बीते रविवार को जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक थी. जेडीयू की एक महिला नेता ने नीतीश कुमार की लंबी उम्र की दुआ की. मगर, नीतीश को महिला नेता की दुआएं रास नहीं आयीं. नीतीश ने उन दुआओं को तत्काल प्रभाव से ही ठुकरा सा दिया.
नीतीश कुमार जब भी कोई बात कहते हैं तो उसमें किसी न किसी के लिए कोई मैसेज जरूर होता है. नीतीश ने दुआओं के बहाने भी ऐसा ही किया. नीतीश ने साफ साफ समझाया कि वो पूरी तरह चुस्त, दुरूस्त और तंदुरुस्त हैं - और अगले 10 साल तक उनका राजनीति से रिटायरमेंट का कोई इरादा नहीं है. मतलब ये कि 2020 में भी वो बिहार के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बने रहेंगे.
लेकिन नीतीश को लेकर जो खबरें आ रही हैं उनसे तो लगता है कि नीतीश को इस वक्त दुआओं की बहुत ही जरूरत है. अटकलों का दौर तब शुरू हुआ जब दिल्ली के लुटिएंस में नीतीश कुमार के नाम भी एक बंगला अलॉट हो गया? अब हर कोई यही पूछ रहा है कि आखिर बंगले के पीछे राज क्या है?
...और 10 साल बाद!
जेडीयू कार्यकारिणी की मीटिंग में उस महिला नेता ने बड़े ही भले मन ने अपनी भावनाएं शेयर की - 'नीतीश कुमार जुग-जुग जिएं, उन्हें हमारी उमर लग जाये.'
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश कुमार ने उस महिला के जवाब में कहा, "अभी मेरी उमर ही क्या हुई है? मात्र 66 साल के हैं और अभी हम दस साल तक आराम से काम कर सकते हैं. मेरे लिए ये सब मांगने और दुआ करने की जरूरत नहीं है."
नीतीश ने उस दिन ये संभावना भी जतायी कि हो सकता है दस साल बाद उनके लिए, खासतौर पर उनकी सेहत के लिए दुआओं की जरूरत पड़े. लेकिन अब जो खबरें आ रही हैं उनसे तो लगता है कि तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. नीतीश को तो अभी ही दुआओं की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है.
बंगले के...
बीते रविवार को जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक थी. जेडीयू की एक महिला नेता ने नीतीश कुमार की लंबी उम्र की दुआ की. मगर, नीतीश को महिला नेता की दुआएं रास नहीं आयीं. नीतीश ने उन दुआओं को तत्काल प्रभाव से ही ठुकरा सा दिया.
नीतीश कुमार जब भी कोई बात कहते हैं तो उसमें किसी न किसी के लिए कोई मैसेज जरूर होता है. नीतीश ने दुआओं के बहाने भी ऐसा ही किया. नीतीश ने साफ साफ समझाया कि वो पूरी तरह चुस्त, दुरूस्त और तंदुरुस्त हैं - और अगले 10 साल तक उनका राजनीति से रिटायरमेंट का कोई इरादा नहीं है. मतलब ये कि 2020 में भी वो बिहार के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बने रहेंगे.
लेकिन नीतीश को लेकर जो खबरें आ रही हैं उनसे तो लगता है कि नीतीश को इस वक्त दुआओं की बहुत ही जरूरत है. अटकलों का दौर तब शुरू हुआ जब दिल्ली के लुटिएंस में नीतीश कुमार के नाम भी एक बंगला अलॉट हो गया? अब हर कोई यही पूछ रहा है कि आखिर बंगले के पीछे राज क्या है?
...और 10 साल बाद!
जेडीयू कार्यकारिणी की मीटिंग में उस महिला नेता ने बड़े ही भले मन ने अपनी भावनाएं शेयर की - 'नीतीश कुमार जुग-जुग जिएं, उन्हें हमारी उमर लग जाये.'
