डिजिटल इंडिया के जमाने में अगर ये सुनने को मिले कि चुनाव ईवीएम नहीं, बल्कि बैलेट पेपर से होंगे, तो हैरानी होना लाजमी है. तेलंगाना की निजामाबाद लोकसभा सीट से ऐसी ही खबरें सामने आ रही थीं कि वहां बैलेट पेपर से चुनाव होगा. इसकी वजह भी बेहद दिलचस्प है. इस एक लोकसभा सीट से 185 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, जिनमें से एक नाम तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता का भी है. अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर इतने सारे उम्मीदवार आ कहां से गए?
यहां पहले तो तेलंगाना चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रजत कुमार ने कहा था कि इस लोकसभा सीट पर चुनाव बैलेट पेपर से होंगे, लेकिन बाद में अपना फैसला बदल दिया. रविवार को उन्होंने ये साफ कर दिया था कि यहां चुनाव बैलेट पेपर से नहीं, बल्कि ईवीएम से ही होंगे. अब सवाल ये उठता है कि पहले चुनाव बैलेट पेपर से कराने की बात क्यों कही? क्या 185 उम्मीदवारों वाली लोकसभा सीट पर ईवीएम से चुनाव नहीं हो सकता है?
कितने उम्मीदवारों के नाम हो सकते हैं एक ईवीएम में?
चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार 2006 से 2010 तक बनी ईवीएम (M2 EVM) मशीनों में एक मशीन में अधिकतर 64 उम्मीदवारों का नाम शामिल किया जा सकता था. 2013 के बाद बनी ईवीएम मशीनों में अधिकतम 384 उम्मीदवारों का नाम शामिल हो सकता है, जिसमें NOTA भी शामिल है. वहीं दूसरी ओर एक बैलेट यूनिट में अधिकतम 16 नाम लिखे जा सकते हैं. यानी 2013 के बाद बनी ईवीएम (M3 EVM) से 24 बैलेट यूनिट जोड़ दी जाएं तो 384 उम्मीदवार हो सकते हैं. यानी निजामाबाद में हर ईवीएम (M3 EVM) के साथ 12 बैलेट यूनिट जोड़कर चुनाव आसानी से कराया जा सकता है.
तो फिर बैलेट...
डिजिटल इंडिया के जमाने में अगर ये सुनने को मिले कि चुनाव ईवीएम नहीं, बल्कि बैलेट पेपर से होंगे, तो हैरानी होना लाजमी है. तेलंगाना की निजामाबाद लोकसभा सीट से ऐसी ही खबरें सामने आ रही थीं कि वहां बैलेट पेपर से चुनाव होगा. इसकी वजह भी बेहद दिलचस्प है. इस एक लोकसभा सीट से 185 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, जिनमें से एक नाम तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता का भी है. अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर इतने सारे उम्मीदवार आ कहां से गए?
यहां पहले तो तेलंगाना चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रजत कुमार ने कहा था कि इस लोकसभा सीट पर चुनाव बैलेट पेपर से होंगे, लेकिन बाद में अपना फैसला बदल दिया. रविवार को उन्होंने ये साफ कर दिया था कि यहां चुनाव बैलेट पेपर से नहीं, बल्कि ईवीएम से ही होंगे. अब सवाल ये उठता है कि पहले चुनाव बैलेट पेपर से कराने की बात क्यों कही? क्या 185 उम्मीदवारों वाली लोकसभा सीट पर ईवीएम से चुनाव नहीं हो सकता है?
कितने उम्मीदवारों के नाम हो सकते हैं एक ईवीएम में?
चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार 2006 से 2010 तक बनी ईवीएम (M2 EVM) मशीनों में एक मशीन में अधिकतर 64 उम्मीदवारों का नाम शामिल किया जा सकता था. 2013 के बाद बनी ईवीएम मशीनों में अधिकतम 384 उम्मीदवारों का नाम शामिल हो सकता है, जिसमें NOTA भी शामिल है. वहीं दूसरी ओर एक बैलेट यूनिट में अधिकतम 16 नाम लिखे जा सकते हैं. यानी 2013 के बाद बनी ईवीएम (M3 EVM) से 24 बैलेट यूनिट जोड़ दी जाएं तो 384 उम्मीदवार हो सकते हैं. यानी निजामाबाद में हर ईवीएम (M3 EVM) के साथ 12 बैलेट यूनिट जोड़कर चुनाव आसानी से कराया जा सकता है.
