जयपुर के नाहरगढ़ किले में 40 साल के चेतन कुमार सैनी की लाश टंगी हुई मिली. शुरुआत में इसे सुसाइड यानी आत्महत्या का मामला माना जा रहा था. लेकिन अब तस्वीर साफ हो गई है कि ये आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है. शुरुआती रिपोर्टों में इस घटना को राज्य में चल रहे पद्मावती विरोध के साथ जोड़ दिया गया था. इस बात की संभावना इसलिए भी थी जताई गई थी क्योंकि घटनास्थल के आस-पास के पत्थरों पर कोयले से पद्मावती लिखा हुआ था. और फिल्म का विरोध करने वाले ऐसा कर सकते हैं इसमें किसी को कोई शक नहीं.
लेकिन जांच के बाद मामला कुछ और ही दिख रहा है. पत्थरों पर लिखे वो मैसेज पद्मावती के फिल्मकारों के लिए नहीं बल्कि पद्मावती का विरोध करने वालों के लिए था. एक पत्थर पर लिखा था- "हम सिर्फ पुतले नहीं लटकाते पद्मावती." ये मैसेज पद्मावती फिल्म के विरोध में था क्योंकि इसमें राजपूतों के पौराणिक कहानियों की चहेती पद्मावती का नाम लिया गया था.
मीडिया ने भी इसी पत्थर पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया. लेकिन वहां पर 10 से ज्यादा जगहों पर इसी तरह के मैसेज लिखे हुए...
जयपुर के नाहरगढ़ किले में 40 साल के चेतन कुमार सैनी की लाश टंगी हुई मिली. शुरुआत में इसे सुसाइड यानी आत्महत्या का मामला माना जा रहा था. लेकिन अब तस्वीर साफ हो गई है कि ये आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है. शुरुआती रिपोर्टों में इस घटना को राज्य में चल रहे पद्मावती विरोध के साथ जोड़ दिया गया था. इस बात की संभावना इसलिए भी थी जताई गई थी क्योंकि घटनास्थल के आस-पास के पत्थरों पर कोयले से पद्मावती लिखा हुआ था. और फिल्म का विरोध करने वाले ऐसा कर सकते हैं इसमें किसी को कोई शक नहीं.
लेकिन जांच के बाद मामला कुछ और ही दिख रहा है. पत्थरों पर लिखे वो मैसेज पद्मावती के फिल्मकारों के लिए नहीं बल्कि पद्मावती का विरोध करने वालों के लिए था. एक पत्थर पर लिखा था- "हम सिर्फ पुतले नहीं लटकाते पद्मावती." ये मैसेज पद्मावती फिल्म के विरोध में था क्योंकि इसमें राजपूतों के पौराणिक कहानियों की चहेती पद्मावती का नाम लिया गया था.
मीडिया ने भी इसी पत्थर पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया. लेकिन वहां पर 10 से ज्यादा जगहों पर इसी तरह के मैसेज लिखे हुए थे. देखिए उनमें से कुछ पत्थरों पर क्या लिखा हुआ था:
पद्मावती का विरोध करने वालों, हम किले से सिर्फ पुतले नहीं लटकाते
ये पद्मावती के विरोध में पुतले जलाने वालों पर ताना मारा गया था. इसमें सबसे पहला नाम करणी सेना का ही है.
दो और जगहों पर चेतन तांत्रिक का नाम लिखा है. एक जगह, तांत्रिक. और दूसरी जगह, चेतन तांत्रिक मारा गया.
चेतन तांत्रिक मारा गया. इस मैसेज से साफ है कि चेतन तांत्रिक को मारने वाले इस घटना को आत्महत्या के रूप में पेश होने नहीं देना चाहते थे.
लेकिन पिक्चर अभी बाकी है. एक अन्य मैसेज में मामले को सांप्रदायिक रंग देने का भी भरपूर प्रयास किया गया है. इसलिए ही इस मैसेज को ऐसे लिखा गया है जैसे उसे पढ़कर लगे कि किसी मुसलमान ने लिखा हो.
इसकी बानगी देखिए-
हर काफिर का ये हाल होगा.
जो काफिर को मारेगा, अल्लाह को प्यारा होगा.
ऐसे कम-से-कम तीन स्लोगन हैं जिसमें काफिर शब्द का प्रयोग किया गया है. और दो में अल्लाह का उल्लेख है.
आखिर ये साजिश कौन कर रहा है ? इसका मकसद क्या है ? देश अभी जिस तनावपूर्ण बहस से जूझ रहा है, उसमें ये खुराफात आखिर किस मंसूबे से की गई है ?
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