आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है. इसके साथ ही पूरा मीडिया नेताजी की मौत के रहस्य पर तरह तरह की मसालेदार खबरें बांटने में लगा है. लेकिन इसका सच बिल्कुल अलग है. उनकी मृत्यु को लेकर एक के बाद एक कई बातें सामने आईं और ज्यादातर मनगढ़ंत और झूठी निकलीं. अब जबकि 2016 के अगस्त में ही नेताजी के निधन से जुड़ी हर बकवास पर लगाम लग जानी चाहिए थी. लेकिन सिलसिला अब भी जारी है.
2016 में पहली बार ऐसा दस्तावेज़ सामने आया जिसे न तो कोई चुनौती दे सकता है और न ही उसकी विश्वसनीयता पर कोई सवाल है. नेताजी से जुड़ा ये सरकारी दस्तावेज़ 1 अगस्त 2016 को जापान की सरकार ने सार्वजनिक किया. ये दस्तावेज 60 साल पुराना है. इसमें सबूत है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान हादसे में हुई थी. यह दस्तावेज नेताजी के बारे में आधिकारिक विवरण का समर्थन करता है. नेताजी के निधन के इर्द-गिर्द की परिस्थितियों से संबंधित दस्तावेजी सबूत के लिए स्थापित ब्रिटिश वेबसाइट 'बोसफाइल्स डॉट इन्फो' ने लिखा- यह पहली बार है जब ‘दिवंगत सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की वजह और अन्य तथ्यों पर जांच’ शीर्षक वाली रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है क्योंकि जापानी अधिकारियों और भारत सरकार ने इसे गुप्त रखा था.
वेबसाइट का कहना है कि रिपोर्ट जनवरी 1956 में पूरी हुई और तोक्यो में भारतीय दूतावास को सौंपी गई. लेकिन क्योंकि यह एक गोपनीय दस्तावेज था, इसलिए इसे कभी जारी नहीं किया गया. सात पन्नों का ये दस्तावेज जापानी भाषा में है. 10 पन्नों में इंग्लिश में इसका अनुवाद किया गया है. यह रिपोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि नेताजी 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे के शिकार हो गए थे और उसी दिन शाम को ताइपेई के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया था. रिपोर्ट...
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है. इसके साथ ही पूरा मीडिया नेताजी की मौत के रहस्य पर तरह तरह की मसालेदार खबरें बांटने में लगा है. लेकिन इसका सच बिल्कुल अलग है. उनकी मृत्यु को लेकर एक के बाद एक कई बातें सामने आईं और ज्यादातर मनगढ़ंत और झूठी निकलीं. अब जबकि 2016 के अगस्त में ही नेताजी के निधन से जुड़ी हर बकवास पर लगाम लग जानी चाहिए थी. लेकिन सिलसिला अब भी जारी है.
2016 में पहली बार ऐसा दस्तावेज़ सामने आया जिसे न तो कोई चुनौती दे सकता है और न ही उसकी विश्वसनीयता पर कोई सवाल है. नेताजी से जुड़ा ये सरकारी दस्तावेज़ 1 अगस्त 2016 को जापान की सरकार ने सार्वजनिक किया. ये दस्तावेज 60 साल पुराना है. इसमें सबूत है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान हादसे में हुई थी. यह दस्तावेज नेताजी के बारे में आधिकारिक विवरण का समर्थन करता है. नेताजी के निधन के इर्द-गिर्द की परिस्थितियों से संबंधित दस्तावेजी सबूत के लिए स्थापित ब्रिटिश वेबसाइट 'बोसफाइल्स डॉट इन्फो' ने लिखा- यह पहली बार है जब ‘दिवंगत सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की वजह और अन्य तथ्यों पर जांच’ शीर्षक वाली रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है क्योंकि जापानी अधिकारियों और भारत सरकार ने इसे गुप्त रखा था.
वेबसाइट का कहना है कि रिपोर्ट जनवरी 1956 में पूरी हुई और तोक्यो में भारतीय दूतावास को सौंपी गई. लेकिन क्योंकि यह एक गोपनीय दस्तावेज था, इसलिए इसे कभी जारी नहीं किया गया. सात पन्नों का ये दस्तावेज जापानी भाषा में है. 10 पन्नों में इंग्लिश में इसका अनुवाद किया गया है. यह रिपोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि नेताजी 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे के शिकार हो गए थे और उसी दिन शाम को ताइपेई के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया था. रिपोर्ट में जांच परिणाम के प्रारूप में लिखा है, "उड़ान भरने के तत्काल बाद विमान नीचे गिर पड़ा, जिसमें वह (बोस) सवार थे और वह घायल हो गए." इसमें आगे कहा गया है कि- "शाम को करीब तीन बजे उन्हें ताइपेई सैन्य अस्पताल की नानमोन शाखा ले जाया गया और शाम करीब सात बजे उनका देहांत हो गया."
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 22 अगस्त को ताइपेई निगम श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था. घटना का अधिक ब्योरा देते हुए रिपोर्ट कहती है कि- "विमान के उड़ान भरने और जमीन से करीब 20 मीटर ऊपर उठने के बाद इसके बाएं पंख की तीन पंखुड़ी वाले प्रोपेलर की एक पंखुड़ी अचानक टूट गई और इंजन गिर पड़ा."
इसमें कहा गया है कि विमान असंतुलित हो गया और हवाई पट्टी के पास कंकड़-पत्थरों के ढेर पर गिर गया. कुछ ही देर में यह आग की लपटों से घिर गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि आग की लपटों से घिरे बोस विमान से उतरे, एड्जूटेंट रहमिन कर्नल हबीबुर रहमान और अन्य यात्रियों ने उनके कपड़ों में लगी आग बुझाने की कोशिश की. लेकिन तब तक उनका शरीर बुरी तरह झुलस गया था. नेताजी तब 48 साल के थे. वेबसाइट के अनुसार उनकी मौत से संबंधित जापान सरकार की रिपोर्ट शाहनवाज खान समिति की रिपोर्ट का समर्थन करती है. यह समिति तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने गठित की थी जिसने 1956 में इस मामले में जांच की थी.
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