प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सयुंक्त राष्ट्र के मंच से पूरी दुनिया को काफी स्ट्रॉन्ग मैसेज दिया है, खासकर दक्षिण एशियाई देशों को. चीन और पाकिस्तान का नाम लिये बगैर ही बहुत ही स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है - और अफगानिस्तान के बहाने नसीहतें भी.
संयुक्त राष्ट्र महासभा (nited Nations General Assembly) के 76वें सेशन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को ही मिसाल बना कर पेश किया और भारतीय लोकतंत्र की ताकत से रूबरू कराने की कोशिश की, "ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है... एक छोटा बच्चा जो कभी एक रेलवे स्टेशन की टी स्टॉल पर अपने पिता की मदद करता था वो आज चौथी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर रहा है." साथ ही, ये भी समझाये कि भारत ऐसा देश है जहां दर्जनों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां, अलग अलग जीवन शैलियां और व्यंजन हैं - और ये जीवंत लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण है.
लिहाजा याद रहे, मोदी ने अपने भाषण की अभिलाक्षणिक शैली और चेतावनी भरे लहजे में जताया भी और बताया भी - भारत बढ़ेगा तभी दुनिया बढ़ेगी... दुनिया भारत (When India Reform World Transform) को नजरअंदाज करके नहीं चल सकती. याद रहे. दुनिया अभी से गांठ बांध ले.
लगे हाथ प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ये भी समझाने की कोशिश की है कि भारत को नजरअंदाज करना महंगा साबित हो सकता है - और कुछ तथाकथित ताकतवर देशों की कठपुतली बना संयुक्त राष्ट्र अब भी नहीं सुधर पाया तो आने वाला समय उसे समाप्त करने में भी नहीं हिचकेगा - क्योंकि यही दस्तूर है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र में सुधार का भी ये एक तरीके से आखिरी मौका ही है.
सेवा परमो धर्मः
ठीक दो साल पहले सितंबर, 2019 में संयुक्त राष्ट्र...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सयुंक्त राष्ट्र के मंच से पूरी दुनिया को काफी स्ट्रॉन्ग मैसेज दिया है, खासकर दक्षिण एशियाई देशों को. चीन और पाकिस्तान का नाम लिये बगैर ही बहुत ही स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है - और अफगानिस्तान के बहाने नसीहतें भी.
संयुक्त राष्ट्र महासभा (nited Nations General Assembly) के 76वें सेशन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को ही मिसाल बना कर पेश किया और भारतीय लोकतंत्र की ताकत से रूबरू कराने की कोशिश की, "ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है... एक छोटा बच्चा जो कभी एक रेलवे स्टेशन की टी स्टॉल पर अपने पिता की मदद करता था वो आज चौथी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर रहा है." साथ ही, ये भी समझाये कि भारत ऐसा देश है जहां दर्जनों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां, अलग अलग जीवन शैलियां और व्यंजन हैं - और ये जीवंत लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण है.
लिहाजा याद रहे, मोदी ने अपने भाषण की अभिलाक्षणिक शैली और चेतावनी भरे लहजे में जताया भी और बताया भी - भारत बढ़ेगा तभी दुनिया बढ़ेगी... दुनिया भारत (When India Reform World Transform) को नजरअंदाज करके नहीं चल सकती. याद रहे. दुनिया अभी से गांठ बांध ले.
लगे हाथ प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ये भी समझाने की कोशिश की है कि भारत को नजरअंदाज करना महंगा साबित हो सकता है - और कुछ तथाकथित ताकतवर देशों की कठपुतली बना संयुक्त राष्ट्र अब भी नहीं सुधर पाया तो आने वाला समय उसे समाप्त करने में भी नहीं हिचकेगा - क्योंकि यही दस्तूर है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र में सुधार का भी ये एक तरीके से आखिरी मौका ही है.
सेवा परमो धर्मः
ठीक दो साल पहले सितंबर, 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को - युद्ध नहीं बुद्ध दिया है... पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया है.'
एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी ने उसी बात को आगे बढ़ाते हुए समझाने की कोशिश की है कि भारत का मंत्र है - 'सेवा परमो धर्मः' यानी सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. ड्यूटी है. कर्तव्य है.
