नीतीश सरकार के लिए पिछले 100 दिन हों या आने वाले दिन, उनका मुकाबला अपने ही काम से होगा. 100 दिनों में बीजेपी अपने नए तेवर में तो दिखती ही है. वह हर मुद्दे पर नीतीश से ज़्यादा नहीं, तो कम भी नहीं दिखना चाहती. आउटसोर्स में आरक्षण देने के फैसले से नीतीश कुमार ने बीजेपी सहित विपक्षी दलों को घोबिया पाट दे दी. हालांकि मजबूत विपक्ष, सरकार के हर एक कार्य-कलाप पर नजर रख रही है. बिहार की एनडीए सरकार को घेरने के लिए विपक्ष एकजुट रहते हुए जनता को गोलबंद करने की पूरी कोशिश कर रही है. पब्लिक को जता रही है कि नीतीश कुमार ने सत्ता परिवर्तन कर उनके साथ छल किया है. लेकिन बिहार की जनता को केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार होने से भी इस सरकार से काफी उम्मीदे हैं.
इस वर्ष के अविश्वसनीय राजनीतिक घटनाक्रम में से एक बिहार में सत्तारुढ़ महागठबंधन की सरकार का परिवर्तन एनडीए सरकार के रुप में हुआ. इस परिवर्तन में सरकार के मुखिया के तौर पर नीतीश कुमार ने दोनों की अगुवाई की. वर्ष 2005 से 2013 तक बिहार एनडीए का चेहरा बनकर नीतीश कुमार सरकार को चलाते रहे. वहीं वर्ष 2013 में एनडीए से अलग हुए और वर्ष 2015 के चुनाव में महागठबंधन का चेहरा बने. बिहार की जनता ने उनके नेतृत्व को पसंद करते हुए महागठबंधन की सरकार बनायी.
लगभग 20 माह तक नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार चलाने की कोशिश की. लेकिन जैसी उनकी सोच और कार्यशैली है वह सर्वविदित है. बिहार के विकास के अपने दृष्टिकोण को उतार पाने में असहज महसूस करते हुए महागठबंधन से अलग हो गए और फिर से 27 जुलाई 2017 को एनडीए के नेता के रुप में बिहार की पुनः कमान संभाल ली. बिहार में फिर से नीतीश कुमार की सरकार एनडीए गठबंधन का हिस्सा बनी और उसके...
नीतीश सरकार के लिए पिछले 100 दिन हों या आने वाले दिन, उनका मुकाबला अपने ही काम से होगा. 100 दिनों में बीजेपी अपने नए तेवर में तो दिखती ही है. वह हर मुद्दे पर नीतीश से ज़्यादा नहीं, तो कम भी नहीं दिखना चाहती. आउटसोर्स में आरक्षण देने के फैसले से नीतीश कुमार ने बीजेपी सहित विपक्षी दलों को घोबिया पाट दे दी. हालांकि मजबूत विपक्ष, सरकार के हर एक कार्य-कलाप पर नजर रख रही है. बिहार की एनडीए सरकार को घेरने के लिए विपक्ष एकजुट रहते हुए जनता को गोलबंद करने की पूरी कोशिश कर रही है. पब्लिक को जता रही है कि नीतीश कुमार ने सत्ता परिवर्तन कर उनके साथ छल किया है. लेकिन बिहार की जनता को केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार होने से भी इस सरकार से काफी उम्मीदे हैं.
इस वर्ष के अविश्वसनीय राजनीतिक घटनाक्रम में से एक बिहार में सत्तारुढ़ महागठबंधन की सरकार का परिवर्तन एनडीए सरकार के रुप में हुआ. इस परिवर्तन में सरकार के मुखिया के तौर पर नीतीश कुमार ने दोनों की अगुवाई की. वर्ष 2005 से 2013 तक बिहार एनडीए का चेहरा बनकर नीतीश कुमार सरकार को चलाते रहे. वहीं वर्ष 2013 में एनडीए से अलग हुए और वर्ष 2015 के चुनाव में महागठबंधन का चेहरा बने. बिहार की जनता ने उनके नेतृत्व को पसंद करते हुए महागठबंधन की सरकार बनायी.
