बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक से यूपी चुनाव के शंखनाद से चुनाव को लेकर जो बीजेपी के पक्ष माहौल बनाना शुरू हुआ है उसके फीडबैक से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह संतुष्ट हैं. लेकिन दोनों नेताओं के सामने समस्या ये आ रही है कि बीजेपी में यूपी के सबसे बड़े चेहरे राजनाथ सिंह इस चुनाव में बीजेपी का चेहरा नहीं बनाना चाहते हैं.
राजनाथ सिंह यूपी चुनाव में बीजेपी का चेहरा नहीं बनना चाहते |
पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लगता है कि यूपी की वर्तमान राजनीति में राजनाथ सिंह मुलायम सिंह यादव और मायावती के समकक्ष नेता हैं. फ़िलहाल केंद्र सरकार में गृहमंत्री होने के साथ साथ सरकार में नं. 2 की पोजीशन पर भी है. मायावती और मुलायम सिंह यादव की तुलना में एक बेदाग छवि के नेता हैं, जिन पर कभी भी कोई आरोप नहीं लगा है.
राजनाथ ने पार्टी को क्लियर कर दिया है कि वो यूपी चुनाव में बीजेपी का चेहरा नहीं बनना चाहते हैं. पार्टी यूपी में जहां प्रचार करने को कहेगी, प्रचार करेंगे. पार्टी ने बॉल उनके पाले में डाल दी है कि चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बन जाएं और यूपी में धुंआधार प्रचार करें. राजनाथ सिंह का मनाना है कि वो यूपी की राजनीति से बाहर निकल गए है. पिछले 14 साल से केंद्र की राजनीति करते हैं.
राजनाथ सिंह के करीबियों का मानना है कि यूपी में आज भी जातिगत राजनीति चलती है. मायावती और मुलायम सिंह दोनों यूपी की जिन दो बड़ी जातियों की राजनीती करते है उनका अपना एक विशेष वोट बैंक है....
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक से यूपी चुनाव के शंखनाद से चुनाव को लेकर जो बीजेपी के पक्ष माहौल बनाना शुरू हुआ है उसके फीडबैक से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह संतुष्ट हैं. लेकिन दोनों नेताओं के सामने समस्या ये आ रही है कि बीजेपी में यूपी के सबसे बड़े चेहरे राजनाथ सिंह इस चुनाव में बीजेपी का चेहरा नहीं बनाना चाहते हैं.
राजनाथ सिंह यूपी चुनाव में बीजेपी का चेहरा नहीं बनना चाहते |
पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लगता है कि यूपी की वर्तमान राजनीति में राजनाथ सिंह मुलायम सिंह यादव और मायावती के समकक्ष नेता हैं. फ़िलहाल केंद्र सरकार में गृहमंत्री होने के साथ साथ सरकार में नं. 2 की पोजीशन पर भी है. मायावती और मुलायम सिंह यादव की तुलना में एक बेदाग छवि के नेता हैं, जिन पर कभी भी कोई आरोप नहीं लगा है.
राजनाथ ने पार्टी को क्लियर कर दिया है कि वो यूपी चुनाव में बीजेपी का चेहरा नहीं बनना चाहते हैं. पार्टी यूपी में जहां प्रचार करने को कहेगी, प्रचार करेंगे. पार्टी ने बॉल उनके पाले में डाल दी है कि चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बन जाएं और यूपी में धुंआधार प्रचार करें. राजनाथ सिंह का मनाना है कि वो यूपी की राजनीति से बाहर निकल गए है. पिछले 14 साल से केंद्र की राजनीति करते हैं.
राजनाथ सिंह के करीबियों का मानना है कि यूपी में आज भी जातिगत राजनीति चलती है. मायावती और मुलायम सिंह दोनों यूपी की जिन दो बड़ी जातियों की राजनीती करते है उनका अपना एक विशेष वोट बैंक है. राजनाथ सिंह जिस जाति से आते है उसका वोट प्रतिशत उन दोनों जातियों जितना नहीं है. पिछले दो चुनावों में ये बात सिद्ध हुई है कि इन दोनों नेताओं में से जिसके साथ मुस्लिम और ब्राह्मण चला गया, उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है. राजनाथ सिंह ये जानते हैं कि यूपी की जातिगत राजनीती में उनकी जाति बहुत ज्यादा फिट नहीं बैठती है.
एक कारण ये भी 2014 में मोदी लहर यूपी से 71 सांसद जीत कर आये थे अभी तक जमींन पर उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं बन पाई है जो बननी चाहिए थी.
कार्यकारणी की बैठक के समय पुरे इलाहबाद में जिस तरह से वरुण गांधी ने पोस्टर लगा कर अपनी अपनी लोकप्रियता दिखाते हुए पार्टी नेतृव को ये जताने को कोशिश की कि वे सीएम पद के उम्मीदवार हैं, उसके बाद कल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यूपी के बीजेपी सांसदों की बैठक में साफ़ साफ़ कह दिया कि सीएम पद को लेकर बयानबाजी बंद होनी चाहिए.
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