लोकसभा चुनावों में अपनी शानदार जीत के बाद भाजपा ने राष्ट्री स्तर पर सदस्यता अभियान की शुरुआत की है. जिसमें लोगों को भाजपा का सदस्या बनाया जा रहा है. इसी अभियान के तहत सपना चौधरी ने भी बीजेपी ज्वाइन की है. लेकिन जब भाजपा के साथ कोई मुस्लिम शामिल होता है तो मामला बड़ा बन जाता है.
अलीगढ़ की एक महिला गुलिस्ताना ने भी भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली. अखबार में फोटो आया तो मकान मालिक को इस बात का पता चला. वो महिला के बीजेपी में शामिल होने से इतने खफा हुए कि उन्होंने गुलिस्ताना के साथ बदतमीजी की और उसे तुरंत घर खाली करने को कह दिया.
असल में मोदी सरकार की चलाई हुई योजनाओं से जिस किसी को भी फायदा मिला वो मोदी का बन गया. ये महिला भी मोदी से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाई और इसीलिए इन्होंने बीजेपी की सदस्य बनना चुना. लेकिन सिर्फ इस बात पर कि वो भाजपा की सदस्य हो गई मकान मालिक का व्यवहार बदल गया.
ये पहला मामला नहीं है जहां बीजेपी को लेकर इस तरह की प्रतिक्रिया आई हो
- हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में रांची स्थित चान्हो की रहने वाली मुस्लिम महिला ने भाजपा को वोट दिया. वोट देकर लौटने के बाद उसने इस बात की चर्चा बाकी महिलाओं से की. जब बात उसके ससुराल वालों तक पहुंची तो घरवाले गुस्से से तमतमा गए. महिला के पति ने पत्नी की जमकर पिटाई की. और हिदायत दी कि आगे से वो उसी को वोट देगी, जिसे देने को कहा जाएगा.
- 2016 के विधानसभा चुनाव में असम की एक महिला ने जब बीजेपी को वोट दिया तो उसके पति ने उसे तलाक ही दे दिया.
- ये तो किसी के निजी विचार भी हो सकते हैं, जिसकी वजह से ऐसी प्रतिक्रियाएं आईं. लेकिन 2017 में बंगाल के टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही ईमाम मौलाना नुरूर रेहमान बरकती ने ये कहा था कि अगर कोई मुस्लिम समाज से जुड़ा कोई शख्स भाजपा या आरएसएस में शामिल होता है या भाजपा...
लोकसभा चुनावों में अपनी शानदार जीत के बाद भाजपा ने राष्ट्री स्तर पर सदस्यता अभियान की शुरुआत की है. जिसमें लोगों को भाजपा का सदस्या बनाया जा रहा है. इसी अभियान के तहत सपना चौधरी ने भी बीजेपी ज्वाइन की है. लेकिन जब भाजपा के साथ कोई मुस्लिम शामिल होता है तो मामला बड़ा बन जाता है.
अलीगढ़ की एक महिला गुलिस्ताना ने भी भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली. अखबार में फोटो आया तो मकान मालिक को इस बात का पता चला. वो महिला के बीजेपी में शामिल होने से इतने खफा हुए कि उन्होंने गुलिस्ताना के साथ बदतमीजी की और उसे तुरंत घर खाली करने को कह दिया.
असल में मोदी सरकार की चलाई हुई योजनाओं से जिस किसी को भी फायदा मिला वो मोदी का बन गया. ये महिला भी मोदी से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाई और इसीलिए इन्होंने बीजेपी की सदस्य बनना चुना. लेकिन सिर्फ इस बात पर कि वो भाजपा की सदस्य हो गई मकान मालिक का व्यवहार बदल गया.
ये पहला मामला नहीं है जहां बीजेपी को लेकर इस तरह की प्रतिक्रिया आई हो
- हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में रांची स्थित चान्हो की रहने वाली मुस्लिम महिला ने भाजपा को वोट दिया. वोट देकर लौटने के बाद उसने इस बात की चर्चा बाकी महिलाओं से की. जब बात उसके ससुराल वालों तक पहुंची तो घरवाले गुस्से से तमतमा गए. महिला के पति ने पत्नी की जमकर पिटाई की. और हिदायत दी कि आगे से वो उसी को वोट देगी, जिसे देने को कहा जाएगा.
- 2016 के विधानसभा चुनाव में असम की एक महिला ने जब बीजेपी को वोट दिया तो उसके पति ने उसे तलाक ही दे दिया.
- ये तो किसी के निजी विचार भी हो सकते हैं, जिसकी वजह से ऐसी प्रतिक्रियाएं आईं. लेकिन 2017 में बंगाल के टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही ईमाम मौलाना नुरूर रेहमान बरकती ने ये कहा था कि अगर कोई मुस्लिम समाज से जुड़ा कोई शख्स भाजपा या आरएसएस में शामिल होता है या भाजपा को वोट देता है तो उनकी पिटाई की जाएगी और उसे इसलाम से बाहर कर दिया जाएगा.
हम अक्सर मुस्लिम समाज के कट्टरपन की बात करते हैं. वो कुछ बातों को लेकर बहुत गंभीर होते हैं खासकर अपने धर्म को लेकर. इस्लाम में हराम होने वाली हर चीज से वो दूरी बनाकर रखते हैं. 'भारत माता की जय' बोलने में उनका ईमान खराब होता है. और न जाने क्या-क्या. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या भाजपा से जुड़ना और भाजपा को वोट करना भी इस्लाम में हराम है?
क्या वजह है कि भारत के ज्यादातर मुसलमान भाजपा से जुड़ नहीं पाते?
असल में यहां भी लोग इसे राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक मामला ही समझते हैं. मुस्लिम समाज के ज्यादातर लोग भाजपा को सिर्फ एक हिंदूवादी पार्टी ही समझते हैं. उसपर गोहत्या पर लिंचिंग की घटनाएं, गोमांस के व्यापार और उपभोग पर प्रतिबंध, घर वापसी और लव जिहाद जैसी बातें और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे राजनैतिक नेताओं के कड़वे बयानों ने मुसलमान को और भी प्रभावित किया है. ये तो हालिया बातें हैं लेकिन भाजपा को देश के मुसलमानों ने हमेशा से ही अपने धर्म के खिलाफ ही समझा है. वो समझते हैं कि भाजपा मुसलिमों की हितैषी नहीं है. इसीलिए हमेशा से ही भारतीय मुसलमानों ने कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल और राजद जैसे धर्मनिरपेक्ष दलों का समर्थन किया है. ये पार्टियां खुद को मुसलमानों की हितैषी तो बताती हैं लेकिन जब बात उन्हें आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने और सुविधाओं की आती है, तो वो कहीं नहीं टिकतीं.
ऐसे में मोदी 'सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास' लेकर चल रहे हैं. और इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि मोदी की योजनाओं से हर वर्ग को फायदा मिला है. पछले चुनावों में भी भले ही मुस्लिम पुरुषों बीजेपी को वोट न दिये हों लेकिन मुस्लिम महिलाओं ने उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में बीजेपी को वोट दिया है. क्योंकि तीन तलाक़ क़ानून हो या फिर बाकी योजनाएं, मुस्लिम महिलाओं का विश्वास भाजपा को लेकर पक्का हुआ है. लेकिन फिर भी मुस्लिम समाज के ज्यादातर लोग एक पार्टी को धर्म के चश्मे से ही देखते हैं. और जहां धर्म ही सबसे अहम हो तो लोगों को फायदे और नुकसान दिखाई नहीं देते.
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