लगभग 20 माह तक नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार चलाने की कोशिश की. लेकिन जैसी उनकी सोच और कार्यशैली है वह सर्वविदित है. बिहार के विकास के अपने दृष्टिकोण को उतार पाने में असहज महसूस करते हुए महागठबंधन से अलग हो गए और फिर से 27 जुलाई 2017 को एनडीए के नेता के रुप में बिहार की पुनः कमान संभाल ली. बिहार में फिर से नीतीश कुमार की सरकार एनडीए गठबंधन का हिस्सा बनी और उसके भी 100 दिन गुजर गए. नीतीश कुमार ने भी कई बार कहा कि महागठबंधन के 20 महीने का कार्यकाल में उन्हें रूल ऑफ लॉ लागू करने में दिक्कत होती थी.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर महागठबंधन से नीतीश कुमार अलग हुए. उनका मानना है कि बिहार के हित के लिए उन्होंने फिर से बीजेपी के साथ सरकार बनाया है. केंद्र एवं राज्य में एक गठबंधन की सरकार होने से बिहार को फायदा होगा. बिहार के पास आर्थिक संसाधन की कमी है. जिसकी उम्मीद केंद्र सरकार से सहयोग पर टिकी है. अभी 100 दिन के कार्यकलाप को देखा जाए तो केंद्र का सहयोग राज्य के प्रति सकारात्मक है.
14 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार आगमन का मुख्यमंत्री ने जिस गर्मजोशी से स्वागत किया, प्रधानमंत्री ने भी मोकामा में 3750 करोड़ रुपए की योजनाओं की सौगात देकर बिहार के विकास में अपनी रुचि दिखायी. इनमें राष्ट्रीय हाईवे से जुड़े 3031 करोड़ रुपये के चार प्रोजेक्ट और 738.04 करोड़ रुपए के तीन प्रोजेक्टों का शिलान्यास शामिल है. वहीं नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत बिहार के पटना शहर में 738.04 करोड़ लागत की 4 सीवेज परियोजनाओं शिलान्यास किया. हांलाकि मुख्यमंत्री की मांग के बावजूद प्रधानमंत्री ने पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नही दिया.
केंद्र के सहयोग से राज्य में बिहार आईटी इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव के मौके पर आईटी निवेश को प्रोत्साहन, आईटी क्षेत्र के लिए उत्पादन पूर्व ही इकाई को स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क में 100 फीसदी की छूट, नई इकाई को उत्पादन की तिथि से पांच वर्षों तक स्टेट जीएसटी में सात फीसदी छूट की घोषणा हुई. साथ ही बिहार में उद्योग में निवेश करने पर सब तरह की सुविधा और सरकार का सहयोग देने की बात कही गई. नीतीश कुमार ने राजगीर में 100 एकड़ में आईटी सिटी के निर्माण की भी घोषणा की जो नालंदा विश्वविद्यालय से नजदीक होगा.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साइबर सिक्योरिटी से सम्बंधित एक संस्थान पटना में खोलने की घोषणा की जो राज्य में डिजिटल पुलिसिंग, साइबर सिक्योरिटी प्रशिक्षण और डिजिटल फॉरेंसिक से संबंधित होगा. सरकार अपने कार्यक्रम 'सात निश्चय' के अंतर्गत के विभिन्न योजनाओं को गति देने को तत्पर दिख रही है. राज्य के 38 जिलों में 250 की आबादी वाले हर गांव को मुख्य सड़क से जोड़ दिया जाएगा. टोला निश्चय योजना के तहत हर टोला को भी जोड़ दिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की 866 करोड़ रुपए की 113 योजनाओं का शिलान्यास और उदघाट्न किया. सरकार ने इन दिनों में कई उपलब्धियों को पूरा करने का संकल्प लिया. जिसमें साल के अंत तक जो राष्ट्रीय स्तर पर भी योजना है हर बसावट तक बिजली पहुंचाएगी.
