क्या आप जानते हैं कि एक संकीर्ण सोच के कारण उत्तर प्रदेश कत्लखाना बन रहा है. इस सोच के लोग मानते हैं कि अदालत और न्याय की प्रक्रिया वक्त की बरबादी है. पुलिस को देखते ही अपराधियों का काम तमाम कर देना चाहिए. खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन हत्याओं को बढ़ावा देते दिखते हैं योगी कहते हैं. या तो बदमाश उनके राज्यी से भाग जाएंगे या फिर मारे जाएंगे. प्रदेश में उनके कार्यकाल में हुए एनकाउंटरों का जिक्र भी वह कई बार कई मंचों पर कर चुके हैं. लेकिन ये सोच भारत जैसे परिपक्व देश को जंगली समाज व्यवस्था की ओर धकेल रहा है.
योगी सरकार के 10 महीने के कार्यकाल में अब तक उत्तर प्रदेश में पुलिस और अपराधियों के बीच 1142 एनकाउंटर हुए हैं. इस दौरान 2744 अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं, वहीं 34 को पुलिस ने मार गिराया है. एनकाउंटर के मामले में पश्चिम उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा है. अकेले मेरठ जोन में ही 449 इनकाउंटर हुए. इनमें 985 की गिरफ्तारी हुई, जबकि 22 अपराधी मारे गए और 155 घायल हुए. इस दौरान 128 पुलिसकर्मी घायल भी हुए जबकि एक की मौत हो गई. यह जानकारी उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दी गई है.
बात नोएडा से शुरू करते हैं. यहां एक ट्रेनी एसआई ने ये बेकसूर युवक को गोली सीधे गोली मार दी. गोली मारने के बाद इस एसआई के साथ आए पुलिस वालों ने सीनियर अफसरों को सूचना दी की एक एनकाउंटर हो गया है. पुलिस का कहना है कि मामला फर्जी एनकाउंटर का नही बल्कि आपसी दुश्मनी का है. लेकिन दोनों ही बाते एक बात ज़रूर साफ करती है. जिन पुलिस वालों के हाथ में इंसाफ करने की ताकत देने की बात की जाती है वो इस लायक नहीं कि न्याय कर सकें. एक फक्त मैडल के लिए हो या दुश्मनी निभाने के लिए ये कानून को कभी भी अपने हाथ में ले...
क्या आप जानते हैं कि एक संकीर्ण सोच के कारण उत्तर प्रदेश कत्लखाना बन रहा है. इस सोच के लोग मानते हैं कि अदालत और न्याय की प्रक्रिया वक्त की बरबादी है. पुलिस को देखते ही अपराधियों का काम तमाम कर देना चाहिए. खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन हत्याओं को बढ़ावा देते दिखते हैं योगी कहते हैं. या तो बदमाश उनके राज्यी से भाग जाएंगे या फिर मारे जाएंगे. प्रदेश में उनके कार्यकाल में हुए एनकाउंटरों का जिक्र भी वह कई बार कई मंचों पर कर चुके हैं. लेकिन ये सोच भारत जैसे परिपक्व देश को जंगली समाज व्यवस्था की ओर धकेल रहा है.
योगी सरकार के 10 महीने के कार्यकाल में अब तक उत्तर प्रदेश में पुलिस और अपराधियों के बीच 1142 एनकाउंटर हुए हैं. इस दौरान 2744 अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं, वहीं 34 को पुलिस ने मार गिराया है. एनकाउंटर के मामले में पश्चिम उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा है. अकेले मेरठ जोन में ही 449 इनकाउंटर हुए. इनमें 985 की गिरफ्तारी हुई, जबकि 22 अपराधी मारे गए और 155 घायल हुए. इस दौरान 128 पुलिसकर्मी घायल भी हुए जबकि एक की मौत हो गई. यह जानकारी उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दी गई है.
बात नोएडा से शुरू करते हैं. यहां एक ट्रेनी एसआई ने ये बेकसूर युवक को गोली सीधे गोली मार दी. गोली मारने के बाद इस एसआई के साथ आए पुलिस वालों ने सीनियर अफसरों को सूचना दी की एक एनकाउंटर हो गया है. पुलिस का कहना है कि मामला फर्जी एनकाउंटर का नही बल्कि आपसी दुश्मनी का है. लेकिन दोनों ही बाते एक बात ज़रूर साफ करती है. जिन पुलिस वालों के हाथ में इंसाफ करने की ताकत देने की बात की जाती है वो इस लायक नहीं कि न्याय कर सकें. एक फक्त मैडल के लिए हो या दुश्मनी निभाने के लिए ये कानून को कभी भी अपने हाथ में ले सकते हैं.
