दिल्ली के नतीजे आते ही चुनावी गहमागहमी अचानक पटना शिफ्ट हो जाती है. दिल्ली में भी राष्ट्रवाद की शुरुआत कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) के नाम पर ही शुरू हुई थी - और धीरे धीरे मुद्दा शाहीन बाग (Shaheen Bagh) पर फोकस हो गया. कन्हैया कुमार फिलहाल बिहार यात्रा पर निकले हैं और जहां कहीं भी जा रहे हैं बवाल होने लगता है फिर पुलिस को मामला संभालना पड़ता है. आरा में तो लोगों के हमले से स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि कन्हैया कुमार को जान बचाकर भागना पड़ा. बताते हैं कि कन्हैया कुमार के काफिले में शामिल कई लोग जख्मी हो गये हैं. जमुई में भी कन्हैया कुमार के काफिले पर लोगों ने हमला बोला था - और जमुई से नवादा के रास्ते में अंडे और मोबिल ऑयल फेंके गये. बीच बीच में कन्हैया कुमार के समर्थकों और स्थानीय लोगों में झड़प भी हो रही है और कई बार उनके समर्थक मीडिया से भी भिड़ जा रहे हैं.
NDA के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खिलाफ एक नया नाम भी सामने आ चुका है - शरद यादव (Sharad Yadav). जेडीयू से बगावत और फिर अलग होने के बाद से शरद यादव कोई स्थायी ठिकाना नहीं खोज पाये हैं और रह रह कर विपक्षी जमावड़े के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं. ऐसा लगता है कि बिहार चुनाव (Bihar Assembly Election) में भी विपक्ष महागठबंधन के बैनर तले आम चुनाव जैसी ही तैयारी कर रहा है. तैयारियों में भी बहुत फर्क नहीं लगता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह नीतीश कुमार को भी चुनौती देने वालों में ममता-माया और राहुल गांधी जैसे किरदार भी बिहार चुनाव में उभरते नजर आने लगे हैं .
नीतीश के मुकाबले शरद यादव का नाम भी आ चुका है
बिहार से खबर आ रही है कि महागठबंधन में भी मुख्यमंत्री पद के एक से ज्यादा दावेदार हो चुके हैं. मुख्यमंत्री पद के लिए आरजेडी और कांग्रेस की पसंद को दरकिनार करते हुए उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी ने शरद यादव का नाम सुझाया है. शरद यादव के नाम पर VIP के नेता मुकेश साहनी भी सपोर्ट में खड़े हो गये हैं.
नीतीश...
दिल्ली के नतीजे आते ही चुनावी गहमागहमी अचानक पटना शिफ्ट हो जाती है. दिल्ली में भी राष्ट्रवाद की शुरुआत कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) के नाम पर ही शुरू हुई थी - और धीरे धीरे मुद्दा शाहीन बाग (Shaheen Bagh) पर फोकस हो गया. कन्हैया कुमार फिलहाल बिहार यात्रा पर निकले हैं और जहां कहीं भी जा रहे हैं बवाल होने लगता है फिर पुलिस को मामला संभालना पड़ता है. आरा में तो लोगों के हमले से स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि कन्हैया कुमार को जान बचाकर भागना पड़ा. बताते हैं कि कन्हैया कुमार के काफिले में शामिल कई लोग जख्मी हो गये हैं. जमुई में भी कन्हैया कुमार के काफिले पर लोगों ने हमला बोला था - और जमुई से नवादा के रास्ते में अंडे और मोबिल ऑयल फेंके गये. बीच बीच में कन्हैया कुमार के समर्थकों और स्थानीय लोगों में झड़प भी हो रही है और कई बार उनके समर्थक मीडिया से भी भिड़ जा रहे हैं.
NDA के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खिलाफ एक नया नाम भी सामने आ चुका है - शरद यादव (Sharad Yadav). जेडीयू से बगावत और फिर अलग होने के बाद से शरद यादव कोई स्थायी ठिकाना नहीं खोज पाये हैं और रह रह कर विपक्षी जमावड़े के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं. ऐसा लगता है कि बिहार चुनाव (Bihar Assembly Election) में भी विपक्ष महागठबंधन के बैनर तले आम चुनाव जैसी ही तैयारी कर रहा है. तैयारियों में भी बहुत फर्क नहीं लगता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह नीतीश कुमार को भी चुनौती देने वालों में ममता-माया और राहुल गांधी जैसे किरदार भी बिहार चुनाव में उभरते नजर आने लगे हैं .
नीतीश के मुकाबले शरद यादव का नाम भी आ चुका है
बिहार से खबर आ रही है कि महागठबंधन में भी मुख्यमंत्री पद के एक से ज्यादा दावेदार हो चुके हैं. मुख्यमंत्री पद के लिए आरजेडी और कांग्रेस की पसंद को दरकिनार करते हुए उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी ने शरद यादव का नाम सुझाया है. शरद यादव के नाम पर VIP के नेता मुकेश साहनी भी सपोर्ट में खड़े हो गये हैं.
नीतीश कुमार के मुकाबले शरद यादव कहां तक टिक पाते हैं ये इस बात पर निर्भर करता है कि महागठबंधन के सभी पार्टनर सहमत होते हैं या नहीं. 74 साल के शरद यादव काफी सीनियर नेता हैं और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. वो लंबे समय तक नीतीश कुमार वाली पार्टी जेडीयू के भी अध्यक्ष रह चुके हैं. हालांकि, शरद यादव के अध्यक्ष रहते भी जेडीयू में नीतीश कुमार की ही चलती रही.
