आगे से नहीं होगा... कोर्ट में इन शब्दों के साथ भले ही एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने अपने किये पर मिट्टी डालने का प्रयास किया हो लेकिन माफी के बाद नवाब मलिक की विश्वसनीयता संदेह के घेरों में आ चुकी है. सवाल ये है कि कल तक जो नवाब मालिक मुंबई ड्रग्स केस में एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ सबूतों की झड़ी लगाए हुए थे आखिर कोर्ट से माफी मांगकर उन्होंने साबित क्या किया? ध्यान रहे कि नवाब मलिक ने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े और उनके परिवार के बारे में सार्वजनिक टिप्पणी करने पर बॉम्बे हाई कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी. इस माफी प्रकरण में दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने पूर्व में यह आश्वासन दिया था कि वह ऐसा नहीं करेंगे.
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि नवाब मलिक के वकील अस्पी चिनॉय ने मंत्री का एक एफिडेविट पेश किया है जिसमें उन्होंने अदालत के 29 नवंबर के आदेश का उल्लंघन करने के लिए माफी मांगी है. अपने हलफनामे में नवाब मलिक ने कहा है कि अपने स्वयं के आश्वासन का उल्लंघन करके अदालत का अपमान करने का उनका कोई इरादा नहीं था.
अपने एफिडेविट में नवाब मलिक ने यह दलील दी कि उन्होंने टिप्पणी एक इंटरव्यू के दौरान कीं थी और वह सोशल मीडिया पोस्ट या सार्वजनिक टिप्पणियों का हिस्सा नहीं थी. हलफनामे में मलिक की तरफ से कहा गया है कि, '‘मैं 25 नवंबर और 29 नवंबर को दिए गए आश्वासन के उल्लंघन के मामले में इस अदालत से बिना शर्त माफी मांगता हूं.'
बॉम्बे हाई कोर्ट से नवाब मलिक ने ये भी कहा है कि हाई कोर्ट जब तक समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि केस पर सुनवाई नहीं कर...
आगे से नहीं होगा... कोर्ट में इन शब्दों के साथ भले ही एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने अपने किये पर मिट्टी डालने का प्रयास किया हो लेकिन माफी के बाद नवाब मलिक की विश्वसनीयता संदेह के घेरों में आ चुकी है. सवाल ये है कि कल तक जो नवाब मालिक मुंबई ड्रग्स केस में एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ सबूतों की झड़ी लगाए हुए थे आखिर कोर्ट से माफी मांगकर उन्होंने साबित क्या किया? ध्यान रहे कि नवाब मलिक ने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े और उनके परिवार के बारे में सार्वजनिक टिप्पणी करने पर बॉम्बे हाई कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी. इस माफी प्रकरण में दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने पूर्व में यह आश्वासन दिया था कि वह ऐसा नहीं करेंगे.
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि नवाब मलिक के वकील अस्पी चिनॉय ने मंत्री का एक एफिडेविट पेश किया है जिसमें उन्होंने अदालत के 29 नवंबर के आदेश का उल्लंघन करने के लिए माफी मांगी है. अपने हलफनामे में नवाब मलिक ने कहा है कि अपने स्वयं के आश्वासन का उल्लंघन करके अदालत का अपमान करने का उनका कोई इरादा नहीं था.
अपने एफिडेविट में नवाब मलिक ने यह दलील दी कि उन्होंने टिप्पणी एक इंटरव्यू के दौरान कीं थी और वह सोशल मीडिया पोस्ट या सार्वजनिक टिप्पणियों का हिस्सा नहीं थी. हलफनामे में मलिक की तरफ से कहा गया है कि, '‘मैं 25 नवंबर और 29 नवंबर को दिए गए आश्वासन के उल्लंघन के मामले में इस अदालत से बिना शर्त माफी मांगता हूं.'
बॉम्बे हाई कोर्ट से नवाब मलिक ने ये भी कहा है कि हाई कोर्ट जब तक समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि केस पर सुनवाई नहीं कर लेता, तब तक वह वानखेड़े परिवार के बारे में कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करेंगे.
वहीं अपने एफिडेविट में मलिक ने ये भी कहा है कि, ‘हालांकि, मुझे विश्वास है कि मेरा बयान मुझे केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग और उनके अधिकारियों के आधिकारिक कर्तव्य निर्वहन के दौरान उनके आचरण पर टिप्पणी करने से नहीं रोकेगा.
गौरतलब है कि अदालत ने नवाब मलिक की माफी को स्वीकार कर लिया है. वहीं कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि मलिक अपने आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन में समीर वानखेड़े के पिछले आचरण पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. अदालत ने कहा कि किसी भी टिप्पणी को वर्तमान या भविष्य तक सीमित रखा जाना चाहिए.
मामले के मद्देनजर कोर्ट में तमाम तरह के तर्क वितर्क हुए हैं. तरह तरह की बातें भी हुई हैं मगर जिस तरह नवाब मलिक ने माफी मांगते हुए सारा मलबा मीडिया के सिर पर डाला वो इसलिए भी विचलित करता है कि इस बार कोई भी बात देश की मीडिया ने अपने मन से नहीं की थी.
भले ही सारा दोष नवाब मलिक ने मीडिया के कंधों पर डाल दिया हो लेकिन मीडिया ने हू-ब-हू वही दिखाया जो नवाब मलिक ने मुंबई ड्रग्स केस में शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद मीडिया को बताया था.
बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना भी बहुत जरूरी है कि 29 नवंबर को मानहानि केस में सुनवाई के दौरान नवाब मलिक ने खुद कोर्ट को ये आश्वासन दिया था कि वह वानखेड़े परिवार के खिलाफ सार्वजनिक बयान नहीं देंगे या सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट नहीं करेंगे. अब जबकि नवाब ने कोर्ट में अपने किये के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहरा ही दिया है तो ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि नवाब अब पूरे मामले में सिम्पैथी जुटा रहे हैं.
बहरहाल बात कोर्ट में माफी की हुई है. तो जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं इस माफी से नवाब मलिक ने अपनी विश्वसनीयता को सवालों के घेरे में रखा है. आज पब्लिक उन सबूतों को भी शक की निगाह से देख रही है जो नवाब मलिक ने मुंबई ड्रग्स केस के मद्देनजर समीर वानखेड़े के खिलाफ रखे थे. कहना गलत नहीं है कि अदालत में माफ़ी के बाद वो तमाम लोग मायूस हैं जो नवाब मलिक के खेमे में थे और जिन्हें आर्यन खान मासूम लग रहे थे.
खैर मामले के मद्देनजर और माफ़ी के बाद सवाल फिर वही है कि आखिर एनसीपी नेता नवाब मलिक ने साबित क्या किया?
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