जो ज्योतिष समझते होंगे या जिन्हें थोड़ी बहुत भी ज्योतिष की समझ होगी जानते होंगे कि शनि में सामर्थ्य है कि वो रंक को राजा और राजा को रंक बना दे. पुराणों के अनुसार शनि को कर्म फल दाता तो माना ही जाता है साथ ही शनि के विषय में ये तक कहा गया है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है. शनि को लेकर एक तथ्य ये भी है कि जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डित करता है. ये बातें शनि की साधारण अवस्था से जुड़ी हैं. स्थिति गंभीर तब होती है जब शनि वक्री होता है. कहा गया है कि यदि शनि वक्री हो तो व्यक्ति को अपनी महत्वाकांक्षाओं एवं असीमित इच्छाओं पर अंकुश लगाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि शनि के वक्री काल में व्यक्ति असुरक्षित, अंतर्विरोधी, असंतोषी, अशांत हो जाता है. ऐसे व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी आ जाती है. सर्वशक्तिशाली होते हुए भी व्यक्ति कई गलतियां कर बैठता है, जिस पर उसे बाद में पछताना पड़ता है. एक तरफ ये बातें हैं. दूसरी तरफ पंजाब है. पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी हैं और वक्री शनि की अवस्था में नवजोत सिंह सिद्धू हैं. जैसे हालात पंजाब में हैं चन्नी की साढ़े साती चल रही है और वक्री शनि बने सिद्धू की महादशा पंजाब चुनावों तक बदस्तूर जारी रहेगी.
बताते चलें कि पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ज़िंदगी में भूचाल लाने के बाद अब नवजोत सिंह सिद्धू की नजर राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर है. सिद्धू ने अपने पुराने तेवर जारी रखते हुए घोषणा की है कि अगर चन्नी सरकार नशीले पदार्थों और बेअदबी की घटना पर रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करती है तो वह भूख...
जो ज्योतिष समझते होंगे या जिन्हें थोड़ी बहुत भी ज्योतिष की समझ होगी जानते होंगे कि शनि में सामर्थ्य है कि वो रंक को राजा और राजा को रंक बना दे. पुराणों के अनुसार शनि को कर्म फल दाता तो माना ही जाता है साथ ही शनि के विषय में ये तक कहा गया है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है. शनि को लेकर एक तथ्य ये भी है कि जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डित करता है. ये बातें शनि की साधारण अवस्था से जुड़ी हैं. स्थिति गंभीर तब होती है जब शनि वक्री होता है. कहा गया है कि यदि शनि वक्री हो तो व्यक्ति को अपनी महत्वाकांक्षाओं एवं असीमित इच्छाओं पर अंकुश लगाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि शनि के वक्री काल में व्यक्ति असुरक्षित, अंतर्विरोधी, असंतोषी, अशांत हो जाता है. ऐसे व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी आ जाती है. सर्वशक्तिशाली होते हुए भी व्यक्ति कई गलतियां कर बैठता है, जिस पर उसे बाद में पछताना पड़ता है. एक तरफ ये बातें हैं. दूसरी तरफ पंजाब है. पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी हैं और वक्री शनि की अवस्था में नवजोत सिंह सिद्धू हैं. जैसे हालात पंजाब में हैं चन्नी की साढ़े साती चल रही है और वक्री शनि बने सिद्धू की महादशा पंजाब चुनावों तक बदस्तूर जारी रहेगी.
बताते चलें कि पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ज़िंदगी में भूचाल लाने के बाद अब नवजोत सिंह सिद्धू की नजर राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर है. सिद्धू ने अपने पुराने तेवर जारी रखते हुए घोषणा की है कि अगर चन्नी सरकार नशीले पदार्थों और बेअदबी की घटना पर रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करती है तो वह भूख हड़ताल करेंगे.
