बात शुरू करने से पहले स्पष्ट कर दें, 22 फरवरी की सुबह सोनीपत के नजदीक मुरथल में जो हुआ है, उसकी सच्चाई पर सवाल है. लेकिन यदि उसमें जरा भी सच्चाई है, जिसकी जांच होने से पहले ही हरियाणा सरकार और पुलिस ने कह दिया है कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं, तो यह जेएनयू विवाद से ज्यादा शर्मनाक है.
ट्रिब्यून अखबार ने सबसे पहले खबर दी कि दिल्ली की ओर आ रहे वाहनों को नेशनल हाईवे 1 पर सोनीपत के नजदीक रोका गया. उनमें सवार लोग भागे, लेकिन करीब दस महिलाएं हुड़दंगियों के हाथ लग गईं. उसके बाद जो हुआ वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है.
ये हुड़दंगी इन महिलाओं को घसीटते हुए सड़क के किनारे सूनसान में ले गए और उन सभी के साथ ज्यादती की.
हैवानियत का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि महिलाओं की आवाजें जो रहम और मदद के लिए थीं, वह घटना स्थल से कुछ दूरी पर मौजूद ढाबे के कर्मचारियों तक को सुनाई दी. जिन्होंने डर के मारे वहां जाना मुनासिब न समझा.
उनमें से चार निर्वस्त्र महिलाएं तो भागकर ढाबे तक आईं, जिन्हें ढाबे के कर्मचारियों ने वहां मौजूद एक पानी के टैंक में छुपाया. महिलाओं के चीखने की आवाजें आसपास के दो गांव हासनपुर और कुराड तक सुनाई दीं. जहां से कुछ लोग बाद में मौके पर पहुंचे और उन्होंने निर्वस्त्र महिलाओं को कपड़े आदि मुहैया कराए.
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे खौफनाक पहलू है, जब इन महिलाओं के पुरुष परिजन मामले की शिकायत के लिए पुलिस के पास पहुंचे. ट्रिब्यून के मुताबिक उन्हें पुलिस ने महिलाओं की बेइज्जती का डर दिखाकर रवाना कर दिया.
आखिर अखबार की खबर पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस संघी ने मामले का खुद संज्ञान लेते हुए शिकायतकर्ताओं को पुलिस के पास न जाकर सीधे कोर्ट आने के लिए कहा. लेकिन समझा जा सकता है कि इस खौफनाक वातावरण में कोई कैसे सामने आएगा. इसी सवाल पर कि यदि वह सामने आया तो भी शिकायत में नाम किसका लेगा.
हालांकि, अब इस मामले की जांच SIT को सौंप दी गई है. तीन सदस्यों वाली SIT का नेतृत्व DIG डॉक्टर राजश्री को...
बात शुरू करने से पहले स्पष्ट कर दें, 22 फरवरी की सुबह सोनीपत के नजदीक मुरथल में जो हुआ है, उसकी सच्चाई पर सवाल है. लेकिन यदि उसमें जरा भी सच्चाई है, जिसकी जांच होने से पहले ही हरियाणा सरकार और पुलिस ने कह दिया है कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं, तो यह जेएनयू विवाद से ज्यादा शर्मनाक है.
ट्रिब्यून अखबार ने सबसे पहले खबर दी कि दिल्ली की ओर आ रहे वाहनों को नेशनल हाईवे 1 पर सोनीपत के नजदीक रोका गया. उनमें सवार लोग भागे, लेकिन करीब दस महिलाएं हुड़दंगियों के हाथ लग गईं. उसके बाद जो हुआ वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है.
ये हुड़दंगी इन महिलाओं को घसीटते हुए सड़क के किनारे सूनसान में ले गए और उन सभी के साथ ज्यादती की.
हैवानियत का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि महिलाओं की आवाजें जो रहम और मदद के लिए थीं, वह घटना स्थल से कुछ दूरी पर मौजूद ढाबे के कर्मचारियों तक को सुनाई दी. जिन्होंने डर के मारे वहां जाना मुनासिब न समझा.
उनमें से चार निर्वस्त्र महिलाएं तो भागकर ढाबे तक आईं, जिन्हें ढाबे के कर्मचारियों ने वहां मौजूद एक पानी के टैंक में छुपाया. महिलाओं के चीखने की आवाजें आसपास के दो गांव हासनपुर और कुराड तक सुनाई दीं. जहां से कुछ लोग बाद में मौके पर पहुंचे और उन्होंने निर्वस्त्र महिलाओं को कपड़े आदि मुहैया कराए.
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे खौफनाक पहलू है, जब इन महिलाओं के पुरुष परिजन मामले की शिकायत के लिए पुलिस के पास पहुंचे. ट्रिब्यून के मुताबिक उन्हें पुलिस ने महिलाओं की बेइज्जती का डर दिखाकर रवाना कर दिया.
आखिर अखबार की खबर पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस संघी ने मामले का खुद संज्ञान लेते हुए शिकायतकर्ताओं को पुलिस के पास न जाकर सीधे कोर्ट आने के लिए कहा. लेकिन समझा जा सकता है कि इस खौफनाक वातावरण में कोई कैसे सामने आएगा. इसी सवाल पर कि यदि वह सामने आया तो भी शिकायत में नाम किसका लेगा.
हालांकि, अब इस मामले की जांच SIT को सौंप दी गई है. तीन सदस्यों वाली SIT का नेतृत्व DIG डॉक्टर राजश्री को सौंपा गया है. लेकिन हरियाणा पुलिस के डीजीपी कह रहे हैं कि अभी तक गैंगरेप की बात सामने नहीं आई है.
सोशल मीडिया के जरिए यह मामला देश के कोने कोने तक फैल गया है. मुरथल के पास खेतों में पड़े महिलाओं के कपड़े और अंडरगारमेंट बता रहे हैं कि मामला संदिग्ध है. अब तक जबकि कोई शिकायतकर्ता सामने नहीं आया है, तो मामले के कथित गवाह, कुछ तो प्रत्यक्षदर्शी भी अब घटना से मुंह मोड़ रहे हैं.
अंतत:, इस मामले को दोबारा देखिए तो समझ में आता है कि यदि ये गैंगरेप हुआ भी है तो उसके बाद हालात ऐसे बना दिए गए हैं कि चाहकर भी कोई शिकायत करने नहीं आएगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.