पुलिस वालों को किसी की जान ले लेने की ताकत देने का मतलब है कि वो रिश्वत के लिए किसी की भी जान ले सकते हैं और सुपारी किलिंग जैसे कामों में शामिल हो सकते हैं. ये भी हो सकता है कि पुलिस के लोग रुपये कमाने के लिए कुछ अपराधियों को खुला खेलने की छूट दे दें. और कुछ को ठिकाने लगा दें. ठीक वैसे ही जैसे छोटे मोटे काम धंधे करने वालों को पुलिस बीच सड़क पर दुकान लगाने देती है अगर वो पैसे देते रहें.
आप कल्पना कर सकते हैं कि एनकाउंटर की ये खुली छूट अपराध कम होने की जगह उनकी संख्या में इजाफा कर रही है. फर्क सिर्फ इतना आया है कि जो गैंग पुलिस के साथ सेटिंग कर रहे हैं वो खुले आम जुर्म कर रहे हैं और जिन्का तालमेल नहीं बनता वो गोलिया खा रहे हैं. लेकिन मामला अपराधियों तक होता तो भी ठीक था. कई ऐसे भी हैं जिनका अपराध से लेना देना ही नहीं था.
बाकी की बात बताएं इससे पहले आपको एक जानकारी देते हैं. उत्तर प्रदेश में होने वाले एनकाउंटर में 85 फीसदी में अपराधी के पैर में गोली लगती है. इतने ही एनकाउंटर ऐसे होते हैं जिनमें पुलिस कर्मी के बाएं हाथ मे गोली लगती है. अजीब इत्तेफाक है कि पुलिस की गोली गाइडेड मिसाइल की तरह भले ही अपराधी दीवार के पीछे छिपा हो या कार में जा रहा हौ या फिर बाइक पर हो. अपना निशाना नहीं चूकती. थानेदार साहब का हुकुम पॉइंट ब्लैंक से लेकर 100 मीटर की दूरी तक एकदम सही निशाना लगाकर मानती है. इसी तरह अपराधियों की गोली की भी मंजिल एक ही होती है.
फर्जी एनकाउंटर के मामले में यूपी पुलिस पहले ही बदनाम है. लोग ये मानकर संतोष कर लेते हैं कि पुलिस सही आदमी को ही निशाना बनाती है. लेकिन वो ये भी जानते हैं कि पुलिस इतनी भोली नहीं है. आपको कुछ मामले बताते हैं जिनमें पुलिस ने बे कसूरों की अपने फायदे के लिए जान ली. 1996 के भोजपुर फर्जी एनकाउंटर से शुरुआत करते हैं. आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाने के लिए पुलिसकर्मियों ने दो युवकों को पुलिया पर और दो को ईंख के खेत में मार गिराया था. मुठभेड़ साबित करने के लिए उनके पास तमंचे रख दिए थे और उनसे 16 राउंड फायर किए जाने का दावा किया था. इस मामले में 112 लोगों की गवाही हुई. पिछले वर्ष सीबीआई की अदालत ने इस मामले में चार पुलिसकर्मियों को हत्या और फर्जी सुबूत पेश करने दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी.
नोएडा औक गाज़िया बाद में तो बाकायदा एनकाउंटर के लिए कुछ जगहें तय हैं. अपराधी जब भी मुठभेड़ करनी होती हैं यहीं जा पहुंचते हैं. इसमें सबसे पहले दादरी का आमका रोड आता है. यह जगह फर्जी एनकाउंटर के ठिकाने के तौर पर बच्चे बच्चे की जानकारी में है. दिसंबर में यहां पर पुलिस ने 65 हजार रुपए के इनामी बदमाश असलम को मार गिराया था. इस एनकाउंटर में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे. यह जगह दादरी थाना क्षेत्र में आता है. इसकी जानकारी के तौर पर पुलिस ने बताया था कि उन्हें गोपनीय सूचना मिली कि कुछ कुख्यात बदमाश किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए दादरी में आए हैं. इसके बाद पुलिस ने चेकिंग शुरू की लेकिन बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी जिसके जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की और असलम मारा गया.
नोएडा का सैक्टर 130 ग्रेटर नोएडा पश्चिम नोएडा के बिसरख थाना क्षेत्र में आता है. यहां पर पिछले वर्ष सितंबर और नवंबर में एनकाउंटर हुए थे. इसके अलावा इस वर्ष भी इस इलाके में गोलीबारी की खबर सामने आई थी.चाई 4 सेक्टर नोएडा के कासना क्षेत्र में आता है. यहां अक्टूबर में 50 हजार का इनामी बदमाश मारा गया था, जबकि उसके तीन साथी फरार हो गए थे. पुलिस को जानकारी मिली थी कि यहां पर लूट के इरादे से कुछ बदमाश आए हुए हैं.
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