मामले में दिलचस्प ये कि भले ही नशीली दवाओं के मुद्दे पर राज्य एजेंसियों द्वारा रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी गई है लेकिन सिद्धू यही चाहते हैं कि इन मुद्दों पर सरकार लोगों के साथ निष्कर्ष साझा करे. सरकार का यूं इस तरह विरोध वजनदार लगे इसलिए सिद्धू ने कहा है कि , पार्टी (कांग्रेस) नशीली दवाओं के उन्मूलन का वादा कर सत्ता में आई. इसलिए अगर सरकार ने ड्रग रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया तो मैं भूख हड़ताल पर जाऊंगा.
वहीं सिद्धू ने बातों बातों में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी निशाना साधा है और कहा है कि हमें यह दिखाने की जरूरत है कि पिछले मुख्यमंत्री (कप्तान अमरिंदर सिंह) इन रिपोर्टों पर क्यों चुप बैठे रहे. अब मौजूदा सरकार को इन रिपोर्टों का खुलासा करने की जरूरत है. अदालत ने पंजाब सरकार को रिपोर्ट सामने लाने से नहीं रोका है.
बात आगे बढ़ाने से पहले ये बता देना बहुत जरूरी हैकि पंजाब कांग्रेस में आंतरिक कलह को एक साल से ज्यादा का समय हो गया है. कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद और पार्टी दोनों ही छोड़ चुके हैं. चन्नी वर्तमान मुख्यमंत्री हैं लेकिन बावजूद इसके पार्टी में गतिरोध बना हुआ है. सिद्धू का प्रयास यही है कि किसी भी सूरत में राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी उन्हें मिल जाए.
ये बात यूं ही नहीं है. हाल फिलहाल में तमाम मौके ऐसे आए हैं जब अपने व्यवहार से सिद्धू ने अपने दिल में छिपी इच्छा को जाहिर किया है.गौरतलब है कि मौजूदा वक्त में पंजाब में जो भी बवाल देखने को मिला है उसमें सिद्धू ने सारी फील्डिंग अपने लिए की थी, लेकिन लॉटरी लग गई चन्नी की. विषय बहुत सीधा है. सिद्धू आगामी चुनाव की कप्तानी अपने हाथ में चाह रहे हैं, जबकि चन्नी चाहते हैं कि जो गद्दी उनकी हाथ में आई है, वो छिन न जाए.
चाहे चन्नी हों या सिद्धू आपसी झगड़े के बीच दोनों को खतरा पंजाब में तेजी के साथ उभरती आम आदमी पार्टी से भी है. चन्नी और सिद्धू दोनों ही इस बात को लेकर डरे हैं कि कहीं दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर को ऐसा फायदा न मिल जाए जिसका अफसोस उन्हें जीवन भर रहे. बात चूंकि पंजाब कांग्रेस को दिन में तारे दिखाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू की हुई है. तो पंजाब विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जैसा नवजोत सिंह सिद्धू का रुख है वो यही चाहते हैं कि वो रोज नए हेडलाइन देते रहे, और उनके अप्रत्यक्ष नेतृत्व में कांग्रेस सरकार चलती दिखाई दे.
पंजाब में सिद्धू और चन्नी के बीच गतिरोध का लेवल क्या है इसे उस घटना से भी समझ सकते हैं जब चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण के कुछ दिनों बाद सिद्धू ने राज्य पुलिस प्रमुख और महाधिवक्ता के लिए मुख्यमंत्री की पसंद पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी.
वहीं गुजरे महीने ही सिद्धू ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर 'प्राथमिकता वाले क्षेत्रों' और 2017 के चुनावों से पहले किए गए वादों पर एक 13-सूत्रीय एजेंडा सूचीबद्ध करते हुए कहा था कि 'राज्य सरकार को इन्हें अवश्य ही पूरा करना चाहिए'. सिद्धू के सुझावों में ड्रग्स के मामलों में गिरफ्तारी, कृषि के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण और 'केबल माफिया' को नियंत्रित करने के लिए कानून शामिल थे.
बहरहाल, उधर, चन्नी अपनी नाक बचाते हुए सिद्धू को 'दुष्ट ग्रह' बनने से रोक रहे हैं. सिद्धू की मांगें मानना उनके लिए सिद्धू को मोती की अंगूठी पहनाने जैसा है. ताकि वो शांत बने रहें. और कांग्रेस और पंजाब सरकार की फजीहत न कराएं.
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