पाकिस्तान पर हमेशा ही आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगता रहा है. कई बार तो भारत पर आतंकी हमले कराने का आरोप भी लगा, लेकिन वह हमेशा इन आरोपों को नकारता रहा. लेकिन अब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खुद ये स्वीकार किया है कि मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकियों का ही हाथ था. उन्होंने माना है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को पनाह मिली हुई है. नवाज शरीफ के इस बयान के बाद पाकिस्तान के चेहरे से नकाब हट चुका है और उसकी असलियत सबके सामने आ गई है. खैर, नवाज शरीफ ने भले ही पाकिस्तान के खिलाफ या यूं कहें कि पाकिस्तान द्वारा किए गए गलत काम के खिलाफ बोला है, लेकिन इसका ये बिल्कुल मतलब नहीं है कि अब वो शरीफ हो गए हैं.
भरोसे के काबिल नहीं है पाकिस्तान
नवाज शरीफ ने भले ही 26/11 हमले पर अपनी गलती स्वीकार कर ली है, लेकिन इससे ये भी साफ हो गया है कि पाकिस्तान भरोसे के काबिल नहीं है. अभी नवाज शरीफ पाकिस्तान के खिलाफ सुर बुलंद करते नजर आ रहे हैं, क्योंकि वो सत्ता से बाहर हैं, जब वो सत्ता में होते हैं तो कुछ अलग ही बातें करते हैं. उस समय उनकी बातें और हरकतें दोनों ही भारत के खिलाफ होती हैं. जिस मुंबई हमले पर नवाज शरीफ कबूलनामा करते दिख रहे हैं, उसमें गिरफ्तार किए गए आतंकी कसाब को पाकिस्तान ने कभी अपना नागरिक माना ही नहीं. हमेशा पाकिस्तान यही कहता रहा कि उसका हमले में कोई हाथ नहीं है.
क्या कहा है नवाज शरीफ ने?
नवाज शरीफ ने 'द डॉन' अखबार को दिए इंटरव्यू में ये सारी बातें कही हैं. उन्होंने कहा- 'आप एक देश को नहीं चला सकते, जब दो या तीन समानांतर सरकारें चल रही हों. यह रोकना होगा. सिर्फ एक ही सरकार हो सकती है, जो...
पाकिस्तान पर हमेशा ही आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगता रहा है. कई बार तो भारत पर आतंकी हमले कराने का आरोप भी लगा, लेकिन वह हमेशा इन आरोपों को नकारता रहा. लेकिन अब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खुद ये स्वीकार किया है कि मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकियों का ही हाथ था. उन्होंने माना है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को पनाह मिली हुई है. नवाज शरीफ के इस बयान के बाद पाकिस्तान के चेहरे से नकाब हट चुका है और उसकी असलियत सबके सामने आ गई है. खैर, नवाज शरीफ ने भले ही पाकिस्तान के खिलाफ या यूं कहें कि पाकिस्तान द्वारा किए गए गलत काम के खिलाफ बोला है, लेकिन इसका ये बिल्कुल मतलब नहीं है कि अब वो शरीफ हो गए हैं.
भरोसे के काबिल नहीं है पाकिस्तान
नवाज शरीफ ने भले ही 26/11 हमले पर अपनी गलती स्वीकार कर ली है, लेकिन इससे ये भी साफ हो गया है कि पाकिस्तान भरोसे के काबिल नहीं है. अभी नवाज शरीफ पाकिस्तान के खिलाफ सुर बुलंद करते नजर आ रहे हैं, क्योंकि वो सत्ता से बाहर हैं, जब वो सत्ता में होते हैं तो कुछ अलग ही बातें करते हैं. उस समय उनकी बातें और हरकतें दोनों ही भारत के खिलाफ होती हैं. जिस मुंबई हमले पर नवाज शरीफ कबूलनामा करते दिख रहे हैं, उसमें गिरफ्तार किए गए आतंकी कसाब को पाकिस्तान ने कभी अपना नागरिक माना ही नहीं. हमेशा पाकिस्तान यही कहता रहा कि उसका हमले में कोई हाथ नहीं है.
क्या कहा है नवाज शरीफ ने?
नवाज शरीफ ने 'द डॉन' अखबार को दिए इंटरव्यू में ये सारी बातें कही हैं. उन्होंने कहा- 'आप एक देश को नहीं चला सकते, जब दो या तीन समानांतर सरकारें चल रही हों. यह रोकना होगा. सिर्फ एक ही सरकार हो सकती है, जो संवैधानिक तरीके से चुनी गई हो.' 'आतंकी संगठन एक्टिव हैं, क्या हमें उन्हें सीमा पार करने और मुंबई में 150 लोगों की हत्या करने की इजाजत दे देनी चाहिए?' रावलपिंडी आतंकरोधी अदालत में मुंबई हमलों का ट्रायल लंबित होने का हवाला देते हुए नवाज शरीफ ने कहा, 'आखिर हमने सुनवाई क्यों नहीं पूरी की?' यहां आपको बता दें कि पाकिस्तान हमेशा ही 2008 के मुंबई हमलों में उसकी कोई भूमिका न होने की बात कहता रहा है.
पीठ में छुरा भोंकने की बात पहले ही कबूल चुके हैं शरीफ
ऐसा पहली बार नहीं है जब नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई बात कही हो. इससे पहले भी वह पाकिस्तान के खिलाफ बोल चुके हैं. करगिल की बात करते हुए नवाज शरीफ पहले ही कह चुके हैं कि पाकिस्तान ने भारत की पीठ में छुरा भोंकने का काम किया था. इस वीडियो को देख लीजिए, सब साफ हो जाएगा.
वो डोजियर मांगता रहता है, हम देते रहते हैं
मुंबई में 1993 में हुए बम धमाकों को कौन भूला है? इसके मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान में होने की बात से भी पाक इनकार करता रहा. भारतीय खुफिया एजेंसियों को इसके सबूत मिलते रहते हैं और भारत की ओर से पाकिस्तान को डोजियर दिया जाता रहता है. डोजियर से ये तक पता चला है कि दाऊद के ठिकाने पाकिस्तान के कराची और राजधानी इस्लामाबाद तक के में है, लेकिन अभी तक न तो दाऊद पकड़ में आया है ना ही पाक ने कभी ये माना है कि वह पाकिस्तान में है.
ऐसे कैसे होगी शांति वार्ता?
हाफिज सईद सहित मुंबई हमले से जुड़े आतंकियों पर कोर्ट केस नतीजे तक नहीं पहुंचे. उन्हें जमानत मिली. कोर्ट ने कहा कि आरोप साबित करने लायक नहीं. जब एक आतंकी इतनी आसानी से रिहा हो जाएगा, पाकिस्तान की कोर्ट उसे सजा भी नहीं दे सकेगी, तो फिर दोनों देशों के बीच शांति वार्ता कैसे हो सकती है? भले ही बातचीत से मामला सुलझाने की कितनी भी बातें की जाएं, लेकिन अगर पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज नहीं आता है तो शांति वार्ता होना मुमकिन नहीं है.
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