सिविल सेवाओं में सबसे प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) को माना जाता है. इन परीक्षाओं को पास करना मुश्किल माना जाता है. मुश्किल इस लिए भी क्योंकि हर साल इसमें करीब दस लाख के करीब परीक्षार्थी शामिल होते हैं जिसमें मात्र एक हज़ार के करीब उत्तीर्ण हो पाते हैं. लिहाज़ा इन पदों को छोड़कर राजनीति में किस्मत आजमाना आसान नहीं है फिर भी हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि चुनाव के वक़्त कुछ इनके अफसर राजनीतिक पार्टियों में शामिल होकर अपना किस्मत आज़माते हैं और सफल भी होते हैं.
हम इस वक़्त इसका ज़िक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अभी हाल में ही छत्तीसगढ़ में 2005 बैच के आइएएस अधिकारी ओपी चौधरी 13 साल की नौकरी के बाद भाजपा का दामन थाम चुके हैं. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अब वे आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं.
हालांकि, ये पहली बार नहीं है कि कोई आईएएस या आईपीएस अफसर किसी पार्टी के साथ जुड़ा है, और इसमें भी अच्छा प्रदर्शन किया है. मसलन, मनमोहन सिंह, आरके सिंह, पीएल पुनिया, यशवंत सिन्हा, मीरा कुमार, अजित जोगी आदि सभी प्रशासनिक सेवाओं से ही आए हैं.
लेकिन हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि इन ब्यूरोक्रैट्स ने भाजपा में ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई है और चुनावों में जीत भी हासिल करते हुए मोदी सरकार में अहम पदों पर विराजमान हुए है. छत्तीसगढ़ में 2005 बैच के आइएएस अधिकारी ओ पी चौधरी के अलावा उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (होमगार्डस) सूर्य कुमार शुक्ला ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भाजपा के लिये आगामी लोकसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार करने की ख्वाहिश जाहिर की है. इससे पहले 2014 के लोकसभा...
सिविल सेवाओं में सबसे प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) को माना जाता है. इन परीक्षाओं को पास करना मुश्किल माना जाता है. मुश्किल इस लिए भी क्योंकि हर साल इसमें करीब दस लाख के करीब परीक्षार्थी शामिल होते हैं जिसमें मात्र एक हज़ार के करीब उत्तीर्ण हो पाते हैं. लिहाज़ा इन पदों को छोड़कर राजनीति में किस्मत आजमाना आसान नहीं है फिर भी हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि चुनाव के वक़्त कुछ इनके अफसर राजनीतिक पार्टियों में शामिल होकर अपना किस्मत आज़माते हैं और सफल भी होते हैं.
हम इस वक़्त इसका ज़िक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अभी हाल में ही छत्तीसगढ़ में 2005 बैच के आइएएस अधिकारी ओपी चौधरी 13 साल की नौकरी के बाद भाजपा का दामन थाम चुके हैं. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अब वे आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं.
हालांकि, ये पहली बार नहीं है कि कोई आईएएस या आईपीएस अफसर किसी पार्टी के साथ जुड़ा है, और इसमें भी अच्छा प्रदर्शन किया है. मसलन, मनमोहन सिंह, आरके सिंह, पीएल पुनिया, यशवंत सिन्हा, मीरा कुमार, अजित जोगी आदि सभी प्रशासनिक सेवाओं से ही आए हैं.
लेकिन हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि इन ब्यूरोक्रैट्स ने भाजपा में ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई है और चुनावों में जीत भी हासिल करते हुए मोदी सरकार में अहम पदों पर विराजमान हुए है. छत्तीसगढ़ में 2005 बैच के आइएएस अधिकारी ओ पी चौधरी के अलावा उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (होमगार्डस) सूर्य कुमार शुक्ला ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भाजपा के लिये आगामी लोकसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार करने की ख्वाहिश जाहिर की है. इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पूर्व आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की.
एक नजर डालते हैं उन ब्यूरोक्रैट्स पर जो भाजपा ज्वाइन करने से पहले प्रशासनिक पदों पर रहे और अब भाजपा में विभिन्न पदों पर आसीन हैं.
आरके सिंह: बिहार के आरा से लोकसभा सांसद और मोदी सरकार में राज्यमंत्री मंत्री राज कुमार सिंह भी आईएएस रह चुके हैं वे देश के गृह सचिव भी रह चुके हैं. वे 2013 में भाजपा में शामिल हुए और 2014 का लोकसभा चुनाव जीते.
केजे अल्फोंस: केजे अल्फोंस केरल में भाजपा का अहम चेहरा और अब मोदी सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री हैं. साल 2011 में वे आईएएस पद छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे.
सत्यपाल सिंह: 1980 बैच के आईपीएस ऑफिसर और मुंबई के पुलिस कमिश्नर रह चुके सत्यपाल सिंह भाजपा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अहम चेहरों में से एक हैं. 2014 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे और फिलहाल वे मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री हैं.
हरदीप सिंह पुरी: भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हरदीप सिंह पुरी मोदी सरकार में अभी केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हैं. वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं.
किरण बेदी: किरण बेदी जिन्हें भारतीय पुलिस सेवा में सम्मिलित होने वाली प्रथम महिला अधिकारी रहने की उपलब्धि हासिल है, उन्होंने भाजपा से जुड़कर चुनाव लड़ा और अब उन्हें पुदुचेरी का उपराज्यपाल बनाया है. किरण बेदी को 2015 में दिल्ली विधानसभा में भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया था.
यशवंत सिन्हा: 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े यशवंत सिन्हा को भाजपा ने विदेश मंत्री और वित्त मंत्री बनाया था. उन्होंने लोकसभा में झारखंड के हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
जहां 2019 के लोकसभा तथा इस साल के अंत में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में रणनीतियों को लेकर मत्था-पच्ची जारी है वहीं कुछ ब्यूरोक्रैट्स भाजपा का दामन थामकर अब अपना करियर राजनीति में आज़माना चाह रहे हैं. हालांकि, ये ब्यूरोक्रैट्स अपने साथियों के तरह कितना मुकाम हासिल कर पाएंगे ये जानने के लिए अभी इंतजार करना होगा.
ये भी पढ़ें-
आतिशी-आशुतोष समझ लें, केजरीवाल जानते हैं उपनाम में क्या-क्या रखा है
राहुल जी, 1984 और 2002 दंगों का जरा अंतर तो समझिए
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.