जनाब ओवैसी साहब
अस्सलाम वालेकुम
सबसे पहले तो इस बात के लिए शुक्रिया कि आप मेरे यकीन पर पूरी तरह खरे उतरे. आपने बिल्कुल वही किया जो मैंने सोचा था. इस देश के किसी भी आम नागरिक की तरह मुझे इस बात का पूरा अंदाजा था कि नरेंद्र मोदी, चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करें या न करें. आप वो पहले व्यक्ति होंगे जो हर बार की तरह इस बार भी उनके विरोध में खुलकर सामने आएंगे. मैं जानता था कि आप वो तमाम बातें कहेंगे जो बीते कुछ वक़्त से फैल चुकी नफरत की आग में खर डालने का काम करेगी. अच्छी बात है. हमारे संविधान ने हमें पूरा हक दिया है कि हम खुलकर अपनी बात कहें, कोई बात अगर पसंद नहीं आए तो मुखर होकर उसकी आलोचना करें. लेकिन सवाल ये है कि क्या आलोचना के अंतर्गत विवेक को ताख पर रख दिया जाए?
मैंने आपका वो बयान सुना जिसमें आपने बड़े ही मुखर होकर इस बता को स्वीकारा कि 'इस बार ईवीएम में हेराफेरी नहीं हुई है, हिंदुओं के दिमाग में हेराफेरी की गई है. आपका ये बयान शर्मनाक है. मेरे लिए ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि आपके अन्दर पनप रहे मोदी विरोध ने न सिर्फ लोकतंत्र बल्कि इस देश की सवा सौ करोड़ जनता के विश्वास को शर्मिंदा किया है.
मतलब मैं वाकई हैरत में हूं कि कोई आदमी जो अपने को जनता का प्रतिनिधि कह रहा है. अपने को नेता बता रहा है. आखिर वो ऐसा सोच भी कैसे सकता है? मैं एक मुस्लिम हूं और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने एक मजबूत शासक के रूप में नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री चुना है.
जनाब ओवैसी साहब, किसी और पर बात कहने या आरोप प्रत्यारोप लगाने से मुद्दा भटक जाएगा और वक़्त जाया...
जनाब ओवैसी साहब
अस्सलाम वालेकुम
सबसे पहले तो इस बात के लिए शुक्रिया कि आप मेरे यकीन पर पूरी तरह खरे उतरे. आपने बिल्कुल वही किया जो मैंने सोचा था. इस देश के किसी भी आम नागरिक की तरह मुझे इस बात का पूरा अंदाजा था कि नरेंद्र मोदी, चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करें या न करें. आप वो पहले व्यक्ति होंगे जो हर बार की तरह इस बार भी उनके विरोध में खुलकर सामने आएंगे. मैं जानता था कि आप वो तमाम बातें कहेंगे जो बीते कुछ वक़्त से फैल चुकी नफरत की आग में खर डालने का काम करेगी. अच्छी बात है. हमारे संविधान ने हमें पूरा हक दिया है कि हम खुलकर अपनी बात कहें, कोई बात अगर पसंद नहीं आए तो मुखर होकर उसकी आलोचना करें. लेकिन सवाल ये है कि क्या आलोचना के अंतर्गत विवेक को ताख पर रख दिया जाए?
मैंने आपका वो बयान सुना जिसमें आपने बड़े ही मुखर होकर इस बता को स्वीकारा कि 'इस बार ईवीएम में हेराफेरी नहीं हुई है, हिंदुओं के दिमाग में हेराफेरी की गई है. आपका ये बयान शर्मनाक है. मेरे लिए ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि आपके अन्दर पनप रहे मोदी विरोध ने न सिर्फ लोकतंत्र बल्कि इस देश की सवा सौ करोड़ जनता के विश्वास को शर्मिंदा किया है.
मतलब मैं वाकई हैरत में हूं कि कोई आदमी जो अपने को जनता का प्रतिनिधि कह रहा है. अपने को नेता बता रहा है. आखिर वो ऐसा सोच भी कैसे सकता है? मैं एक मुस्लिम हूं और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने एक मजबूत शासक के रूप में नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री चुना है.
जनाब ओवैसी साहब, किसी और पर बात कहने या आरोप प्रत्यारोप लगाने से मुद्दा भटक जाएगा और वक़्त जाया होगा. बेहतर है एक मुसलमान होने के नाते जिसे आप बेहद डरा हुआ बताते हैं मैं अपनी बात करूं. अपने प्रधानमंत्री के रूप में जब मैं नरेंद्र मोदी को देखता हूं तो मिलता है कि मेरा देश सुरक्षित हाथों में है. ये वो सुरक्षा है जिसका वादा तो पिछली सरकारों ने अपने भाषण में खूब किया मगर जब उसे अमली जमा पहनाने की बात आई तो सभी बैकफुट पर आ गए नतीजा क्या आया वो इतिहास में दर्ज है.