उसमें ये तय किया गया कि जो बिजली का कनेक्शन लेने के इच्छुक हैं उन्हें 2018 के अंत तक बिजली का कनेक्शन दे दिया जाएगा और इसके लिए अलग से सर्वे भी करायी जा चुकी है. ढांचागत विकास के तहत सड़कों, पुल-पुलियों के निर्माण कार्य में गति आयी है. बिहार में नए तरह के विशिष्ट भवन बनाए गए, जो अपने आप में प्रदर्श है. बापू के जन्म दिवस 2 अक्टूबर को सम्राट अशोक कन्वेंशन हॉल और बिहार संग्रहालय का उदघाटन किया गया. बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 54 थाना भवन सहित कुल 174 नवनिर्मित भवनों का उदघाट्न एवं 23 पुलिस भवनों का शिलान्यास किया गया.
एनडीए की सरकार बिहार में बनने के साथ ही सभी विभागों की समीक्षा की गई और तेज प्रगति की रुप रेखा तैयार की गई. भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय एवं बिहार सरकार ने परस्पर सहमति बनाते हुए कई योजनाओं पर कार्य शुरु करने की रुपरेखा तैयार कर ली है. सिंचाई परियोजना, ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति के लिए सरकार ने कमर कस लिया है. सरकार ने कानून व्यवस्था के प्रति अपनी गंभीरता दिखाते हुए इसे चुस्त-दुरुस्त किया है और उसका कहना है कि न हम किसी को फंसाते हैं न किसी को बचाते हैं. कानून एवं व्यवस्था आज बिहार की पहचान बन गई है. इसे हर हालत में कायम रखने के प्रति बिहार सरकार संकल्पबद्ध है.
जैसे ही नए गठबंधन की सरकार बनी बिहार में एक बहुत बड़े घोटाले जो 'सृजन घोटाला' के नाम से जाना गया जिसका खुलासा भागलपुर के डीएम ने किया। सरकार ने त्वरित संज्ञान लेते हुए सीबीआई के हाथों में जांच को सौंप दिया. वहीं पटना के डीएम ने 'शौचालय घोटाला' का खुलासा किया. जिसके दोषियों के प्रति कार्रवाई के लिए सरकार सख्त है. वहीं बालू माफियाओं पर सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए उस पर रोक लगायी है और पर्यावरण की सुरक्षा एवं बालू के थोक आवंटन के लिए कॉरपोरेशन बनाया है.
इस बार बाढ़ आपदा बहुत भयानक थी, जिससे निबटने के लिए सरकार ने गंभीरता दिखायी और तत्काल राहत के उपाय किए. एक हजार करोड़ रुपया बिहार सरकार ने अपने तरफ से लगाया, अगली फसल के लिए 900 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी. अलग से, सिंचाई तंत्र, नहर, बांध मरम्मत के लिए सिंचाई 300 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई. बाढ़ पीड़ित प्रत्येक परिवार को बैंक खाते में 6 हजार रुपए की राशि तत्काल दी गई.
भौतिक प्रगति के क्षेत्र में सरकार ने अपनी तत्परता तो दिखायी ही समाज सुधार के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाने को तत्पर है. सामाजिक कुरीति भी बिहार के पिछड़ेपन का एक प्रमुख कारण रहा है. सरकार ने इसी साल 2 अक्टूबर को बापू जयंती के अवसर पर बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान की शुरुआत की. हमारे यहां लगभग 39 प्रतिशत जो शादियां हो रही हैं वो बाल विवाह है. बौनेपन के जितने शिकार बच्चे हैं उसमें से बहुत बड़ा जो अनुपात है वह बाल विवाह के कारण पैदा हुए बच्चे हैं.
इसके लिए एक कानून वर्ष 2006 से बना हुआ है जबकि दूसरा 1961 से ही बना हुआ है. बावजूद इसके दहेज प्रथा का कुप्रभाव बढ़ता चला जा रहा है. 5 अप्रैल 2016 को पूर्ण शराबबंदी को नीतीश कुमार ने बिहार में लागू की थी. अब पूर्ण शराबबंदी और नशामुक्ति के लिए अभियान को और तेज कर दिया गया है. शराबबंदी और नशामुक्ति के बाद लोगों के खान-पान, रहन-सहन में सुधार आया, साथ ही फिजूलखर्ची पर लगाम लगी. लोगों में संचय की प्रवृति बढ़ी, बचत होने लगा, एस.बी.आई. की आर्थिक अनुसंधान शाखा की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के जन-धन खाते में धन का प्रवाह तेजी से बढ़ा है.
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