कोविड 19 को लेकर दुनिया भर के देशों के निशाने पर रहे चीन के विस्तारवादी रवैये की तरफ इशारा तो किया ही, बोले, '...मैं दुनिया भर के टीका निर्माताओं को भी आमंत्रित करता हूं... वे आयें और भारत में टीके का उत्पादन करें.'
प्रधानमंत्री ने बताया कि मानवता के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए भारत ने एक बार फिर दुनिया भर के जरूरतमंद लोगों को वैक्सीन देना शुरू किया है और भारतीय वैज्ञानिक नेजल वैक्सीन तैयार करने में भी जुटे हैं, 'मैं संयुक्त राष्ट्र महासभा को ये जानकारी देना चाहता हूं... भारत ने दुनिया का पहला DNA वैक्सीन टीका विकसित कर लिया है जो 12 साल की उम्र से ऊपर के सभी लोगों को दिया जा सकता है.'
1. चीन को साफ साफ चेतावनी: 'हमारे समंदर अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा हैं... हमें विस्तार और बहिष्कार की दौड़ से उनकी सुरक्षा करनी चाहिये... अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को नियम आधारित विश्व व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए एक सुर में आवाज उठानी होगी.'
2. अफगानिस्तान पर दुनिया को आगाह किया: 'अफगानिस्तान की महिलाओं-बच्चों और अल्पसंख्यकों को मदद की जरूरत है - हमें ये मदद देकर अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिये.'
3. पाकिस्तान पर भी खतरा: 'जो देश आतंकवाद का इस्तेमाल एक राजनीतिक औजार के रूप में कर रहे हैं... ये समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी समान रूप से बड़ा खतरा है.'
दुनिया बढ़ना चाहती है तो भारत को आगे बढ़ने दे
'भारत बढ़ेगा तभी दुनिया बढ़ेगी' के नये नारे के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के तमाम मुल्कों को याद दिलाने की कोशिश की कि वो ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे लोकतंत्र की जननी के तौर पर जाना जाता है.
दमदार दलील के साथ अपनी बात रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आंकड़ों के जरिये भी भारत की ताकत को समझाने की कोशिश की. बोले, 'आज विश्व का हर छठा व्यक्ति भारतीय है... जब भारतीयों की प्रगति होती है, तो विश्व के विकास को भी गति मिलती है.'
और इसीलिए सबसे जरूरी है कि दुनिया ये तो कतई न भूले, 'जब भारत बढ़ेगा तो विश्व बढ़ेगा... जब भारत सुधार करेगा तब विश्व का कायापलट होगा.'
ये बातें बताती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच की परवाह नहीं करते और ऐसा कोई भी मौका नहीं चूकते जब ब्रांड मोदी को प्रमोट करने का मौका हो - ये बात मैडिसन स्क्वॉयर पर अपने रॉकस्टार रूप से ठीक पहले 2014 के आम चुनाव में भी दिखा चुके हैं - खुद ही ब्रांड मोदी को प्रोजेक्ट करने के फायदे भी पिछले सात साल में अलग अलग फोरम पर देखने को मिला है.
1. मोदी को ही वोट दो: गुजरात मॉडल के साथ दिल्ली का रुख किये नरेंद्र मोदी जब चुनाव कैपेंन के दौरान गुजरात मॉडल से लेकर अच्छे दिनों के आने की उम्मीद जगा चुके थे और तब तक काले धन के 15 लाख अकाउंट में आने को भी कोई जुमला नहीं समझ पाया था.
चुनाव प्रचार का आखिरी दौर आते आते बीजेपी के कैंपेन में बड़ा बदलाव महसूस किया गया जब मोदी खुद को आगे बढ़ कर प्रोजेक्ट करते हुए कहने लगे थे, 'भाइयों और बहनों मुझे वोट दो - मोदी को वोट दो!'
ये ब्रांड मोदी को स्थापित करने की पहली कवायद रही और पूरी तरह सफल भी रही - और आगे के दिनों में भी ब्रांड मोदी को बीजेपी से आगे आगे चलते देखा गया है.