तो फिर बैलेट पेपर की बात क्यों की थी निर्वाचन अधिकारी ने?
29 मार्च को तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रजत कुमार ने कहा था कि उम्मीदवारों की संख्या अधिक होने की वजह से चुनाव बैलेट पेपर के जरिए कराए जाएंगे. उन्होंने बताया था कि चुनाव के लिए वहां एम2 ईवीएम मशीनें इस्तेमाल हो रही है, जिनमें अधिकतम 64 नाम ही दर्ज हो सकते हैं, जिसमें नोटा भी शामिल है. इसी वजह से उन्होंने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की बात की थी. हालांकि, बाद में ये फैसला किया गया कि तेलंगाना की निजामाबाद सीट पर एम3 मशीनों का इस्तेमाल होगा. आपको बता दें कि एम3 मशीनों में अधिकतम 384 नाम दर्ज हो सकते हैं. इसलिए अब फैसला किया गया है कि चुनाव ईवीएम से ही होंगे.
इतने सारे उम्मीदवार आए कहां से?
निजामाबाद सीट पर इतने सारे उम्मीदवारों के खड़े होने की बात भी लोगों को हैरान कर रही है. खुद चुनाव आयोग ने भी कहा है कि ऐसा देश के इतिहास में पहली बार होगा जब किसी बूथ पर ईवीएम के साथ चार से अधिक बैलेट यूनिट जोड़ी जाएंगी. आपको बता दें कि यहां एक ईवीएम से 12 बैलेट यूनिट जोड़कर चुनाव होंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतने सारे उम्मीदवार आए कहां से? दरअसल, इन 185 उम्मीदवारों में 175 तो किसान हैं, जो उम्मीदवार बनकर चुनाव में खड़े हैं. ये उनका विरोध करने का तरीका है. किसानों का आरोप है कि तेलंगाना राष्ट्र समिति हल्दी और लाल ज्वार के न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने और निजामाबाद में हल्दी बोर्ड स्थापित करने में असफल रही है. हाल ही में किसानों ने तो चुनाव आयोग से ये भी मांग की है कि निजामाबाद सीट पर पहले चरण में होने वाले मतदान को स्थगित करते हुए तारीख आगे बढ़ाई जाए. दरअसल, किसानों को हाल ही में चुनाव चिन्ह मिले हैं और ऐसे में उनके पास चुनाव प्रचार का बहुत कम समय है.
निजामाबाद सीट पर किसानों ने विरोध तो सरकार के खिलाफ किया, लेकिन इससे टेंशन हुई चुनाव आयोग. पहले तो उम्मीदवारों की संख्या बहुत अधिक हो जाने की वजह से चुनाव बैलेट पेपर से कराने का फैसला किया गया. बाद में ईवीएम से चुनाव कराना तो तय हुआ, लेकिन हर ईवीएम के साथ 12 बैलेट यूनिट लगानी पड़ रही हैं. निजामाबाद लोकसभा सीट में कुल 1788 पोलिंग बूथ हैं. यानी ईवीएम तो 1788 इस्तेमाल होंगी, लेकिन बैलेट यूनिट 21,456 लगानी पड़ेंगी. अब जब सारी तैयारी हो चुकी है तो किसानों ने चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की है.
ये भी पढ़ें-
AFSPA में 'बदलाव' का वादा करके कांग्रेस ने कश्मीर में सेना का मनोबल तोड़ा है
Congress Manifesto: कांग्रेस की घोषणाओं को सोशल मीडिया पर जुमला बना दिया गया
जूता पॉलिश करने से लेकर चप्पल खाने तक तैयार उम्मीदवार, ये चुनाव है...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.