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश कुमार ने उस महिला के जवाब में कहा, "अभी मेरी उमर ही क्या हुई है? मात्र 66 साल के हैं और अभी हम दस साल तक आराम से काम कर सकते हैं. मेरे लिए ये सब मांगने और दुआ करने की जरूरत नहीं है."
नीतीश ने उस दिन ये संभावना भी जतायी कि हो सकता है दस साल बाद उनके लिए, खासतौर पर उनकी सेहत के लिए दुआओं की जरूरत पड़े. लेकिन अब जो खबरें आ रही हैं उनसे तो लगता है कि तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. नीतीश को तो अभी ही दुआओं की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है.
बंगले के पीछे...
बजट पेश होने से ठीक पहले दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की और बिहार के लिए फंड की मांग की. तब नीतीश ने जेटली के बजट भाषण को निराश करने वाला बताया था. नीतीश का कहना था कि उन्होंने बड़े धैर्य से जेटली का भाषण सुना कि कुछ नया सामने आएगा, लेकिन बोर हो गये - क्योंकि उनके भाषण में ऐसा कुछ था ही नहीं जो देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर सके.
मालूम नहीं जेटली 2017 में नीतीश कुमार ने बजट पर जो प्रतिक्रिया दी थी उसे भूल चुके हैं या याद है, लेकिन एनडीए ज्वाइन करने के बाद बीजेपी नीतीश के लिए जो प्लान कर रही है उससे तो वाकिफ होंगे ही. नीतीश के दिल्ली शिफ्ट होने की अटकलें शुरू हो गयी हैं. ये अटकलें शुरू हुई हैं नीतीश कुमार के नाम दिल्ली के लुटिएंस में एक बंगला अलॉट होने के बाद. इसे लेकर अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.
दिल्ली में नीतीश कुमार का नया पता है - 6, के कामराज लेन, दिल्ली. टाइप VIII के इस बंगले ने 13 साल बाद नीतीश कुमार को दिल्ली में स्थाई पता मुहैया कराया है. वाजपेयी सरकार में बतौर रेल मंत्री नीतीश को लुटिएंस में 18, अकबर रोड पर बंगला मिला था. ये उनके नाम 2001 से 2004 तक रहा.
द हिंदू की रिपोर्ट में बंगला अलॉट होने के बाद की अटकलों का जिक्र है जिसके मुताबिक नीतीश कुमार के पटना से दिल्ली शिफ्ट होने की संभावना जतायी जा रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में बिहार से राज्य सभा की कई सीटें खाली हो रही हैं और काफी संभावना है कि नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी दोनों ही राज्य सभा का चुनाव लड़ें. हालांकि, द हिंदू से बातचीत में, जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी कहते हैं, "बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार ने कभी भी लुटिएंस में बंगले की मांग नहीं की. जब भी वो दिल्ली आते हैं बिहार भवन में ठहरते रहे हैं. मालूम होना चाहिये अब वो जेडीयू के अध्यक्ष भी हैं और पार्टी को राजनीतिक गतिविधियों के लिए जगह की जरूरत है."
जेडीयू प्रवक्ता का बयान अपनी जगह है, लेकिन राज्य सभा चुनाव लड़ने की अगर बात तय हो चुकी है फिर तो पक्का मान कर चलना चाहिये की नीतीश की बिहार से विदाई पक्की है. दिल्ली की तारीख तय होनी बाकी है. वैसे ऐसी आशंका तो तभी से जतायी जाने लगी थी जब नीतीश ने महागठबंधन छोड़ कर बीजेपी से हाथ मिलाया. तभी बिहार में बीजेपी के जेडीयू से वैसे ही व्यवहार की अपेक्षा होने लगी जैसा उसने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ किया. वैसे भी जिस तरीके से नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शह-मात का खेल खेला है - अटकलें होकर भी ये बातें सच के करीब प्रतीत हो रही हैं. नीतीश को सच का सामना तो करना ही था, बस तारीख ही नहीं पक्की थी.
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