2. हूं छूं गुजरात: मोदी के गुजरात से दिल्ली शिफ्ट होने के बाद पहले ही चुनाव में बीजेपी की हालत खराब होने लगी थी जब कांग्रेस की मुहिम 'विकास गांडो थायो छे' यानी 'विकास पागल हो गया है' का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोलने लगा था.
आखिरकार बीजेपी नेता अमित शाह को मोदी को ही मोर्चे पर लगाना पड़ा. जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात गौरव यात्रा के मंच से कहा, 'हूं छूं गुजरात, हूं छूं विकास,' बीजेपी के आगे का रास्ता साफ होने का बिगुल बज गया क्योंकि कांग्रेस को मजबूर मुहिम रोक देनी पड़ी.
ये भी ब्रांड मोदी के ही असर का कमाल था कि बीजेपी ने राजनीतिक विरोध को एक झटके में कुचल दिया - और मुश्किलों के बावजूद बहुमत तो हासिल कर ही ली.
3. मैं ही चौकीदार हूं: 2019 के आम चुनाव से पहले ही कांग्रेस नेता विधानसभा चुनावों में अपने नये स्लोगन का रिहर्सल कर चुके थे - चौकीदार चोर है. आम चुनाव के दौरान जब बीजेपी नेतृत्व ने कांग्रेस के कैंपेन से खतरा महसूस किया तो प्रधानिमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नाम से पहले चौकीदार जोड़ लिया - और उसके बाद तो ट्विटर पर बीजेपी नेताओं और समर्थकों में नाम से पहले चौकीदार जोड़ने की होड़ मच गयी.
एक बार फिर कांग्रेस का कैंपेन ब्रांड मोदी के आगे मुंह की खा गया. आम चुनाव के दौरान ही प्रधानमंत्री ने लोगों को ब्रांड मोदी की के ताकतवर होने का दुनिया में असर के बारे में समझाया था, ये कहते हुए कि भारी बहुमत के साथ चुनाव जीत कर जब भारत का प्रधामंत्री दुनिया के किसी मंच पर खड़ा हो तो देश की ताकत का प्रतिनिधित्व करता दिखायी दे.
तब देश के लोगों ने भी वैसा ही किया जैसा मोदी ने समझाया था - और आज ये ब्रांड मोदी की ही ताकत है जो प्रधानमंत्री को दुनिया का मंच मिला तो जी भर के मन की बात की.
क्या इससे भी बड़ी बात भी हो सकती है कि संयुक्त राष्ट्र के मंच से ही उसे सुधर जाने के लिए आगाह किया जाये?
और साथ में ये सख्त चेतावनी भरे लहजे में ये भी समझाया जाये कि अगर नहीं सुधर सका तो मिट्टी में मिलते भी देर नहीं लगने वाली है!
संयुक्त राष्ट्र को अपनी बात समझाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने आचार्य चाणक्य का उद्धरण पेश किया और ध्यान दिलाया कि आज संयुक्त राष्ट्र के बारे में तमाम तरह के सवाल उठाये जा रहे हैं.
चाणक्य के हवाले से ही मोदी ने समझाया कि 'जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है.' ऐसी सूरत में बेहद जरूरी है, मोदी ने कहा, 'अगर संयुक्त राष्ट्र को प्रासंगिक बने रहना है तो उसे अपनी प्रभावशीलता में सुधार करना होगा - और विश्वसनीयता बढ़ानी होगी.'
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जहां प्रधानमंत्री के संयुक्त राष्ट्र के संबोधन को 'देश को गौरवान्वित करने वाला' बताया है, वहीं कांग्रेस नेता पी. चिदंबर में निराशा जतायी है. चिदंबरम ट्विटर पर लिखते हैं, 'जब प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया तो मुझे काफी निराशा हुई कि कुछ ही सीटें भरी हुई थीं - और ज्यादा निराशा तब हुई जब किसी ने ताली भी नहीं बजाई.'
कांग्रेस नेता ने सही सवाल उठाया है, लेकिन सवाल ये भी है कि जब संयुक्त राष्ट्र के मंच से ही कोई ये कहे कि सुधर जाओ वरना समय तुम्हें हमेशा के लिए समाप्त कर देगा - तो ताली बजाने के लिए हाथ भला उठेंगे क्या?
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