम्मानजनक एवं बेहतर बनाने वाले इन प्रयासों में अपना सहयोग दें.' 'राष्ट्रीय आजीविका मिशन’ के बारे में राष्ट्रपति कोविंद ने बताया कि इसके तहत गांवों की 3 करोड़ महिलाओं को अब तक 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा कर्ज मुहैया कराया जा चुका है.
मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक बिल अब तक पास नहीं हो सकता है. मोदी सरकार की कोशिश इसे इसी सत्र में पारित कराने की है. सरकार को इस मसले पर विपक्ष का सहयोग नहीं मिल पा रहा है. लोक सभा से पारित हो जाने के बावजूद ये बिल राज्य सभा में जरूरी नंबर न होने के कारण लटक जा रहा है.
राष्ट्रपति कोविंद ने काफी जोर देकर कहा भी, 'मेरी सरकार मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. इसी के लिए तीन तलाक जैसी प्रथा को खत्म किया जा रहा है, इसके लिए कानून बनाने की तैयारी है. आप सभी इस कदम में सरकार का साथ दें. तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाओं का खत्म होना जरूरी है.'
महिलाओं का वोट सरकार के लिए कितना जरूरी है, बताने की जरूरत नहीं. अभिभाषण में इस बात का भी जिक्र हुआ कि महिलाओं ने इस बार ज्यादा वोट डाले - लेकिन एक बार भी वो बात सुनने को नहीं मिली जिसका इंतजार बरसों से देश की महिलाओं को है - महिला आरक्षण बिल. महिला आरक्षण बिल को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिख चुके हैं - और संसद में बिल आने पर समर्थन का वादा भी. फिर भी महिला आरक्षण बिल का भविष्य अधर में ही नजर आता है.
'एक देश-एक चुनाव' पर विचार करने की अपील
राफेल का तो जिक्र होने का मतलब ही है कि निशाने पर कांग्रेस है, वैसे राहुल गांधी ने भी साफ कर दिया है कि राफेल पर आगे भी वो अपने स्टैंड पर कायम रहेंगे ही. बालाकोट एयर स्ट्राइक और उरी हमले के बाद हुए सर्जिकल स्ट्राइक का नाम लेकर सरकार के प्रति लोगों में जोश भरने की कोशिश भी हुई. देश की सुरक्षा और काला धन पर जीरो टॉलरेंस की बात दोहराते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने नीली क्रांति जैसी सरकार के भविष्य की कुछ योजनाओं की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया. किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के वादे दोहराते हुए राष्ट्रपति ने छोटे कारोबारियों के लिए पेंशन स्कीम की भी याद दिलायी - और फिर एक खास अपील रही 'एक देश-एक चुनाव' को लेकर भी.
19 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक देश-एक चुनाव' पर देश के राजनीतिक दलों की एक मीटिंग बुलायी थी जिससे 14 पार्टियों ने दूरी बना ली. बैठक से दूर रहने वालों में ममता बनर्जी, राहुल गांधी, अखिलेश यादव और मायावती प्रमुख नाम रहे. फिर भी राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस बात का जिक्र होना जता रहा है कि सरकार इसे लेकर गंभीरतापूर्वक आगे बढ़ने का इरादा पक्का कर चुकी है.
राष्ट्रपति कोविंद ने इसे देश की तरक्की के साथ जोड़ कर पेश किया, 'पिछले कुछ दशकों के दौरान देश के किसी न किसी हिस्से में प्रायः कोई न कोई चुनाव आयोजित होते रहने से विकास की गति और निरंतरता प्रभावित होती रही है. हमारे देशवासियों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर, अपना स्पष्ट निर्णय व्यक्त करके, विवेक और समझदारी का प्रदर्शन किया है.'
देश की तेज तरक्की के मकसद से एक साथ चुनाव को राष्ट्रपति ने समय की मांग बताया है - और इस पर विचार करने की अपील की है, ताकि मोदी सरकार 2.0 अपने स्लोगन ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ का लक्ष्य हासिल करने में कामयाब हो सके.
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