शरद यादव की स्थिति भी फिलहाल वैसी ही है जैसी नीतीश कुमार की 2005 के विधानसभा चुनाव के वक्त रही. मुश्किल ये है कि नीतीश कुमार के पास तब भी बताने को काफी कुछ रहा कि रेल मंत्री रहते वो बिहार के लिए क्या क्या किये थे. कहने को तो जेडीयू शासन में शरद यादव का अध्यक्ष होना भी बताने के काम आ सकता है, लेकिन वो भी तो नीतीश कुमार के ही खाते में जाएगा.
वैसे मुख्यमंत्री पद को लेकर शरद यादव और नीतीश कुमार की तुलना तभी ठीक होगी जब महागठबंधन के सभी दल उनके नाम पर सहमत होकर सामने आयें.
राहुल गांधी की भूमिका में तेजस्वी यादव हैं
आरजेडी ने पहले से ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर रखा है. ये भी बिलकुल वैसे ही है जैसे राहुल गांधी कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार बन जाते हैं - और विपक्षी खेमे में झगड़ा शुरू हो जाता है. बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव की भूमिका भी राहुल गांधी वाली लगने लगी है.
आरजेडी ने साफ तौर पर बोल दिया है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसी का नेता मुख्यमंत्री का चेहरा होगा. आरजेडी का वारिस तो लालू प्रसाद ने जेल जाने से पहले ही घोषित कर दिया था - और तभी से लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती खफा रहती हैं. मीसा भारती की अगर प्रियंका गांधी से तुलना करें तो बड़ी बहन होने के नाते वो राजनीति में पहले से हैं, इसलिए हक तो उनका भी बनता था, लेकिन लालू प्रसाद ने तेजस्वी को ही आरजेडी का अगला नेता बना दिया. तकरीबन वैसे ही जैसे कांग्रेस में राहुल गांधी के बाद ही प्रियंका गांधी वाड्रा का नंबर आता है, मीसा भारती भी उसी कतार में खड़ी पायी जाती हैं.
लोक सभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने आरजेडी का नेतृत्व किया था और हार के बाद काफी दिन सियासी सीन से गायब भी रहे, लेकिन उपचुनावों में जीत हासिल कर आत्मविश्वास बढ़ा भी है - और वो फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हो गये हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो जल, जीवन और हरियाली कार्यक्रम के नाम पर पूरे बिहार की यात्रा कर ही चुके हैं. कन्हैया कुमार जहां नागरिकता कानून, NRC-NPR को लेकर 'जन-गण-मन यात्रा' कर रहे हैं वहीं तेजस्वी यादव 23 फरवरी से बेरोजगारी हटाओ यात्रा पर निकलने वाले हैं. तेजस्वी की इस यात्रा के लिए एक हाई टेक बस भी तैयार की गयी है जिसे युवा क्रांति रथ का नाम दिया गया है.
ममता-माया के रोल में हैं - मीरा कुमार
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की तरह ममता बनर्जी और मायावती की भूमिका में भी एक किरदार नजर आ रही हैं - मीरा कुमार. लोकसभा की स्पीकर रह चुकीं मीरा कुमार 2017 में यूपीए की तरफ से विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार भी थीं. चूंकि NDA ने राष्ट्रपति चुनाव में दलित उम्मीदवार उतार दिया था इसलिए कांग्रेस ने मीरा कुमार को दलित और बिहार की बेटी के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश की थी. हालांकि, महागठबंधन में रहते हुए भी नीतीश कुमार ने मीरा कुमार का समर्थन नहीं किया और कहा कि दलित और की बेटी की इतनी ही फिक्र है तो अगली बार के लिए पूती तैयारी हो. राष्ट्रपति चुनाव के कुछ ही दिन बाद नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़ बीजेपी के सपोर्ट से नये सिरे से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लिये.
मीरा कुमार को कांग्रेस बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट कर रही है. देखा जाये तो मीरा कुमार और शरद यादव दोनों ही तेजस्वी यादव से बड़े नेता हैं, लेकिन फर्क वही राहुल गांधी वाला हो जा रहा है.
खबर तो ये भी है कि 16 फरवरी को अरविंद केजरीवाल के शपथग्रहण समारोह के दो दिन बाद जेडीयू के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर भी बिहार पहुंच रहे हैं. माना जा रहा है कि 18 फरवरी के बाद प्रशांत किशोर बिहार में किसी राजनीतिक लड़ाई की घोषणा कर सकते हैं या फिर कम से कम संकेत तो दे ही सकते हैं. ऐसा भी समझा जाता है कि प्रशांत किशोर की रणनीति में अरविंद केजरीवाल की भी कोई हिस्सेदारी हो सकती है.
बिहार चुनाव इस साल के आखिर में होने हैं और अभी तो आम चुनाव जैसे हालात ही समझ में आ रहे हैं. जैसे आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष बिखरा रहा, करीब करीब वैसे ही नीतीश कुमार के सामने विपक्ष वैसे ही आपस में लड़ रहा है - बस ये नहीं मालूम कि क्या नीतीश कुमार भी नरेंद्र मोदी की तरह ही किस्मतवाला साबित होंगे?
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