केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों का अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर कर लिया और अब संसद के दोनों सदनों में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है. हालांकि लोकसभा के वर्तमान परिदृश्य के आधार पर लोकसभा में स्पीकर को छोड़कर 533 सदस्य हैं और सरकार को कमसे कम 267 के वोट की आवश्यकता होगी, जबकि भारतीय जनता पार्टी के अकेले के 273 सांसद हैं इसके अलावा शिवसेना समेत एनडीए के बाकी दल भी सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. यानि इस अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को रंच मात्र भी खतरा नहीं है, हालांकि यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी एकता की परीक्षा ले ले यह जरूर है.
अभी लोकसभा में इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 7 घंटे का समय निर्धारित किया गया है, जिसमें भाजपा को 3 घंटे 33 मिनट, कांग्रेस को 38 मिनट, तृणमूल कांग्रेस को 27 मिनट जबकि शिवसेना को 14 मिनट तथा अन्य पार्टियों के लिए भी समय निर्धारित किये जा चुके हैं. अब चूंकि इस अविश्वास प्रस्ताव का सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं होने वाला ऐसे में बहुत संभव है कि भाजपा अपने लिए आवंटित समय का उपयोग सरकार की उपलब्धियों को गिनाने में कर सकती है. भाजपा को जितना समय मिला है और भाजपा के पास जो अच्छे वक्ताओं की फ़ौज हाजिर है उसमें यह काम बहुत कठिन भी नहीं लगता. भाजपा इस सुनहरे मौके को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहेगी.
हालांकि यही कांग्रेस के लिए मुश्किल भी है जहां भाजपा के पास अच्छे वक्ता हैं जो सरकार का पक्ष अच्छे से रख सकते हैं, तो वहीं कांग्रेस में अच्छे वक्ताओं का टोटा है. कांग्रेस की कमान संभवतः राहुल गांधी ही संभालेंगे, ऐसे में राहुल पर यह जिम्मेदारी रहेगी की वो कांग्रेस को मिले 38 मिनट का बखूबी इस्तेमाल कर सकें. अब चूंकि संसद में अविश्वास...
केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों का अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर कर लिया और अब संसद के दोनों सदनों में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है. हालांकि लोकसभा के वर्तमान परिदृश्य के आधार पर लोकसभा में स्पीकर को छोड़कर 533 सदस्य हैं और सरकार को कमसे कम 267 के वोट की आवश्यकता होगी, जबकि भारतीय जनता पार्टी के अकेले के 273 सांसद हैं इसके अलावा शिवसेना समेत एनडीए के बाकी दल भी सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. यानि इस अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को रंच मात्र भी खतरा नहीं है, हालांकि यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी एकता की परीक्षा ले ले यह जरूर है.
अभी लोकसभा में इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 7 घंटे का समय निर्धारित किया गया है, जिसमें भाजपा को 3 घंटे 33 मिनट, कांग्रेस को 38 मिनट, तृणमूल कांग्रेस को 27 मिनट जबकि शिवसेना को 14 मिनट तथा अन्य पार्टियों के लिए भी समय निर्धारित किये जा चुके हैं. अब चूंकि इस अविश्वास प्रस्ताव का सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं होने वाला ऐसे में बहुत संभव है कि भाजपा अपने लिए आवंटित समय का उपयोग सरकार की उपलब्धियों को गिनाने में कर सकती है. भाजपा को जितना समय मिला है और भाजपा के पास जो अच्छे वक्ताओं की फ़ौज हाजिर है उसमें यह काम बहुत कठिन भी नहीं लगता. भाजपा इस सुनहरे मौके को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहेगी.
हालांकि यही कांग्रेस के लिए मुश्किल भी है जहां भाजपा के पास अच्छे वक्ता हैं जो सरकार का पक्ष अच्छे से रख सकते हैं, तो वहीं कांग्रेस में अच्छे वक्ताओं का टोटा है. कांग्रेस की कमान संभवतः राहुल गांधी ही संभालेंगे, ऐसे में राहुल पर यह जिम्मेदारी रहेगी की वो कांग्रेस को मिले 38 मिनट का बखूबी इस्तेमाल कर सकें. अब चूंकि संसद में अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय है तो ऐसी सूरत में राहुल को अपने भाषण में घेरने की हर संभव कोशिश करनी होगी. राहुल खुद से इस बात का दावा करते आए हैं कि वो अगर संसद में बोलेंगे तो भूकंप आ जायेगा. तो आज के सत्र में राहुल को कुछ ऐसा बोलना ही होगा जो भूकंप ना सही कमसे कम सरकार की परेशानियां बढ़ाने वाला तो जरूर हो. वैसे भी राहुल के बोलने को लेकर शंका-आशंका के बादल उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं, ऐसे में राहुल को आज का दिन खुद में विश्वास जगाने का एक मौका लेकर आया है.
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