जलाओ दीये पर ध्यान रहे इतना,
अंधेरा धरा परा कहीं रह ना जाये.
ऐसा ही होगा. ना सिर्फ हिंदू (Hindu) या सिर्फ मुसलमान (Muslim), ना कोई विरोधी और ना कोई समर्थक. देश का हर नागरिक अपने प्रधानमंत्री (Prime Minister) की गुज़ारिश पर एकजुट होकर अंधेरे के खिलाफ रौशनी बिखरा देगा. प्रधानमंत्री की इल्तिज़ा का मुस्लिम समाज पालन नहीं करता है, ये धारणा फेल हो जायेगी. रविवार पांच अप्रैल रात नौ बजे नौ मिनट तक चरागा होगा. इस राष्ट्रीय अनुष्ठान में सम्मिलित होने के लिए मुस्लिम मुआशरे(समाज) (Muslim Community) में काफी उत्साह है. जिसकी खास वजह है. पहली बात ये कि चरागा करने या मोमबत्ती जलाने के महत्त्व पर मुसलमानों का पक्का अक़ीदा(विश्वास) है. ज्यादातर त्योहारों और नज्र-ओ-नियाज में चरागा का महत्व है. सलामती की दुआ के लिए शमा जलाकर खुदा से दुआ मांगने की पुरानी परंपरा है. ख़ासकर शिया मुसलमानो़ में ज्यादातर मौको पर शमा (मोमबत्ती)रौशन की जाती है.
कोरोना वायरस के खतरों के अंधेयों को मिटाने के लिए देश ने रविवार रात बारह बजे अंधेरा करके दीया, मोमबत्ती, टार्च या मोबाइल फ्लैश चमकाने का जो फैसला किया है, उसे लेकर देश के कई शहरों के मुसलमानों में काफी उत्साह है. वजह ये है कि रविवार पांच मार्च के दिन ही मुसलमानो़ के रसूल मोहम्मद साहब के नाती ईमाम हुसैन के बेटे हजरत अली अकबर का जन्मदिन भी है.
इसके अलावा दो दिन बाद शबेबरात है, इसके दूसरे दिन यानी पंद्रह शाबान को बारहवें इमाम मेहदी (ज़िन्दा इमाम)अलैहिस्सलाम का जन्मदिन है. इन दोनों ही मौक़ों पर शमाएं (मोमबत्तियां)जलायी जाती हैं. इस बार लॉकडाउन के कारण बाहर मोमबत्तियां...
जलाओ दीये पर ध्यान रहे इतना,
अंधेरा धरा परा कहीं रह ना जाये.
ऐसा ही होगा. ना सिर्फ हिंदू (Hindu) या सिर्फ मुसलमान (Muslim), ना कोई विरोधी और ना कोई समर्थक. देश का हर नागरिक अपने प्रधानमंत्री (Prime Minister) की गुज़ारिश पर एकजुट होकर अंधेरे के खिलाफ रौशनी बिखरा देगा. प्रधानमंत्री की इल्तिज़ा का मुस्लिम समाज पालन नहीं करता है, ये धारणा फेल हो जायेगी. रविवार पांच अप्रैल रात नौ बजे नौ मिनट तक चरागा होगा. इस राष्ट्रीय अनुष्ठान में सम्मिलित होने के लिए मुस्लिम मुआशरे(समाज) (Muslim Community) में काफी उत्साह है. जिसकी खास वजह है. पहली बात ये कि चरागा करने या मोमबत्ती जलाने के महत्त्व पर मुसलमानों का पक्का अक़ीदा(विश्वास) है. ज्यादातर त्योहारों और नज्र-ओ-नियाज में चरागा का महत्व है. सलामती की दुआ के लिए शमा जलाकर खुदा से दुआ मांगने की पुरानी परंपरा है. ख़ासकर शिया मुसलमानो़ में ज्यादातर मौको पर शमा (मोमबत्ती)रौशन की जाती है.
कोरोना वायरस के खतरों के अंधेयों को मिटाने के लिए देश ने रविवार रात बारह बजे अंधेरा करके दीया, मोमबत्ती, टार्च या मोबाइल फ्लैश चमकाने का जो फैसला किया है, उसे लेकर देश के कई शहरों के मुसलमानों में काफी उत्साह है. वजह ये है कि रविवार पांच मार्च के दिन ही मुसलमानो़ के रसूल मोहम्मद साहब के नाती ईमाम हुसैन के बेटे हजरत अली अकबर का जन्मदिन भी है.
इसके अलावा दो दिन बाद शबेबरात है, इसके दूसरे दिन यानी पंद्रह शाबान को बारहवें इमाम मेहदी (ज़िन्दा इमाम)अलैहिस्सलाम का जन्मदिन है. इन दोनों ही मौक़ों पर शमाएं (मोमबत्तियां)जलायी जाती हैं. इस बार लॉकडाउन के कारण बाहर मोमबत्तियां रौशन करने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. इसलिए रविवार नौ बजे देश की सलामती के साथ बारहव़े इमाम की सलामती के लिए अपने-अपने घरों में शमाएं (मोमबत्तियां)रौशन की जायेंगी.
सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करते हुए तमाम मुसलमान अपने जज्बात बयां कर रहे हैं. लिख रहे हैं कि देश की सलामती के लिए चराग़ा का बहुत अच्छा दिन रखा है. इस दिन हजरत अली अकबर का जनमदिन है. शबेबरात और ज़िन्दा इमाम का भी जन्मदिन नजदीक है. चरागा करके यानी शमा रौशन करके हम लोग देश की सलामती के लिए दुआ करेंगे.साथ ही हम हम हजरत अली अकबर, बारहवें इमाम मेहदी और अपने पुरखों (पित्रों)के माध्यम से भी देशवासियों की जिन्दगी, सेहत और हिफाजत के लिए अल्लाह से दुआ करेंगे.
इसलिए लगने लगा है कि कोरोना के ख़तरों के अंधेरों को मिलजुलकर मिटाने के लिए भारत तैयार भी है और एकजुट भी. तैयारी देख कर लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये आइडिया भी खूब जगमगायेगा और सुपर डुपर हिट होगा.
भले ही हम मेडिकल सुविधाओं में कमजोर हों किंतु हमारे प्रधानमंत्री ने हमें अपनी हिदायतों से कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इतना एकजुट कर दिया है कि हम सुपर पॉवर अमेरिका की अपेक्षा इस वायरस को फना करने की कोशिश में किसी हद तक सफल होते जा रहा है.
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