मुंबई में कोरोना की तीसरी लहर (Corona Cases in Maharashtra) आने की बात कही जा रही है. लोग सोच रहे हैं कि ये कोरोना के केस त्योहार (Ganesh Chaturthi 2021) के साथ ही क्यों बढ़ते हैं? क्या कोरोना नहीं चाहता की हम त्योहार मनाएं या फिर मुंबई के कर्ता-धर्ता नहीं चाहते? क्या अब हम त्योहार का उत्सव भी ना मनाएं?
कुछ लोग तो अभी भी बोल रहे हैं कि यह महाराष्ट्र सरकार की चाल है. चलिए जानते हैं असल बात क्या है. गलती सरकार की है या कोरोना की? अब जनता को कोई गलत कैसे कह दे, जो हजार बार चेताने के बाद भी कोरोना वायरस को लेकर लापरवाही बरतते हैं.
क्या आपने आजकल बाजारों में उमड़ रहे भीड़ पर गौर किया है? वो लोग जो एक या दोनों डोज वैक्सीन लगवाने के बाद खुद को सुपर हीरो समझते हैं और बड़े तेवर के साथ बिना मास्क लगाए शरीर चौड़ा किए फिरते हैं. वहीं जिन्होंने वैक्सीन लगवाई नहीं वो भी खुद को कम ताकतवर नहीं समझते और निकल पड़ते हैं बिना मास्क के सड़कों पर.
होटल, जिम, बाजार, गली, चौराहे हर जगह तो भीड़ है. ना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है, ना दो फिट की दूरी जरूरी लग रही है. पहली लहर के बाद जब केस कम हुए थे उस समय भी हमने यही गलती की थी.
हम कितनी जल्दी ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले लोगों को भूल गए. हम उन लाशों को भूल गए जो नदियों में तैरती दिखी थीं. लोगों ने दूसरी लहर को तो जैसे भूला ही दिया है. वे लोग जो कोविड की चपेट में आने के बाद वीडियो बनाकर लापरवाही ना करने की चेतावनी देकर दुनियां छोड़ गए. वो अस्पताल के बाहर अपनों की जान बचाने की भीख मांगते लोग.
लाइन में घटों लगकर कोरोना की जांच कराने की भीड़. डॉक्टर को ना दिखा पाने की मायूसी...
मुंबई में कोरोना की तीसरी लहर (Corona Cases in Maharashtra) आने की बात कही जा रही है. लोग सोच रहे हैं कि ये कोरोना के केस त्योहार (Ganesh Chaturthi 2021) के साथ ही क्यों बढ़ते हैं? क्या कोरोना नहीं चाहता की हम त्योहार मनाएं या फिर मुंबई के कर्ता-धर्ता नहीं चाहते? क्या अब हम त्योहार का उत्सव भी ना मनाएं?
कुछ लोग तो अभी भी बोल रहे हैं कि यह महाराष्ट्र सरकार की चाल है. चलिए जानते हैं असल बात क्या है. गलती सरकार की है या कोरोना की? अब जनता को कोई गलत कैसे कह दे, जो हजार बार चेताने के बाद भी कोरोना वायरस को लेकर लापरवाही बरतते हैं.
क्या आपने आजकल बाजारों में उमड़ रहे भीड़ पर गौर किया है? वो लोग जो एक या दोनों डोज वैक्सीन लगवाने के बाद खुद को सुपर हीरो समझते हैं और बड़े तेवर के साथ बिना मास्क लगाए शरीर चौड़ा किए फिरते हैं. वहीं जिन्होंने वैक्सीन लगवाई नहीं वो भी खुद को कम ताकतवर नहीं समझते और निकल पड़ते हैं बिना मास्क के सड़कों पर.
होटल, जिम, बाजार, गली, चौराहे हर जगह तो भीड़ है. ना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है, ना दो फिट की दूरी जरूरी लग रही है. पहली लहर के बाद जब केस कम हुए थे उस समय भी हमने यही गलती की थी.
हम कितनी जल्दी ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले लोगों को भूल गए. हम उन लाशों को भूल गए जो नदियों में तैरती दिखी थीं. लोगों ने दूसरी लहर को तो जैसे भूला ही दिया है. वे लोग जो कोविड की चपेट में आने के बाद वीडियो बनाकर लापरवाही ना करने की चेतावनी देकर दुनियां छोड़ गए. वो अस्पताल के बाहर अपनों की जान बचाने की भीख मांगते लोग.
लाइन में घटों लगकर कोरोना की जांच कराने की भीड़. डॉक्टर को ना दिखा पाने की मायूसी और सोशल मीडिया पर दवा, इंजेक्शन और प्लाज्मा की गुहार लगाते लोग…
मौत का वो मंजर, सायरन की आवाजें, दिल को दहलाने वाली तस्वीरें, बीमार लोग…शायद यह इंसानी फिदरत है जो दुख तो जल्दी भुला देता है. जब दोबारा वही चीजें साथ होती हैं तब हम अफसोस करते हैं और अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर जाहिर करते हैं...लोगों का कहना है कि जैसे ही हिंदू के त्योहार आते हैं ठाकरे के लिए तीसरी लहर आ जाती है.