मैंने आपकी बहुत सी तकरीरें सुनी हैं और इस बात में शक की रत्ती भर भी गुंजाइश नहीं है कि आप अच्छा बोलते हैं, और साथ ही संविधान की भी अच्छी समझ रखते हैं. मगर वो कहावत तो आपने भी सुनी होगी कि हर पीली चीज सोना नहीं होती, आपका भी हाल कुछ वैसा ही है. हर बात में हिन्दू हर बात में मुस्लिम हर चीज को अपनी सुविधा के अनुसार धर्म के चश्मे से देखना.
देखिये साहब बात कुछ यूं है कि यदि हम मुसलमान दोयम दर्जे की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं. तो इसकी एक बड़ी वजह आप और वो तमाम लोग हैं, जिनके जीवन और जिनकी राजनीति का आधार ही मोदी विरोध है और जिसके चलते वो हमारा नाजायज फायदा उठा रहे हैं. कह सकते हैं कि मोदी विरोध में अपने अपने तमंचों से गोली आप लोग चलाते हैं और जब कहीं से जवाबी कार्रवाई होती है, मारे हम आम मुसलमान जाते हैं.
सर मुझे लगता है कि आपको भाजपा की इस जीत का गहनता से अवलोकन करना चाहिए. साथ ही आपको ये समझने का प्रयास भी करना चाहिए कि यदि भाजपा इस तरह जीती है तो फिर उसके जीतने की वजह क्या थी? जब आप पूरी ईमानदारी के साथ इस प्रश्न का उत्तर तलाश कर रहे होंगे तो आपको मिलेगा कि इस जीत की एक बड़ी वजह वो नफरत है जो आपके दिल में हैं और जिसके चलते आए रोज इस देश का हम जैसा एक आम मुसलमान शर्मिंदा हो रहा है.
सर आप शेरवानी, दाढ़ी, टोपी में हम आम मुसलमानों की बात करते हैं. आप अपने भाषणों में 'इंशाल्लाह' का इस्तेमाल कर 'मोदी के जाने' और भाजपा को हराने की बात करते हैं. आप उन्हें हिंदूवादी बताते हैं. साथ ही आप उन तमाम जुल्म ओ सितम का जिक्र अपनी बातों में करते हैं जो आज मुसलमान झेल रहा है. कभी टीवी के स्टूडियो या फिर अपने एसी कमरे से निकल कर बाहर आइये हम लोगों से मिलिए जुलिये और देखिये कि हम कहां हैं?
शिक्षा के मामले में हमारा क्या हाल है. रोजगार को लेकर हमारी स्थिति क्या है. ये हमारे मुद्दे हैं मगर मुझे पता है कि आप कभी इन मुद्दों को नहीं उठाएंगे. क्यों नहीं उठाएंगे? इसका जवाब तो आपको भी पता है. यदि आपने इन मुद्दों को उठाया तो आप भी एक आम से नेता बनकर रह जाएंगे जिसे कोई नहीं पूछेगा.
ओवैसी साहब हिंदू और मुसलमान आज भी हम प्याले और हम निवाले हैं. मैं आपसे ये नहीं कहूंगा कि मैंने सभी हिंदुओं या मुसलमानों का ठेका ले रखा है. मगर हां मैं जितने भी लोगों को जानता हूं सब से मेरे अच्छे सम्बन्ध हैं. इसलिए मैं ये बिल्कुल भी नहीं चाहता कि आपके जहर बुझे तीर जो किसी एक व्यक्ति का विरोध करते हुए आप लगातार निकाल रहे हैं, मेरे उन संबंधों को किसी भी तरह प्रभावित करे.
जाते जाते एक बात और. आप पीएम मोदी पर देश को बांटने का इल्जाम लगा रहे हैं. मगर क्या कभी आपने अपने गिरेबां में झांका है? कभी आत्मग्लानी के रूप में ही सही झांकने का प्रयास करियेगा. आपको मिलेगा मुसलमानों के अहित चाहने वाले पीएम मोदी, हिंदूवादी या भाजपा के लोग नहीं बल्कि आप हैं. जो कहा है उसपर गौर करियेगा और कम लिखे को ज्यादा समझिएगा.
आपका
इस देश का एक आम मुसलमान
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