मुंबई में दूसरी लहर में क्या हुआ था, कौन भूल गया है. जब पहली लहर में लॉकडाउन लगा तब लोगों ने आर्थिक तंगी का हवाला दिया जब दूसरी लहर में लॉकडाउन नहीं लगा और लोग मरते गए तो भी लोगों ने कोसना नहीं छोड़ा. चलो पहले तो कोरोना न्यू बेबी जैसा था जिसके बारें में किसी को ज्यादा कुछ पता नहीं था लेकिन अब सब जानते हुए लोग लापरवाही क्यों कर रहे हैं.
अगर सच में कुछ दिनों में तीसरी लहर तबाही मचाने लगेगी तो फिर राग अलापना और अफसोस मनाना शुरु हो जाएगा तो क्यों ना पहले ही चेत लिया जाए. धर्म, त्योहार, घूमना, लोगों से मिलना सब जरूरी है लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जह हम सुरक्षित रहेंगे क्योंकि कोरोना ने एक बात तो सिखा ही दी है कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है.
हम यह नहीं कहते कि गलती आपकी है, गलती सरकार की भी है. वैक्सील लगनावे को तो बोल दिया...पहले तो लोग अफवाह की डर से वैक्सीन नहीं लगवाए और जब लगवाना चाहा तो आसानी से वैक्सीन मिल नहीं पा रही. लोगों को कई दिनों तक घंटों लाइन में इंतजार करना पड़ा.
प्राइवेट अस्पतालों में 750 और 1400 पैसे देने पड़ रहे हैं. जिनके पास सुविधा है वो तो वीआईपी लाभ ले रहे लेकिन गरीब लोग क्या करेंगे. खैर, अब धीरे-धीरे वैक्सीनेशन ट्रैक पर आ रही है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो वैक्सीन को मानते ही नहीं, अब उनका कुछ नहीं किया जा सकता है.
असल में महाराष्ट्र में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं, इस बीच गणेश चतुर्थी उत्सव भी आने वाला है. ऐसे में मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने लोगों को अपने घरों के बाहर गणेश चतुर्थी ना मनाने की अपील की है. मेयर ने कहा कि यहां कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है इसलिए घर पर ही त्योहार मनाए. इतना सुनने के बाद कई लोग भड़क गए हैं और सोशल मीडिया पर महाराष्ट्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं.
किशोरी पेडनेकर ने कहा कि, “यहां कोरोना की तीसरी लहर आ नहीं रही है बल्कि पहले से ही है. इसे पहले ही नागपुर में घोषित किया जा चुका है.” वहीं महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता और राज्य सरकार में मंत्री नीतिन राउत पहले ही आगाह कर चुके हैं कि हमारे यहां कोरोना की तीसरी वेव का आ चुकी है.
हम बहुत दिनों बाद दोगुने पॉजिटिव मामलों पर आ गए हैं. इस खबर को सुनने के बाद लोग भड़क गए हैं. उनका मानना है कि यह सरकार की राजनीति है. हिंदु त्योहार से पहले ही कोरोना के मामले बढ़ने लगते हैं. अब सोचिए त्योहार में भीड़ तो होगी ही और भीड़ हुई तो कोरोना का संक्रमण तो बढ़ेगा ही...
अब जब आम दिनों में बाहर मार्केट में यह हाल है तो उत्सव में क्या होगा? दूध का जला छाछ भी फूंक फूंककर पीता है. क्या आप चाहते हैं कि महाराष्ट्र में केरल जैसे हालात बने. केरल में ओणम और बकरीद के दौरान कोरोना के मामलों (Covid Case in Kerala) में बढ़ोतरी देखी गई है.
बाकी आप खुद समझदार हैं, तो लापरवाही करने से पहले दूसरी लहर को एक बार याद जरूर कर लीजिएगा…एक्सपर्ट भी ये मानते हैं कि उत्तर के राज्यों में सीरो प्रिविलांस ज्यादा है, इसलिए वहां एकदम से मामले बढ़ने का खतरा नहीं है लेकिन महाराष्ट्र और केरल जैसे कम सीरो प्रिविलांस वाले राज्यों में त्योहारों से फर्क पड़ेगा. भगवान दिल में हैं उनसे प्राथर्ना कीजिए कि कोरोना संक्रमऩ ना फैले लेकिन सावधानी के साथ...
जिंदगी रहेगी तो बहुत त्योहार आएंगे, इसलिए अपना और अपनों का ख्याल रखिए. कोरोना को धर्म से जोड़ने वाले याद रखें कि कोविड हिंदू, मुस्लिम, बूढ़े और युवाओं में फर्क नहीं समझता. वो तो बस सभी को संक्रमित करता है.
आप खुद से सवाल पूछिए कि क्या आप तीसरी लहर चाहते हैं? नहीं ना...सबका जवाब यही होगा क्योंकि कोई भी दूसरी लहर जैसा मंजर दोबारा देखना नहीं चाहता...क्या पता तीसरी लहर सबसे ज्यादा खतरनाक हो. हमें केरल और दूसरे देशों से सबक लेकर सीखने की जरूरत है...
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